
Rajasthan SI Bharti 2021: राजस्थान में एसआई भर्ती 2021 से जुड़े मामले में मंगलवार को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. इस दौरान सरकार ने एसआई भर्ती पर अपना रुख स्पष्ट कर दिया. सरकार ने सब कमेटी की सिफारिशों के आधार पर हाईकोर्ट में जवाब दिया कि जांच अभी जारी है और ऐसे में पूरी परीक्षा को रद्द करना जल्दबाज़ी होगी. अब निगाहें हाईकोर्ट की आगामी सुनवाई पर है, जहां से परीक्षा की वैधता को लेकर अंतिम फैसला आ सकता है. हाईकोर्ट में सरकार के जवाब के बाद सियासी तापमान फिर चढ़ गया है.
मंत्री बोले- मामला कोर्ट में विचाराधीन
इस मामले पर सरकार के मंत्री खुलकर बोलने से बच रहे हैं. सोमवार को जब कैबिनेट मंत्री जोगाराम पटेल और अविनाश गहलोत से पत्रकारों ने सवाल किए तो उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि यह मामला न्यायालय में विचाराधीन है. इसलिए अधिक टिप्पणी करना उचित नहीं होगा. उन्होंने स्पष्ट किया कि सरकार ने कोर्ट में जो जवाब दाखिल किया है, वह मंत्रिमंडलीय सब-कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार है.
वहीं, राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि भाजपा सरकार ने युवाओं को भ्रमित कर उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ किया है. भाजपा ने इस भर्ती को लेकर तथ्यहीन आरोप लगाए और कांग्रेस सरकार के समय हुई भर्ती को बदनाम करने के लिए इसे एक राजनीतिक मुद्दा बना दिया. भाजपा नेताओं ने इस भर्ती को रद्द होने की अफवाहों के जरिए युवाओं को गुमराह किया और सिर्फ सुर्खियां बटोरीं.
किरोड़ी लाल के इस्तीफे की फिर उठी मांग
डोटासरा ने सवाल उठाया कि इस मामले में बार-बार बड़े दावे करने वाले कैबिनेट मंत्री किरोड़ी लाल मीणा अब अपना इस्तीफा देंगे या नहीं. उन्होंने कहा कि मीणा ने सार्वजनिक तौर पर कहा था कि यदि भर्ती रद्द नहीं हुई तो वे मंत्री पद छोड़ देंगे, ऐसे में अब प्रदेश की जनता जवाब चाहती है.
डोटासरा ने मांग की कि भाजपा को इस मुद्दे पर युवाओं और प्रदेशवासियों से माफी मांगनी चाहिए. उन्होंने कहा कि पेपर लीक जैसे गंभीर मामलों को भाजपा ने केवल राजनीतिक हथियार की तरह इस्तेमाल किया है और इसका नुकसान हजारों योग्य युवाओं को भुगतना पड़ा है.
सरकार ने असल मंशा दिखा दी- बेनीवाल
हनुमान बेनीवाल ने एसआई भर्ती पर हाईकोर्ट में सरकार के जवाब को युवाओं के साथ धोखा बताया है. बेनीवाल ने आरोप लगाया कि भाजपा ने विधानसभा चुनाव से पहले RPSC के पुनर्गठन और SI परीक्षा रद्द करने की बातें की थीं, लेकिन अब सरकार ने कोर्ट में भ्रमित करने वाला जवाब देकर अपनी असल मंशा दिखा दी है. सरकार का मकसद सिर्फ युवाओं को चुनाव तक झूठे वादों में उलझाए रखना था. अब वही सरकार कोर्ट में कह रही है कि परीक्षा रद्द करना जल्दबाज़ी होगी.
वहीं, विपक्षी दलों का कहना है कि पेपर लीक जैसी गंभीर अनियमितताओं के बावजूद परीक्षा को बरकरार रखने का फैसला युवा अभ्यर्थियों के साथ अन्याय है. कांग्रेस नेताओं ने आरोप लगाया कि सरकार भ्रष्टाचार से जुड़ी भर्तियों पर ‘पर्देदारी' कर रही है. अब निगाहें हाईकोर्ट की आगामी सुनवाई पर हैं, जहां से परीक्षा की वैधता को लेकर अंतिम फैसला आ सकता है.
यह भी पढ़ें-