
बेजुबान जानवरों को होने वाली परेशानियों को बयां करने वाले तो तमाम लोग मिल जाएंगे, लेकिन सड़क पर घायल पड़े बेजुबानों को देखकर रुकने वाले बहुत ही कम मिलेंगे. राजस्थान के भरतपुर में प्रशांत मीणा नाम के एक ऐसे युवा हैं जिन्हें जानवरों के दर्द का एहसास होता है. प्रशांत न सिर्फ जानवरों की सेवा करते हैं, बल्कि उन्हें अपनों सा प्यार देकर खाना खिलाने के साथ उनकी मरहम पट्टी भी करते हैं. सड़क से शुरू किया गया यह सेवा भाव अब ट्रीट ऑन स्ट्रीट नाम के संस्था का रूप ले चुका है. अब इन जानवरों की देखभाल के लिए अलग से कर्मचारी रखे हुए हैं और इस पूरे कार्य का खर्चा आमजन के सहयोग से चल रहा है.
सड़क से शुरू की थी पशुओं की सेवा
सड़क पर शुरू की गई सेवा अब विस्तार कर चुकी है. युवक ने इस कार्य के संचालन के लिए ट्रीट ऑन स्ट्रीट संस्था के नाम से अपनी टीम के साथ करीब 2 साल से बेजुबान जानवरों की सेवा कर रहा है. ट्रीट ऑन स्ट्रीट के संचालक प्रशांत मीणा ने बताया कि 2 साल पहले जब वह लाइब्रेरी पढ़ने के लिए जाता था तो वह घायल पड़े बेजुबान जानवरों को सड़क पर देख कर सोचा करता कि इनका कोई रखवाला नहीं है.
खंडहर में किया था पशुओं के रहने की व्यवस्था
युवा ने सड़क पर पड़े घायल बेजुबान जानवरों की मरहम पट्टी करना शुरू किया. किला स्थित खंडर नुमा कमरों में घायल बेजुबानों को रखकर उनका इलाज करने के साथ-साथ खाने पीने का इंतजाम करता था. धीरे-धीरे यह कार्य बढ़ता गया और बेजुबान जानवरों की संख्या भी लगातार बढ़ने लगी. इस मुहिम को देखकर लोग भी जुड़ने लगे और आर्थिक सहयोग करने के साथ इलाज में काम आने वाली सामग्री उपलब्ध कराई जाने लगी.
प्रशासन ने उपलब्ध कराया शेल्टर होम
इस कार्य को देखकर नगर निगम प्रशासन द्वारा हीरादास स्थित गौशाला में शेल्टर होम के लिए जगह भी उपलब्ध करा दी. अब शेल्टर होम में करीब 100 के आसपास पशु पक्षी हैं. 2 साल में करीब ढाई हजार से अधिक पशु पक्षियों को रेस्क्यू कर इलाज कर चुके हैं. जानवरों को जहां से रेस्क्यू किया जाता है, स्वस्थ होने पर उन्हें वापस उसी स्थान पर छोड़ दिया जाता है. ट्रीट ऑन स्ट्रीट संस्था के कार्य को देखकर लोग काफी तारीफ करते हैं.