विज्ञापन
This Article is From Oct 15, 2023

Shardiya Navratri 2023: नवरात्रि पर चित्तौड़गढ़ के इस मंदिर में उमड़ती है भारी भीड़, 8वीं शताब्दी में खिलजी ने कर दिया था नष्ट

कालिका माता मंदिर में लोगों की बहुत आस्था है. यहां अष्टमी के दिन महाराणा दरबार उदयपुर की तरफ से हवन करवाया जाता है, और नवमी के दिन यहां के ट्रस्ट की ओर से हवन पूजन का कार्य किया जाता है. नवरात्रि के दौरान यहां मेला जैसा दृश्य देखने को मिलता है. बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं का आने का क्रम जारी रहता है.

Shardiya Navratri 2023: नवरात्रि पर चित्तौड़गढ़ के इस मंदिर में उमड़ती है भारी भीड़, 8वीं शताब्दी में खिलजी ने कर दिया था नष्ट
कालिका माता मंदिर.

Rajasthan News: शारदीय नवरात्रि का आज से आगाज हो गया है. आज नवरात्रि के पहले दिन हम आपको 8वीं शताब्दी में बने चित्तौड़गढ़ दुर्ग स्थित कालिका माता मंदिर (Kalika Mata Temple) के  बारे में बताने जा रहे हैं, जहां सालभर लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं के आने का तांता लगा रहता है, और कालिका माता से अपनी मनोकामना को पूरी करने के लिए अर्जी लगाते हैं.

अलाउद्दीन खिलजी ने कर दिया था नष्ट

विश्व धरोहर में शामिल चित्तौड़गढ़ दुर्ग पर बना यह कालिका माता का मंदिर हैं. जहां दुर-दराज से श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला सालभर जारी रहता हैं. मेवाड़ के सबसे महत्वपूर्ण मन्दिरों में से एक मंदिर यह कालिका माता का मंदिर कालिका देवी दुर्गा को समर्पित है. कालिका माता मंदिर वास्तव में मूल रूप से सूर्य देवता का मंदिर था, जिसे 8वीं शताब्दी के दौरान बनाया गया था, लेकिन अलाउद्दीन खिलजी के हमले के दौरान इस मंदिर को नष्ट कर दिया गया था. कुछ समय पश्चात 14 वीं शताब्दी में यहां कालिका माता की मूर्ति स्थापित की गई, और तब से यह मंदिर कालिका माता मंदिर के नाम से जाना जाने लगा.

Latest and Breaking News on NDTV

मंदिर में देवी भद्रकाली का एक रूप

14वीं शताब्दी में महाराणा लक्ष्मण सिंह ने अखंड ज्योति नामक दीपक जलाया था. इस मंदिर में जिस देवी की पूजा की जाती है वह देवी भद्रकाली का एक रूप है. यह प्राचीन मंदिर प्रतिहार काल का उत्कृष्ट स्थापत्य नमूना है. कालिका माता मंदिर न केवल धार्मिक प्रवृत्ति वाले लोगों को बल्कि कला प्रेमियों और आम पर्यटकों को भी आकर्षित करता है. एक ऊंचे स्थान पर निर्मित कालिका माता मंदिर का बाहरी भाग अद्भुत है. मंदिर के खंभे, मंडप, प्रवेश द्वार और छत बड़ी जटिल नक्काशी प्रदर्शित करते हैं. मंदिर के आंतरिक गर्भगृह की दीवारों पर सूर्य देव को जीवनसाथी और देवदूतों से घिरा हुआ दर्शाया गया है. मंदिर की आंतरिक दीवारों को चित्रित किया गया है, और इसमें चंद्रमा देवता भी शामिल हैं. छतों पर बारीकी से नक्काशी की गई है और शीर्ष पर संकीर्ण किया गया है. मंदिर पर मौर्य स्थापत्य कला का गहरा प्रभाव है.

Latest and Breaking News on NDTV

युद्ध के वक्त मूर्ति साथ ले जाते थे राजा

मंदिर के महंत राम नारायण पूरी ने बताया कि जब भी राजवंश का किसी भी शत्रु के साथ युद्ध होता था, तब कालिका माता की मूर्ति साथ में ले जाया करते थे. ऐसे में यह मंदिर सुना हो जाता था और यहां पूजा पाठ बन्द हो जाते थे. महाराणा सज्जन सिंह ने इस मंदिर में अम्बे माता की भी प्रतीमा की स्थापना करवाई, ताकि मन्दिर में पूजा अर्चना चलती रहे. इस मंदिर में कालिका माता की मूर्ति के पास ही अम्बे माता की मूर्ति भी स्थापित है.

Latest and Breaking News on NDTV

सोने के गहनों से हुआ माता का श्रृंगार

नवरात्रि शुरू होने से पहले कालिका माता का सोने के गहने से विशेष श्रृंगार किया जाता है. यहां हर साल नवरात्रि से पहले मन्दिर के महंत और पंडित जिला प्रशासन को एक लिखित में एप्लिकेशन देते हैं और वहां पर रखे ट्रेजरी से कालिका माता के सोने के गहने लेकर जाते हैं. इस दौरान वहां रखे सोने के गहनों की जांच व वजन कर महंत व पण्डित को दिए जाते हैं. सोने के आभूषण बड़ी मात्रा में होने से पुलिस विभाग की ओर से पांच सशस्त्र जवान की सुरक्षा के बीच लगाए जाते हैं. ये जवान 9 दिन तक कालिका माता मंदिर में तैनात कर दिए. इन सोने के आभूषणों में चार मुकूट, एक रम झूला, तमनिया, चंद्रहार, बिंदिया आदि शामिल हैं. सुरक्षा की दृष्टि से सोने के आभूषण नवरात्रि के समापन के बाद पुनः ट्रेजरी कार्यालय में जमा करवा दिया जाता है. 

Rajasthan.NDTV.in पर राजस्थान की ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें. देश और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं. इसके अलावा, मनोरंजन की दुनिया हो, या क्रिकेट का खुमार, लाइफ़स्टाइल टिप्स हों, या अनोखी-अनूठी ऑफ़बीट ख़बरें, सब मिलेगा यहां-ढेरों फोटो स्टोरी और वीडियो के साथ.

फॉलो करे:
Close