
sheetala ashtami 2025 Date and Time: शीतला अष्टमी का त्यौहार हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण त्यौहारों में से एक माना जाता है. यह त्यौहार होली के बाद चैत्र कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है. इस दिन बासी भोजन खाने की परंपरा है. इसीलिए इसे बसौड़ा भी कहते हैं. इस त्यौहार में माता शीतला की पूजा का विधान है.
बासी भोजन का लगाया जाता है भोग
इस दिन माता शीतला को बासी भोजन का भोग लगाया जाता है. इसलिए इसे स्थानीय भाषा में बसौड़ा, बूढ़ा बसौड़ा या बसियौरा के नाम से भी जाना जाता है. यह त्यौहार मुख्य रूप से राजस्थान, मालवा, निमाड़ और हरियाणा के कुछ इलाकों समेत उत्तर भारत में मनाया जाता है.
शीतला अष्टमी का व्रत मुहूर्त
पंचांग के अनुसार चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि 21 मार्च को सुबह 02:45 बजे से शुरू होकर 22 मार्च को सुबह 04:23 बजे समाप्त होगी. शीतला सप्तमी पर पूजा का शुभ मुहूर्त 21 मार्च को सुबह 06:24 बजे से शाम 06:33 बजे तक है. इस दौरान भक्त माता शीतला की पूजा कर सकते हैं.
इन चीजों का लगता है भोग
इस व्रत में माता शीतला को बासी भोजन का भोग लगाया जाता है. जिसमें मुख्य रूप से चावल और घी का भोग लगाया जाता है. लेकिन शीतला अष्टमी के दिन चावल नहीं पकाया जाता, बल्कि इसे सप्तमी तिथि के दिन बनाकर रख दिया जाता है. और अगले दिन पूजा में उपयोग में लाया जाता है.
शीतला अष्टमी के दिन नहीं जलता घर का चूल्हा
धार्मिक मान्यता है कि शीतला अष्टमी के दिन घर में चूल्हा नहीं जलाना चाहिए और घर में भोजन नहीं पकाना चाहिए, इसलिए सभी भोजन और प्रसाद सप्तमी तिथि को ही तैयार कर लिए जाते हैं.
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