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This Article is From Sep 24, 2023

संविदाकर्मियों से वादा कर मुकर गई गहलोत सरकार, मांगें नहीं मानी गई तो आंदोलन करेंगे स्वास्थ्यकर्मी

प्रदेश सरकार ने घोषणा की थी कि संविदाकर्मियों को ठेका प्रथा से मुक्त करवाया जाएगा, लेकिन सरकार अपना वादा भूल गई. आज भी मात्र चार हजार पर नौकरी करने को मजबूर हैं संविदाकर्मी.

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संविदाकर्मियों से वादा कर मुकर गई गहलोत सरकार, मांगें नहीं मानी गई तो आंदोलन करेंगे स्वास्थ्यकर्मी
प्रदर्शन करते स्वास्थ्यकर्मी
Hanumangarh News:

प्रदेश सरकार के वादा खिलाफी से दो रोटी का जुगाड़ पाने वाले कर्मियों का घर चलना मुश्किल हो रहा है. करीब डेढ़ दशक पहले 3200 रुपए के मासिक वेतन पर नौकरी शुरू कर आज भी महज 4000 रुपए महीने की तनख्वाह पर नौकरी को मजूबर हैं. जिला अस्पताल में संविदा पर हेल्पर की नौकरी करने वाली महिला जुलेफा ने बताया कि 14 वर्ष की नौकरी के बाद भी उसके मासिक वेतन में महज 800 रुपए बढ़कर की वृद्धि हुई है. 

जीवन का एक बड़ा हिस्सा बतौर संविदाकर्मी निभाने के बावजूद महिलाकर्मी को महज इतना वेतन नहीं मिलता है कि परिवार के साथ एक सामान्य जीवन व्यतीत कर सके. कम वेतन के चलते घर का राशन और घर किराए का खर्च भी पूरा नहीं होता. संविदाकर्मी जूलेफा ने बताया कि उनकी हालत बहुत दयनीय बनती जा रही है. 

गौरतलब है प्रदेश की गहलोत सरकार ने घोषणा की थी कि संविदाकर्मियों को ठेका प्रथा से मुक्त करवाया जाएगा, लेकिन सरकार अपना वादा भूल गई. संविदाकर्मियों की जरूरत जब भी मानव सेवा के लिए महसूस की गई, तब-तब संविदा कर्मियों ने अपना सर्वस्व लगा कर मानव सेवा में अपना योगदान दिया है. अब सरकार अगर उन्हें नियमित भी नहीं कर सकती तो कम से कम इतना वेतन तो दे, जिससे उनके परिवार और बच्चों का पालन पोषण हो सकें.

इस दौरान जुलेफा ने साथी हेल्पर की पीड़ा भी बताई, साथी महिला भी 4000 के वेतन पर संविदा पर कार्यरत है, जबकि उसके बीमार पति की दवा, घर का किराया, राशन सहित कई और खर्च वेतन से भी ज्यादा है. वहीं एक अन्य महिला हेल्पर ने भी किराए, राशन, बिजली बिल, पानी, बच्चों की शिक्षा के खर्च को लेकर रुआंसी हो गई.

इन महिला हेल्पर ने बताया कि परिवार चलाने के लिए उन्हें संविदा कर्मी के तौर पर आठ घंटे की नौकरी के बाद भी कोई ना कोई पार्ट टाइम काम करना पड़ रहा है, ताकि घर परिवार का खर्च कुछ हद तक पूरा हो सके. उनकी मांग है कि सरकार अगर अपना वादा पूरा नहीं भी कर सकती तो भी कम से कम इतना वेतन तो दे कि राशन, बिल, शिक्षा, किराया आदि का खर्च तो निकल सके.

दरअसल, टाउन स्थित राजकीय महात्मा गांधी जिला अस्पताल के संविदा एवं निविदा कर्मचारी संघ नियमित करने की मांग को लेकर दो घंटे का कार्य बहिष्कार कर रहे हैं. जिलाध्यक्ष लालचंद मौर्य का कहना है कि राज्य सरकार द्वारा पिछले कई वर्षों से ठेका प्रथा बंद करने और संविदा कर्मचारियों को 2022 रूल में नियमित करने की बात कही गई थी, लेकिन अब सरकार इस ओर कोई पहल ना कर संविदा कर्मियों से सौतेला व्यवहार कर रही है.

वहीं, संविदाकर्मी कैसे इस इतनी महंगाई में 5 हजार की तनख्वाह में अपना परिवार चल पाएगा? शर्मनाक बात है कि 5 हजार रुपए देकर आप कह रहे हो कि आप बड़ी ईमानदारी से काम करना, इस अल्प वेतन में ये कैसे संभव हो पाएगा. मौर्य ने कहा कि कोरोना महामारी के समय सरकार के आह्वान पर संविदा कर्मियों ने बिना अपनी जान की परवाह किए मानव सेवा के लिए खुद को समर्पित किया था.

इस दौरान कई संविदाकर्मियों ने अपनी जान भी गंवा दी थी, लेकिन आज इन्ही संविदा कर्मियों के साथ भेदभाव किया जा रहा है, जिसे हम कभी भी बर्दाश्त नहीं करेंगे. हम सरकार से वही मांग कर रहे हैं जिसका वादा सरकार ने ही किया था. अब वो वादा सरकार पूरा करे अन्यथा 2 घंटे का कार्य बहिष्कार जल्द ही अनिश्चितकालीन होने वाला है.

वहीं, यूनियन सचिव नरेंद्र सिंह का कहना है कि संविदा कर्मियों ने बिना अपनी जान की परवाह किए जिस रूप में जो भी जिम्मेदारी संविदाकर्मियों को मिली चाहे नर्सिंगकर्मी, लैब टेक्नीशियन, फार्मासिस्ट, हेल्पर, गार्ड की, संविदाकर्मियों ने उसे पूरी मेहनत लगन और ईमानदारी से पूरा किया है. 

उन्होंने कहा, सरकार ने नियमित करने की बात कही थी, अभी तक हम लोगों के लिए सिर्फ घोषणाएं की है, उसके अलावा कुछ भी नहीं किया गया, जिसको लेकर कर्मचारियों में रोष व्याप्त है. धरने पर बैठे कर्मचारियों ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर जल्द ही सरकार द्वारा हमारी इन जायज मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया तो हमें मजबूरन पूर्ण रूप से कार्य बहिष्कार करना पड़ेगा.

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