
Rajasthan News: चूरू जिले में कोहरे और कड़ाके की सर्दी की गिरफ्त में है. आलम यह है कि सर्दी रात के साथ-साथ अब दिन में भी धुजनी छुड़ाने लगी है. दो दिन से चूरू 'कोल्ड डे' की स्थिति में है. इसका कारण दिन के तापमान में अचानक गिरावट आना है. मौसम विभाग के अनुसार दिन का तापमान 16 डिग्री से नीचे चले जाने पर कोल्ड डे होता है. जिले में रात का तापमान जमाव बिंदू के आसपास पहुंच रहा है. जिससे पाले व शीतलहर की वजह से फसलों में नुकसान होने की संभावना बढ़ जाती है.
शीतलहर से करें बचाव
चूरू कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ अजीत सिंह ने बताया कि जिले में इस समय रबी की फसलें गेंहू, जौ, सरसों, चना तारामीरा समेत अन्य सभी फसलें सामान्य स्थिति में हुई है. मौसम की कुछ विपरीत परिस्थितियों में फसलों में नुकसान होने की संभावना बढ़ जाती है जो पैदावार को काफी हद तक प्रभावित कर सकता है. पिछले वर्ष तेज सर्दी के कारण, सरसों, गेंहू, जौ, इश्बगोल आदि फसलों में काफी नुकसान हुआ था. किसानों को चाहिए कि वह फसल को मौसम की इस प्रतिकूल परिस्थिति से बचने के लिए अपने खेत में कुछ उपाए करें, जिससे पाले व शीतलहर से होने वाले नुकसान को कम किया जा सके.

पाले से फसलों में होने वाले नुकसान
कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक चौधरी ने बताया कि गेंहू फसल में पाले व शीतलहर की वजह से वानस्पतिक वर्दी व बालियों पर विपरीत प्रभाव पड़ता है, जिससे दोनों की क्वालिटी व उपज प्रभावित होती है. सरसों की फसल में पाले व शीतलहर की वजह से फली में दोने फटने व सिकुड़ने की समस्या आती है. जिससे उपज काफी कम हो जाती है. चने की फसल में पाले व शीतलहर की वजह से फसल जल जाती है व फसल की वानस्पतिक वृद्धि प्रभावित होती है. जौ की फसल में भी पाले की वजह से वानस्पतिक वद्धि पर प्रभाव पड़ता है.

खेतों में ऐसे उपाय कर सकते हैं किसान
संयुक्त निदेशक चौधरी ने बताया कि रबी की फसलों में पाला पड़ने की संभावना होने पर खेत में सिचाई कर दें. नमी युक्त भूमि में गर्मी काफी देर तक बनी रहती है और भूमि का तापक्रम एकदम कम नहीं होता है. इस प्रकार भूमि में पर्याप्त नमी होने पर फसल को शीतलहर व पाले से नुकसान की संभावना कम रहती है. पाले पड़ने की संभावना होने पर रात में खेत के आसपास धुआं कर देना चाहिए, जिससे फसल के आसपास के तापमान में गिरवट आ जाती है. फसल की शीतलहर और पाले से सुरक्षा के दीर्घकालिक उपाय के रूप में खेत की उतर पश्चिम दिशा में मेड़ों पर वायु वृक्ष जैसे शीशम, बबूल व खेजड़ी आदि लगाए.
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