Rajasthan News: काल सोना कहे जाने वाली अफीम में केंद्र सरकार द्वारा CPS पद्धति लागू करने से अफीम किसान खासे नाराज दिखाई दे रहे हैं. लोकसभा चुनाव से पहले अफीम किसान भी लामबंद होते नजर आ रहे हैं. राजस्थान के चित्तौड़गढ़, प्रतापगढ़ में बड़े पैमाने पर अफीम की खेती की जाती है. अकेले चित्तौड़गढ़ के तीन खण्ड में करीब 20 हजार से अधिक अफीम खेती के लाइसेंस दिए गए हैं.
भारतीय अफीम किसान संघर्ष समिति केंद्र सरकार की नई अफीम नीति के तहत सीपीएस पद्धति का विरोध कर रही है. इसको लेकर आज मध्य प्रदेश के नीमच जिला मुख्यालय पर राजस्थान और एमपी के अफीम किसान सम्मेलन आयोजित कर सीपीएस पद्धति का विरोध जताएंगे. पिछले दो तीन सालों में केंद्र सरकार ने देश में अफीम किसानों को अफीम बुवाई के मिलने वाले पट्टों में सीपीएस पद्धति के लाइसेंस देने का आंकड़ा में इजाफा किया है. हर साल करीबन 10 फीसदी अफीम पट्टे सीपीएस पद्धति से अफीम किसानों को दिए जा रहे हैं. अफीम किसान सीपीएस पद्धति का विरोध कर रहे हैं.
क्या हैं सीपीएस पद्धति
विदेशों में अधिकांश जगहों पर सीपीएस पद्धति ही लागू है. सीपीएस पद्धति के तहत जब खेत में खड़ी अफीम के पौधे पर डोडा पूर्ण परिपक्व हो जाता है तो किसान अफीम डोडे पर चीरा लगाकर अफीम लुवाई नहीं सकता है. अफीम डोडे से करीब 6 इंच तक नीचे के भाग को काटकर अफीम के डोडे को बिना चीरा लगाए उसे नारकोटिक्स विभाग को देना होता है. अफीम के डोडे को मशीन में डालकर उससे अफीम निकाली जाती है. इससे अफीम की चोरी, तस्करी जैसे अपराधों पर अंकुश लग सकता है.
क्या हैं गम पद्धति
खेत में खड़ी अफीम फसल पर एक-एक डोडा पर 4 से 5 बार चीरा लगाकर अफीम एकत्र कर उसे नारकोटिक्स विभाग को प्रति आरी के हिसाब से निर्धारित वजन में अफीम तुलवा कर जमा करवानी होती है. अफीम का कम उत्पादन देने, अफीम में मिलावट करने पर उस किसान का पट्टा काट दिया जाता है.
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