Rajasthan News: अमेरिका के कैलिफोर्निया में रहने वाले भारतीय मूल के एक डॉक्टर दंपति ने कोटा की 14 महीने की एक नन्हीं बच्ची को विधिवत रूप से गोद लिया है. अमेरिकी नागरिकता रखने वाले इस अग्रवाल दंपति के लिए यह फैसला केवल संतान प्राप्ति का नहीं था, बल्कि अपनी भारतीय जड़ों से भावनात्मक लगाव और बेटी को परिवार में शामिल करने की गहरी कामना का प्रतीक था. कोटा जिला कलक्टर पीयूष समारिया ने इस दंपति को शुभकामनाएं दीं और बच्ची के उज्जवल भविष्य की कामना करते हुए, दत्तक ग्रहण (Adoption) की पूरी प्रक्रिया के बारे में बताया.
भारत से बेटी क्यों?
अमेरिका में रहते हुए भी, अग्रवाल दंपति ने भारत से ही संतान गोद लेने का निर्णय लिया. दंपति ने बताया कि उनकी जड़ें भारत से जुड़ी हुई हैं, जिसके कारण उनका देश के प्रति गहरा भावनात्मक लगाव है. उन्होंने विशेष रूप से इस बात पर जोर दिया कि वे केवल एक कन्या को ही गोद लेना चाहते थे, क्योंकि वे अपने परिवार में एक बेटी के आगमन की दिल से कामना रखते थे. संतान गोद लेने की यह पूरी कानूनी प्रक्रिया लगभग दो वर्षों तक चली.
क्या है गोद लेने की कानूनी प्रक्रिया?
इस अवसर पर प्रशासन ने आम नागरिकों के लिए भारत में गोद लेने की कानूनी प्रक्रिया के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी साझा की. यह प्रक्रिया केन्द्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण (CARA) के माध्यम से पूरी तरह से ऑनलाइन और कानूनी संचालित की जाती है.
1. सबसे पहले रजिस्ट्रेशन
इच्छुक माता-पिता को सबसे पहले CARA की आधिकारिक वेबसाइट पर रजिस्ट्रेशन कराना होता है. इसमें व्यक्तिगत विवरण, आय संबंधी जानकारी और सभी आवश्यक दस्तावेज अपलोड किए जाते हैं.
2. होम स्टडी रिपोर्ट (HSR)
रजिस्ट्रेशन स्वीकृत होने के बाद, नजदीकी विशेषीकृत दत्तक ग्रहण संस्था (SAA) द्वारा होम स्टडी रिपोर्ट तैयार की जाती है. इसमें सामाजिक कार्यकर्ता माता-पिता की योग्यता, वित्तीय स्थिरता और दत्तक ग्रहण के प्रति उनकी उपयुक्तता का मूल्यांकन करते हैं.
3. बच्चे का चयन
मूल्यांकन सफल होने पर, अभिभावकों को उनकी प्राथमिकताओं के अनुसार बच्चे का चयन करने का अवसर मिलता है और SAA द्वारा बच्चे का रेफरल दिया जाता है.
4. कोर्ट आदेश
अंतिम चरण में, SAA द्वारा सक्षम न्यायालय में याचिका दायर की जाती है, जिसके आधार पर एडॉप्शन आदेश प्राप्त किया जाता है. न्यायालय आदेश के बाद, बच्चे के सर्वांगीण विकास और संरक्षण को सुनिश्चित करने के लिए अगले दो वर्षों तक संस्था द्वारा पोस्ट-एडॉप्शन फॉलोअप किया जाता है.
सिर्फ आधिकारिक वेबसाइट का करें इस्तेमाल
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के संयुक्त निदेशक सविता कृष्णिया और अन्य अधिकारियों ने नागरिकों से अपील की है कि वे गोद लेने के लिए केवल CARA के आधिकारिक माध्यम का ही उपयोग करें, ताकि पूरी प्रक्रिया पारदर्शी और विधिसम्मत रहे.
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