राजस्थान में विधानसभा चुनाव महज दो महीने शेष हैं और सभी राजनीतिक दलों की तैयारियों जोरों पर हैं. प्रदेश की दोनों प्रमुख पार्टियां क्रमशः बीजेपी और कांग्रेस की आदिवासियों के वोट बैंक पर नज़र है, लेकिन रविवार को आदिवासी बहुल दक्षिणी राजस्थान से ताल ठोक रही नवगठित दल दोनों दलों का राजनीतिक समीकरण बिगाड़ सकती है. नवगठित पार्टी का नाम भारतीय आदिवासी पार्टी (बाप) है और रविवार को इसकी आधिकारिक घोषणा कर दी गई.
गौरतलब है राजस्थान विधानसभा में आदिवासी बहुल वोटों पर भाजपी और कांग्रेस दोनों की नजर है. सत्तासीन कांग्रेस के मुखिया सीएम अशोक गहलोत पिछले छः महीने में आदिवासी बहुल दक्षिणी राजस्थान का दौरा किया है. वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी ने भी आदिवासियों के प्रमुख स्थल मानगढ़ धाम पर बड़ी-बड़ी सभाएं कर चुके हैं.
माना जा रहा है कि अब आदिवासी इलाक़े में दोनों प्रमुख दलों को भारतीय आदिवासी पार्टी (बाप) चुनौती देगी. इससे पहले भी वह भारतीय ट्राइबल्स पार्टी चुनौती दे चुकी है और अब एक और नई आदिवासी पार्टी की घोषणा ने दोनों प्रमुख दलों का समीकरण बिगाड़ने में अहम भूमिका निभाएंगे. नवगठित पार्टी से लगातार लोग जुड़ रहे हैं, जिसमें चौरासी और सागवाड़ा विधानसभा के मौजूदा विधायक के भी शामिल होने की संभावना है.
सामाजिक संगठन से बना राजनीतिक दल
भारतीय आदिवासी पार्टी अब एक राजनीतिक पार्टी बन चुकी है. इससे पहले वह एक सामाजिक संगठन के रूप काम कर रही थी. पिछले विधानसभा चुनाव में आदिवासी परिवार ने भारतीय ट्रायबल पार्टी (बीटीपी) को समर्थन को दिया था. जिससे बीटीपी के दो विधायक विधानसभा पहुचे थे. इस दौरान उसके साथ भील प्रदेश मुक्ति मोर्चा और भील प्रदेश विद्यार्थी मोर्चा सहयोगी थी.
प्रचार-प्रसार के नाम पर कोई तामझाम नहीं
भारतीय आदिवासी पार्टी आगामी विधानसभा चुनाव में अपने उम्मीदवार उतारेगी, लेकिन आदिवासी परिवार ने खुद को परंपरागत चुनावी रैलियों से दूर रहेगी. पार्टी का कहना है कि वह खुद के प्रचार तंत्र से लोगों की भीड़ जुटाएगी. उन्होंने बताया कि ब्लॉक से लेकर राष्ट्रीय स्तर के चुनावी कैंपेन में उनकी सोशल मीडिया ग्रुप प्रमुख भूमिका निभाती है. इस ग्रुप में एक मैसेज से लोगों को जोड़ा जाता है.
दक्षिण राजस्थान की प्रमुख पार्टी बनने का दावा
सूत्रों के अनुसार भारतीय आदिवासी पार्टी आगामी विधानसभा चुनाव में डूंगरपुर, बांसवाड़ा, सलूंबर, प्रतापगढ़ और उदयपुर की करीब 17 विधानसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार मैदान में उतारेगी और कांग्रेस और भाजपा के सामने कड़ी चनौती पेश कर सकती है.