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CPM के दिग्गज नेता सीताराम येचुरी का निधन, दिल्ली AIIMS में चल रहा था इलाज

Sitaram Yechury Died: जाने-माने कम्युनिस्ट नेता और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (CPI-M) के महासचिव सीताराम येचुरी का निधन हो गया है. उन्होंने 72 साल की उम्र में दिल्ली के एम्स हॉस्पिटल में अंतिम सांस ली.

CPM के दिग्गज नेता सीताराम येचुरी का निधन, दिल्ली AIIMS में चल रहा था इलाज

Sitaram Yechury: जाने-माने कम्युनिस्ट नेता और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (CPI-M) के महासचिव सीताराम येचुरी का निधन हो गया है. उन्होंने 72 साल की उम्र में दिल्ली के एम्स हॉस्पिटल में अंतिम सांस ली. सीताराम येचुरी को पिछले कुछ समय से सांस की शिकायत थी. उन्हें निमोनिया के इलाज के लिए 19 अगस्त को एम्स में भर्ती किया गया था. वहां उनका संक्रमण गंभीर हो गया जिसके बाद उन्हें गहन चिकित्सा कक्ष (ICU) में रखा गया था.

सीपीआई (एम) ने अपने पार्टी नेता के निधन की पुष्टि करते हुए एक्स पर लिखा है, "हम बड़े दुख के साथ बताना चाहते हैं कि सीपीआईएम महासचिव, हमारे प्रिय कॉमरेड सीताराम येचुरी नहीं रहे. आज 12 सितंबर को, दोपहर 3:03 बजे दिल्ली के एम्स अस्पताल में उनका निधन हो गया."

सीताराम येचुरी का पार्थिव शरीर 14 सितंबर को दिल्ली में सीपीआई (एम) के पार्टी मुख्यालय में रखा जाएगा जहां आम लोग उन्हें श्रद्धांजलि दे सकेंगे. इसके बाद येचुरी की इच्छा के अनुसार उनके शव को मेडिकल रिसर्च के लिए एम्स हॉस्पिटल को दान कर दिया जाएगा.

सीपीआई (एम) के शिखर के नेता

सीताराम येचुरी भारत की राजनीति में पिछले कई दशकों से अग्रिम पंक्ति के नेता थे. दिल्ली की जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी से एक छात्र नेता के तौर पर उन्होंने राजनीति में पैर रखा. वह सीपीआई (एम) की छात्र ईकाई एसएफआई के नेता बने और बाद मे सीपीआई (एम) में शामिल हो गए.

वर्ष 1984 में येचुरी पार्टी की सेंट्रल कमिटी के सदस्य बने. वह वर्ष 1992 से सीपीआई (एम) की प्रभावशाली पोलित ब्यूरो के सदस्य थे. वर्ष 2015 में प्रकाश कारत के बाद उन्हें पार्टी महासचिव का दायित्व सौंपा गया. वह वर्ष 2005 से 2017 तक पश्चिम बंगाल से राज्य सभा सांसद रहे. 

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चेन्नई में जन्म हुआ, दिल्ली में उच्च शिक्षा हासिल की

सीताराम येचुरी का जन्म 12 अगस्त 1952 को चेन्नई में एक तेलुगू भाषी परिवार में हुआ था. उनके पिता आंध्र प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम में इंजीनियर थे और उनकी मां भी सरकारी कर्मचारी थीं.

वह हैदराबाद में पले-बढ़े और 1969 के तेलंगाना आंदोलन के दौरान दिल्ली आ गए. येचुरी ने दिल्ली के प्रेसिडेंट्स एस्टेट स्कूल में पढ़ाई की और सीबीएसई की हायर सेकेंडरी की परीक्षा में पूरे देश में टॉपर रहे.

येचुरी ने दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज से इकोनॉमिक्स में गोल्ड मेडल के साथ ग्रेजुएशन की शिक्षा पूरी की. इसके बाद उन्होंने जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) से एमए की डिग्री ली.

जेएनयू में पढ़ाई के दौरान सीताराम येचुरी छात्र राजनीति में सक्रिय होने लगे और सीपीआई (एम) की छात्र शाखा स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया (SFI) के बड़े छात्र नेता बन गए.

भारत में आपातकाल (1975-77) के दौरान सीताराम येचुरी ने अपनी राजनीतिक सक्रियता से राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाई और उन्हें एक उभरता हुआ बड़ा कम्युनिस्ट नेता माना जाने लगा.

तीसरे मोर्चे के बड़े नेता

सीताराम येचुरी की गिनती भारत में तीसरे मोर्चे एक बड़े नेता के तौर पर होती थी. इस वर्ष हुए लोकसभा चुनाव में विपक्ष के इंडिया गठबंधन को स्वरूप देने में सीताराम येचुरी की बड़ी भूमिका थी.

कांग्रेस नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने सीताराम येचुरी के निधन पर एक्स पर एक संदेश में लिखा है- "सीताराम येचुरी जी एक दोस्त थे. वह भारत की सोच के एक संरक्षक थे और उन्हें देश की गहरी समझ थी. मैं उनके साथ हुई लंबी चर्चाओं की कमी महसूस करूंगा."

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की नेता ममता बनर्जी ने सीताराम येचुरी के निधन पर शोक जताते हुए लिखा है-  "सीताराम येचुरी के निधन से शोकाकुल हूं. मैं उन्हें एक अनुभवी सांसद के तौर पर जानती थी जो वह थे और उनका निधन राष्ट्रीय राजनीति के लिए एक बड़ा नुकसान है."

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