
डूंगरपुर जिले में भील प्रदेश विद्यार्थी मोर्चा (बीपीवीएम ) ने वीरबाला कालीबाई के पाठ को हटाने के विरोध में भोगीलाल पंड्या राजकीय महाविद्यालय (एसबीपी) गेट पर प्रदर्शन किया. बीपीवीएम के विद्यार्थियों ने सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की, और टायर जलाकर विरोध जताया. बीपीवीएम ने 7 दिनों में वीर कालीबाई कलासुआ के हटाए गए, पाठ्यक्रम को फिर से जोड़ने की मांग रखी.
कॉलेज में इकट्ठा हुए संगठन से जुड़े लोग
बीपीवीएम के कॉलेज के छात्रसंघ अध्यक्ष तुषार परमार के नेतृत्व में संगठन से जुड़े कई स्टूडेंट कॉलेज में एकत्रित हुए. इसके बाद नारेबाजी करते हुए कॉलेज गेट पर पहुंचे, जहां जमकर विरोध-प्रदर्शन किया. बीपीवीएम के विद्यार्थियों ने कॉलेज गेट पर टायर जलाकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी की. तुषार परमार ने कहा कि सरकार ने आदिवासी क्षेत्र में वीरबाला कालीबाई कलासुआ को शिक्षा की देवी कहा जाता है. उन्होंने 13 वर्ष की उम्र में ही अपने गुरु की जान बचाने के लिए अंग्रेजी हुकूमत की गोली खाकर शहीद हुई थीं.
"आदिवासी इतिहास से छेड़छाड़"
अंग्रेज उनके गुरु के स्कूल को बंद कराने के लिए दबाव बना रहे थे. ऐसे में आदिवासी क्षेत्र में शिक्षा की अलख जगाने वाली वीरबाला का पाठ पांचवी की किताब में था. कांग्रेस शासनकाल में उन्हें शिक्षा के प्रेरक के रूप में मानकर स्कूटी योजना का नामकरण भी उसी के नाम से किया था. ऐसे में भाजपा शासनकाल में उदयपुर एनसीआरटी की लापरवाही के कारण वीरबाल कालीबाई कलासुआ के प्रेरक प्रसंग को पांचवी कक्षा की अंग्रेजी की किताब से हटा दिया है. जिससे पूरे आदिवासी क्षेत्र में आक्रोश है. उन्होंने कहा की भाजपा सरकार आदिवासी के इतिहास से लगातार छेड़छाड़ कर रही है.
"मानगढ़ धाम के इतिहास को तोड़-मरोड़ कर बताया"
पूर्व में भी मानगढ धाम के इतिहास को तोड़-मरोड़ कर बताया गया था. इसके उल्टा भाजपा शासन जो चेप्टर पूर्ववर्ती सरकार में शामिल है, उसे अब योजनाबद्ध तरीके से हटाने का कार्य कर रही है. बीपीवीएम ने कालीबाई कलासुआ के पाठ्यक्रम को फिर से जोड़ने की मांग की है. 7 दिनों में पाठ्यक्रम में नहीं जुड़ने पर उदयपुर में एनसीईआरटी ऑफिस के सामने घेराव कर प्रदर्शन करने की चेतावनी दी है.
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