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This Article is From May 11, 2024

Rajasthan Politics: 4 जून का परिणाम तय करेगा बेनीवाल-मिर्धा का सियासी भविष्य, तीसरी बार आमने-सामने हैं दोनों नेता 

बेनीवाल को अपनी प्रतिद्वंदी ज्योति मिर्धा से कड़ी टक्कर मिल रही है. इससे पहले दोनों दो लोकसभा चुनावों में आमने-सामने हो चुके हैं. 2019 में बेनीवाल ने उन्हें हरा दिया था. ऐसे में हनुमान बेनीवाल की राह आसान नहीं है. वहीं लगातार चुनाव हार रहीं मिर्धा के लिए यह चुनाव प्रतिष्ठा का विषय बन गया है.

Rajasthan Politics: 4 जून का परिणाम तय करेगा बेनीवाल-मिर्धा का सियासी भविष्य, तीसरी बार आमने-सामने हैं दोनों नेता 
ज्योति मिर्धा और हनुमान बेनीवाल (फाइल फोटो)

Lok Sabha Elections 2024: लोकसभा चुनाव के तहत राजस्थान की सभी सीटों पर मतदान हो चुका है और अब 4 जून को परिणाम का इंतजार किया जा रहा है. मगर इस बीच राजनीतिक गलियारों में सिर्फ एक ही सवाल पूछा जा रहा है कि, नागौर से इस बार कौन सांसद चुना जाएगा? क्या हनुमान बेनीवाल फिर से चुनाव जीतने में सफल होंगे या फिर ज्योति मिर्धा फिर से नागौर संसदीय सीट को मिर्धा परिवार को दिलाकर मिर्धा परिवार का दबदबा बरकरार रखेगी. लेकिन देखा जाए तो यह चुनाव हनुमान बेनीवाल और ज्योति मिर्धा दोनों के लिए प्रतिष्ठा का चुनाव है, क्योंकि दोनों नेताओं के सामने अपनी साख और राजनीतिक विरासत बचाने की चुनौती है. क्योंकि ज्योति मिर्धा जहां लगातार तीन चुनाव हार चुकी हैं तो वहीं हनुमान बेनीवाल की पार्टी का ग्राफ दिनों दिन सिमटता जा रहा है.

पिछले विधानसभा चुनाव में कमज़ोर रहा RLP का प्रदर्शन 

हनुमान बेनीवाल ने राजस्थान में तीसरा विकल्प देने के उद्देश्य से राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी का गठन किया था. इसके बाद इस पार्टी ने तेजी से अपना विस्तार किया और 2018 के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने शानदार प्रदर्शन करते हुए तीन सीटों पर जीत दर्ज की, वहीं 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के साथ गठबंधन कर नागौर लोकसभा सीट भी अपने नाम कर ली. इसके अलावा नगर निकायों और पंचायत चुनाव में भी हनुमान बेनीवाल की पार्टी ने अच्छा प्रदर्शन किया था. लेकिन केवल 5 साल के बाद ही हनुमान बेनीवाल की पार्टी का प्रदर्शन कमजोर होने लगा और 2023 के विधानसभा चुनाव में हनुमान बेनीवाल की आरएलपी का प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा.

मुश्किल से जीत पाए थे बेनीवाल 

हनुमान बेनीवाल ने पूरे राजस्थान में 73 से अधिक उम्मीदवार उतारे थे, जिसमें से केवल हनुमान बेनीवाल ही जीत दर्ज कर सके थे. वहीं बाकी सभी उम्मीदवारों को हार का सामना करना पड़ा था. हनुमान बेनीवाल खुद बेहद संघर्षपूर्ण मुकाबले में 2000 वोटों से विजय हुए. जबकि लोकसभा चुनाव से ठीक पहले उन्हीं की पार्टी के नेता रहे उम्मेदाराम बेनीवाल ने हनुमान बेनीवाल को अलविदा कह कर कांग्रेस का दामन थाम लिया और बाड़मेर से कांग्रेस ने उन्हें अपना प्रत्याशी बना दिया. वहीं लोकसभा चुनाव के लिए उन्होंने इस बार कांग्रेस से गठबंधन कर लिया है और खुद इंडिया गठबंधन प्रत्याशी के रूप में नागौर से चुनाव लड़ रहे हैं.

दो बार आमने-सामने हुए हैं मिर्धा-बेनीवाल 

हनुमान बेनीवाल को अपनी प्रतिद्वंदी ज्योति मिर्धा से कड़ी टक्कर मिल रही है. इससे पहले दोनों दो लोकसभा चुनावों में आमने-सामने हो चुके हैं. 2019 में बेनीवाल को हरा दिया था. ऐसे में हनुमान बेनीवाल की राह आसान नहीं है. हनुमान बेनीवाल लोकसभा चुनाव जीत जाते हैं तो यह उनके राजनीतिक जीवन के लिए संजीवनी का काम करेगी, लेकिन इस स्थिति में उन्हें विधायक पद से इस्तीफा देना होगा, जहां दोबारा उपचुनाव होंगे. खींवसर में बेनीवाल अपने भाई नारायण बेनीवाल को उम्मीदवार बनाते हैं, तो पिछले विधानसभा चुनाव के प्रदर्शन को देखते हुए उनकी राह आसान नहीं होगी.

लगातार चुनाव हार रहीं हैं ज्योति मिर्धा 

दूसरी ओर भाजपा प्रत्याशी डॉ. ज्योति मिर्धा के लिए भी यह चुनाव राजनीतिक वजूद को कायम रखने वाला चुनाव होगा. क्योंकि ज्योति मिर्धा 2014 और 2019 का लोकसभा चुनाव हार चुकी है. जबकि 2023 के विधानसभा चुनाव में भी उन्हें शिकस्त झेलनी पड़ी थी. लगातार तीन चुनाव में हार के बावजूद इस बार फिर से भाजपा प्रत्याशी के रूप में चुनाव में मैदान में है. ऐसे में देखना होगा कि नागौर की जनता दोनों उम्मीदवारों में से किसे अपना सांसद चुनकर किस नेता का राजनीतिक वजूद बचाती है.

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