आदिवासी जिले बांसवाड़ा में आजादी के बाद स्थापित नए और क्रमोन्नत शिक्षा केंद्र को नया आयाम दिया जा रहा है. जिला मुख्यालय पर करीब 110 वर्ष पहले अग्रेजों द्वारा कुशलबाग में स्थापित स्कूल आजादी के बाद भी शिक्षा की अलख जगा रहा है. वर्तमान सत्र में इसे महात्मा गांधी राजकीय विद्यालय कुशलबाग के नाम से जाना जाता है.
बांसवाड़ा शहर में बीचो-बीच स्थित कुशलबाग स्कूल की नींव एक अप्रैल 1912 में जेएल कैल ने रखी थी. दो वर्ष तक हुए निर्माण के बाद वर्ष 1914 में इस विद्यालय की शुरुआत किंग जॉर्ज वी. स्कूल के नाम से हुई. बताते हैं कि उस दौरान यहां आने वाले विद्यार्थी शहर के ही हुआ करते थे.
यहां पहली कक्षा से चौथी कक्षा तक की पढ़ाई भीतरी शहर में गणपति चौक क्षेत्र में संचालित स्कूल में होती थी. पांचवीं से आठवीं तक की पढ़ाई किंग जॉर्ज वी. स्कूल में होती थी. आजादी के बाद भी यह स्कूल किंग जॉर्ज वी. के नाम पर ही रहा. 1968 में क्रमोन्नति के बाद इसका नामकरण राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय, कुशलबाग किया गया.
यहां प्नदेश में तीन बार सीएम रहे ने की है पढ़ाई
राजस्थान के तीन बार मुख्यमंत्री रहे हरिदेव जोशी और बांसवाड़ा के ही चिरंजीवलाल जोशी ने भी इसी स्कूल से पढ़ाई की. कई वर्ष तक यह स्कूल जिले के श्रेष्ठ स्कूलों में सम्मिलित रहा और आज भी अपनी ऐतिहासिकता के लिए इस स्कूल का नाम लिया जाता है, जहां से निकले छात्र आज अपने-अपने करियर में बेहतर मुकाम पर हैं.
यहां से पढ़े छात्र विदेशों में कमा रहे हैं नाम
संस्था प्रधान भूपेश कुमार वर्मा बताते हैं कि स्थापना को सौ वर्ष से अधिक हो गए. उन्होंने बताया कि इस विद्यालय का नाम अब भी लोगों की जुबां पर है. यहां पढ़े कई लोग विदेश में भी हैं और बांसवाड़ा आने पर विद्यालय में जरूर आते हैं.
अभी विद्यालय में हैं 126 बच्चों का नामांकन
महात्मा गांधी राजकीय विद्यालय कुशलबाग में मौजूदा सत्र से विद्यालय में कक्षा पहली से पांचवीं में अंग्रेजी माध्यम आरंभ हो गया है. फिलहाल, विद्यालय में पहली से पांचवीं में 80 और कक्षा छह से आठवीं में कुल 46 का नामांकन हुआ है.
किसी ने नहीं ली विद्यालय की सुध
भले ही इस स्कूल से जिले के हजारों लोगों ने शिक्षा प्राप्त कर अच्छे मुकाम पर पहुंच गए हों, लेकिन किसी ने भी पीछे मुड़कर इस स्कूल की सुध नहीं ली. जो भवन 110 साल पहले बना था उसी भवन को मरम्मत कर चलाया जा रहा है.