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Rajasthan: जयपुर में एकमात्र श्‍वेत स‍िद्धी व‍िनायक, जहां आषाढ़ी अमावस्या पर 8 घंटे लगातार होता है दुग्‍धाभिषेक

Rajasthan: जयपुर के महाराज रामस‍िंह ने दुग्‍धाभ‍िषेक शुरू क‍िया था. जो आज तक जारी है. यहां स‍िंदूर नहीं चढ़ता, बल्‍क‍ि दूध और जल से अभ‍िषेक होता है. 

Rajasthan: जयपुर में एकमात्र श्‍वेत स‍िद्धी व‍िनायक, जहां आषाढ़ी अमावस्या पर 8 घंटे लगातार होता है दुग्‍धाभिषेक
श्वेत सिद्धी विनायक. (फाइल फोटो)

Rajasthan: आज आषाढ़ी अमावस्‍या है. यह आषाढ़ की प‍ितृ कार्य और देवकार्य अमावस्‍या है. मृगश‍िरा नक्षत्र का संयोग होने से सर्वार्थ स‍िद्धी योग बन रहा है. ज‍िसका महत्‍व बढ़ जाता है. आज (25 जून) मृगश‍िरा नक्षत्र में मोतीडूंगर गणेशजी, नहर के गणेशी, परकोटा गणेश जी का उत्सव मनाया जाएगा. श्वेत सिद्धि विनायक मंदिर में भगवान गणपति का दुग्धाभिषेक सुबह 5 बजे से शुरू हो गया. यह 8 घंटे तक चलेगा. 

दोपहर 1 बजे तक होगा दुग्धाभिषेक 

श्‍व‍ेत स‍िद्धी व‍िनायक जयपुर के सूरजपोल बाजार में है. आज आषाढ़ी अमावस्‍या को सुबह 5 बजे से ही दुग्‍धाभ‍िषेक शुरू हो गया, जो दोपहर 1 बजे तक चलेगा. इसके बाद स्‍नान कराकर नया कपड़ा पहनाया जाएगा. शाम को भजन संध्‍या होगा. जयपुर शहर में यह एक मात्र मंदिर जिसमें श्वेत सिद्धि विनायक के साथ रिद्धि-सिद्धि मुषक देव विराजमान हैं. 

200 साल पहले मंदिर की हुई थी स्थापना 

इस मंद‍िर की स्‍थापना करीब 200 साल पहले हुई थी. यहां स‍िंदूर नहीं चढ़ाया जाता है. दूध और जल से अभ‍िषेक होता है. कहा जाता है क‍ि जयपुर के महाराजा रामस‍िंह का न‍ियम था क‍ि वे गलता तीर्थ में स्‍नान करने जाते थे. लौटते समय श्‍वेत स‍िद्ध‍ि व‍िनायक के दुग्‍धभ‍िषेक करते थे. इसके बाद राजगद्दी पर बैठकर राजकार्य शुरू करते थे. मंदिर की स्थापना पुष्य नक्षत्र में बसंत पंचमी पर की गई थी. ये पूर्व मुखी गणेश मंदिर है.

सर्प की जनेऊ धारण किए हैं 

सूर्य की पहली क‍िरण भगवान गणेश के चरणों में अभ‍िषेक करती है. प्रत‍िमा की स्‍थापना तांत्र‍िक व‍िध‍ि-व‍िधान से की गई थी. गणेश जी के पांच सर्पों का बंधेज है. चारों भुजाओं पर सर्पाकार मण‍िबंध और पैरों में पैजनी है. गणेश जी ने सर्प की ही जनेऊ धारण किए हैं. यहां यहां राहु-केतु के प्रयोग होते हैं.

गणेश प्रत‍िमा तांत्र‍िक प्रत‍िमा है

भगवान गणेश अैर र‍िद्ध‍ि-स‍िद्धि‍ के हाथों में सोने की कलश हैं. ये गणेश प्रत‍िमा तांत्र‍िक प्रत‍िमा है. इसका मतलब तत्‍काल फल देने वाली प्रत‍िमा. ऐसी मान्‍यता है क‍ि इस मंद‍िर में भगवान गणेश तत्‍काल भक्‍तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं. प्रदेश का एकमात्र मंदिर है, जहां भगवान गणेश का दुग्ध अभिषेक होता है. ऐसा माना जाता है क‍ि  यहां पर सात बुधवार आने से भक्तों को मनोकामनाएं पूरी होती हैं. 

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