Mukesh Bhakar vs Vasudev Devnani: राजस्थान सरकार के पहले पूर्ण बजट सत्र के दौरान विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने कांग्रेस विधायक मुकेश भाकर (MLA Mukesh Bhakar) को 6 महीने के लिए निलंबित कर दिया. स्पीकर ने सदन की कार्यवाही को भी अनिश्चितकाल लिए स्थगित कर दिया था. तब कांग्रेस ने भाकर के निलंबन का जोरदार विरोध किया था. यहां तक कि इसके विरोध में कांग्रेस विधायक पूरी रात सदन के भीतर धरने पर बैठे रहे थे. इनके साथ 7 महिला विधायक भी थीं.
विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी का कहना है कि भाकर के निलंबन के बाद भी वो सदन से बाहर नहीं गए. यह सदन का अपमान है, जिसके बाद उन्हें छः महीने के लिए निलंबित कर दिया गया. वहीं कांग्रेस का आरोप है कि सदन में बिना मतदान के ही इनके विधायक को निलंबित किया गया, यह पूरी तरह असंवैधानिक है.
क्यों हुआ भाकर का निलंबन?
दरअसल, विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली विशेष स्थगन प्रस्ताव लाए थे. टीकाराम जूली ने कहा कि 1 जुलाई से भारतीय न्याय संहिता लागू हो गई है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने 12 जिलों में राजकीय अधिवक्ता नियुक्त किए गए हैं. वो सीआरपीसी (CrPC) के तहत नियुक्त किए हैं, जबकि उनकी नियुक्ति बीएनएस (BNS) के तहत होनी थी.
उन्होंने कहा कि संसदीय मंत्री के बेटे को सरकारी वकील के तौर पर नियुक्ति दी गई है. जूली ने इस पर चर्चा कराने की मांग की. जब स्पीकर वासुदेव देवनानी ने चर्चा कराने से मना कर दिया तो हंगामा शुरू हो गया.
देवनानी का आरोप, 'भाकर ने दांत से मार्शल का हाथ काटा'
देवनानी ने मुकेश पर आरोप लगाया 'भाकर ने उनके साथ दुर्व्यवहार किया. उन्हें उंगली दिखाई, मार्शल का हाथ काटा'. इसके बाद स्पीकर ने संसदीय मंत्री से कहा कि इसके (मुकेश भाकर) खिलाफ प्रस्ताव लाओ. हालांकि, संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम प्रस्ताव नहीं लाए तो मुख्य सचेतक जोगेश्वर गर्ग प्रस्ताव लाए हालांकि इसके बाद भी मुकेश भाकर बाहर नहीं गए, बाद में उन्हें 6 महीने के लिए निलंबित कर दिया गया.
भाकर के निलंबन के बाद ऐसी मांग की जाने लगी कि उन्हें 4 साल के लिए निलंबित कर दिया जाए. खुद मुकेश भाकर ने कहा कि अगर स्पीकर चाहें तो मुझे परमानेंट अयोग्य कर दें, लेकिन उनके ऊपर लगाए गए आरोपों का जवाब दिया जाये.'
अधिकतम कितने वक्त के लिए हो सकता है निलंबन?
ऐसे में सवाल है कि क्या मुकेश भाकर अगले चार साल के लिए सदन से निलंबित किये जा सकते हैं? तो जवाब है, इसके लिए विधानसभा के नियम इजाजत नहीं देते. यह बात महाराष्ट्र में विधायकों के निलंबन के बहुचर्चित मामले में स्पष्ट हो गई थी.
2022 में महाराष्ट्र के 12 भाजपा विधायकों को एक साल के लिए निलंबित कर दिया गया था. मगर बाद में सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र विधानसभा के इस फैसले को बदल दिया था. अदालत ने कहा था कि 'एक साल के लिए निलंबित करना किसी सदस्य को सदन से निकालने से बुरा है'. कोर्ट ने यह भी कहा था कि ऐसा करना संविधान के मूलभूत ढांचे के खिलाफ है.
क्या हैं निलंबन के नियम?
एक सवाल यह भी उठता है कि विधानसभा के सदस्य को कितने वक्त के लिए निलंबित किया जा सकता है?
इसका जवाब है- किसी भी वजह से अगर स्पीकर को किसी सदस्य को निलंबित करना पड़े तो वह उसे बचे हुए सत्र या फिर आने वाली 5 बैठकों के लिए निलंबित कर सकता है.
वहीं यह नियम भी है कि अगर कोई सदस्य सदन में 6 महीने तक उपस्थित नहीं रहता तो उसकी सीट को खाली मान लिया जाएगा. उस पर विधानसभा अध्यक्ष राज्यपाल की अनुमति से अगले 6 महीने में नए चुनाव करवा सकते हैं. ऐसे में कांग्रेस भाकर के निलंबन के फैसले को अदालत में चुनौती दे सकती है.
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