Rajasthan News: राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को 'गेम चेंजर' करार देते हुए उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने बुधवार को शिक्षा को बदलाव का सबसे बड़ा केंद्र बताया. उन्होंने कहा “शिक्षा समाज में समानता को बढ़ावा देती है और असमानता को दूर करती है. '' उन्होंने यह बात विश्व बाल दिवस के अवसर पर झुंझुनू जिले के काजरा में जवाहर नवोदय विद्यालय के छात्रों को संबोधित करते हुए कही.
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की प्रशंसा करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा “यह एक गेम-चेंजर है. तीन दशकों के बाद भारत को नई शिक्षा नीति मिली है, जिसका मकसद छात्रों को किताबों के बोझ से मुक्त कर उन्हें कुशल बनाना है. यह नीति 2047 तक भारत को विकसित भारत के रूप में स्थापित करने में मदद करेगी.” उन्होंने अनुशासन, संस्कृति और मानव विकास के महत्व पर भी जोर दिया.
''अनुशासन में रहना आपके जीवन का अभिन्न अंग होना चाहिए''
उपराष्ट्रपति ने छात्रों से कहा, "इस उम्र में संस्कारित होना जरूरी है. माता-पिता का सम्मान करना, शिक्षकों को प्रणाम करना, आपसी भाईचारे को बढ़ावा देना और अनुशासन में रहना आपके जीवन का अभिन्न अंग होना चाहिए. मानव विकास के लिए अच्छी आदतें पैदा करना आपकी प्राथमिकता होनी चाहिए."
''आप सभी ग्रामीण भारत की रीढ़ हैं''
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार की नीतियों ने प्रतिभाओं को आगे बढ़ाने के लिए कई मंच प्रदान किए हैं. धनखड़ ने कहा “आप सभी ग्रामीण भारत की रीढ़ हैं. याद रखें, भारत की आत्मा ग्रामीण क्षेत्र में है. हमारी जड़ें ग्रामीण भारत में मजबूत हैं. हमारा अन्नदाता किसान भी ग्रामीण क्षेत्रों में रहता है.”
उन्होंने आगे कहा कि पंचायत राज और नगर पालिका जैसी संस्थाओं से भारत ने जमीनी स्तर पर लोकतंत्र को मजबूत किया है.
''दादा-दादी के नाम पर पौधे लगाएं''
उन्होंने विद्यार्थियों को पर्यावरण के प्रति जागरूक करते हुए उनसे अपने दादा-दादी के नाम पर पौधे लगाने का आग्रह किया. उन्होंने संस्थानों से इस नेक कार्य को 'मिशन मोड' में पूरा करने की अपील की. उन्होंने कहा, "जब आप इस स्कूल को छोड़ें तो आपको ऐसा कारनामा करना चाहिए जिससे इस स्कूल का गौरव बढ़े और आपको याद रखा जाए ."
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