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मेवाड़-मारवाड़ के आराध्य चारभुजानाथ मंदिर में दर्शन करने जाएंगे CM भजनलाल शर्मा, जानें इससे जुड़ी मान्यताएं

Bhajan Lal Sharma Charbhuja Mandir Visit: मिली जानकारी के अनुसार, 4 जनवरी को मुख्यमंत्री का प्रस्तावित कार्यक्रम सुबह 11 बजे से शुरू होगा. दोपहर करीब 1:45 बजे वे गढ़बोर में चारभुजा नाथ जी के दर्शन करने जाएंगे.

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मेवाड़-मारवाड़ के आराध्य चारभुजानाथ मंदिर में दर्शन करने जाएंगे CM भजनलाल शर्मा, जानें इससे जुड़ी मान्यताएं
चारभुजा मन्दिर, राजसमंद.

Rajasthan News: राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा (Bhajan Lal Sharma) गुरुवार को पाली और राजसमंद के दौरे पर आने वाले हैं. इस दौरान वे गागुड़ा और रीछेड़ में विकसित भारत संकल्प यात्रा कैंप का अवलोकन करेंगे. इसके साथ ही वे कुंभलगढ़ सब डिवीजन के गढ़बोर में स्थित चारभुजा नाथ जी मंदिर (Shree Charbhuja Nath Ji Main Mandir) में दर्शन करने जाएंगे. मेवाड़ और मारवाड़ के आराध्य चारभुजानाथ (गढ़बोर) मंदिर की परंपराएं और सेवा-पूजा की मर्यादाएं अनूठी हैं. 

पांडवों ने थी मंदिर की स्थापना

करीब 5285 साल पहले पांडवों के हाथों स्थापित इस मंदिर में कृष्ण का चतुर्भुज स्वरूप विराजित है. यहां के पुजारी गुर्जर समाज के 1000 परिवार हैं. इनमें सेवा-पूजा नंबर (ओसरा) में बंटा हुआ है. इसके अनुसार कुछ परिवारों का नंबर जीवन में सिर्फ एक बार (48 से 50 साल में) तो किसी को 4 साल के अंतर में आता है. हर अमावस्या को नंबर बदलता है और अगला परिवार मुख्य पुजारी बनता है. इसका निर्धारण बरसों पहले गोत्र और परिवारों की संख्या के अनुसार हुआ था, जो अब भी चल रहा है. अभी पुजारी भरत गुर्जर के परिवार का नंबर चल रहा है, वे ही राजस्थान के नए मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा को पूजा करवाएंगे.

ओसरा चलने तक मंदिर में ही रहते हैं पुजारी

ओसरे के दौरान पाट पर बैठ चुके पुजारी को एक महीने के कठिन तप, मर्यादाओं में रहना पड़ता है. ओसरा चलने तक पुजारी घर नहीं जा सकते हैं, उन्हें मंदिर में ही रहना पड़ता है. परिवार या सगे-संबंधियों में मौत होने पर भी पूजा का दायित्व निभाना होता है. किसी भी कारण से मर्यादा भंग होने पर पुजारी स्नान कर नई धोती पहनते हैं. पूजा के ओसरे में एक महीने हर प्रकार के व्यसन से दूर रहने, बदन पर साबुन नहीं लगाने, ब्रह्मचर्य पालन की मर्यादाएं निभाते हैं. भगवान की रसोई में ओसरा निभाने वाले परिवार द्वारा चांदी के कलश में लाया जल ही काम में लिया जाता है.

मंदिर के बारे में ये भी रोचक

- शंख, चक्र, गदा, ढाल-तलवार, भाला ठाकुरजी को धराए जाते हैं.
- मान्यता है कि प्रतिमा स्थापना के बाद पांडवों ने बद्रीनाथ में जाकर शरीर त्यागा था.
- शृंगार में मोर मुकुट, बंशी सहित रत्नजड़ित मालाओं का आभूषण धराया जाता है.
- सुबह 8 बजे से शाम 7.30 बजे तक खुले रहते हैं दर्शन.
- जन्माष्टमी पर भगवान के पोतड़े धोने की परंपरा निभाई जाती है.

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