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कौन हैं सुशील कुमार बिस्सू? साधारण किसान परिवार आए... बने RPSC के नए सदस्य

RPSC के लिए तीन नए सदस्यों का चुनाव किया है. जिसमें सेवानिवृत्त IPS ऑफ़िसर हेमंत प्रियदर्शी, डॉ. अशोक कलवार और प्रोफ़ेसर सुशील कुमार बिस्सू का नाम शामिल है.

कौन हैं सुशील कुमार बिस्सू? साधारण किसान परिवार आए... बने RPSC के नए सदस्य
सुशील कुमार विशु

Sushil Kumar Vishu: राजस्थान सरकार ने राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) के लिए तीन नए सदस्यों का चुनाव किया है. जिसमें सेवानिवृत्त IPS ऑफ़िसर हेमंत प्रियदर्शी, डॉ. अशोक कलवार और प्रोफ़ेसर सुशील कुमार विशू का नाम शामिल है. यह तीनों सदस्य अलग-अलग क्षेत्र से आए हैं. जहां हेमंत प्रियदर्शी प्रशासनिक अधिकारी रह चुके हैं. वहीं अशोक कलवार एक डॉक्टर है और कैंसर स्पेशलिस्ट हैं. जबकि सुशील कुमार विशु शिक्षा जगत से ताल्लुक रखते हैं और वह एक प्रोफेसर हैं. सुशील कुमार बिस्सू का जीवन साधारण रहा है और वह साधारण किसान परिवार से आते हैं. लेकिन उन्होंने अपने जीवन में शिक्षा जगत में कई उपलब्धियां हासिल की है. चलिए आपको उनके बारे में बताते हैं.

किसान परिवार से निकल कर बने शिक्षा जगत की शख्सियत

अजमेर के पंचशील नगर निवासी सुशील कुमार बिस्सू का जीवन सफर साधारण किसान परिवार से शुरू होकर शिक्षा जगत की बड़ी उपलब्धियों तक पहुंचा. उनका जन्म 5 मार्च 1965 को हरियाणा के गोदी का गांव में हुआ. शुरुआती शिक्षा अहमदपुर डारे वाला और पक्का सारण, हनुमानगढ़ के सरकारी विद्यालय में पूरी की. इसके बाद गंगानगर दव स्कूल से 11वीं की शिक्षा ली और उच्च शिक्षा के लिए खालसा कॉलेज गंगानगर का रुख किया. यहां से उन्होंने बीएससी और एमएससी की डिग्री हासिल की. इसके बाद उदयपुर की सुखाड़िया यूनिवर्सिटी से पीएचडी पूरी कर उन्होंने शिक्षा क्षेत्र में नई ऊंचाइयां पाई.

बताया जाता है कि सुशील कुमार बिस्सू अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के प्रदेश उपाध्यक्ष भी रहे हैं.

शिक्षा और प्रशासनिक जिम्मेदारियों में निभाई अहम भूमिका

शिक्षा के क्षेत्र में योगदान देते हुए सुशील कुमार बिस्सू ने 1992 में नोहर में व्याख्याता के रूप में कार्यभार ग्रहण किया. लंबे समय तक विभिन्न शिक्षण पदों पर रहते हुए उन्होंने विद्यार्थियों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने का काम किया. शिक्षा क्षेत्र में सक्रिय रहते हुए वे प्रशासनिक जिम्मेदारियों तक भी पहुंचे और सहायक निदेशक अजमेर संभाग बने. अपनी सेवाओं के दौरान उन्होंने शिक्षा व्यवस्था को सुधारने और छात्रों को बेहतर अवसर उपलब्ध कराने में अहम भूमिका निभाई. 31 मार्च 2025 को वे सहायक निदेशक पद से सेवानिवृत्त हुए और अपने 30 साल के सेवा को एक प्रेरणादायक सफर के रूप में छोड़ा.

परिवार और पर्यावरण सेवा से जुड़ा नया जीवन

सेवानिवृत्ति के बाद सुशील कुमार बिस्सू अब परिवार और समाज की ओर पूरी तरह से समर्पित हैं. उनकी धर्मपत्नी सुमन लता एक कॉलेज में प्रोफेसर हैं. उनकी दो बेटियां उच्च शिक्षा और रोजगार से जुड़ी हुई हैं—एक नोएडा में नौकरी कर रही है, जबकि दूसरी सेंट्रल यूनिवर्सिटी से पीजी कर रही है. घर-परिवार की जिम्मेदारियों के साथ-साथ वे पर्यावरण संरक्षण को भी गंभीरता से निभा रहे हैं. लगातार पौधारोपण कर वे हरियाली और स्वच्छ पर्यावरण को बढ़ावा देने की दिशा में कार्य कर रहे हैं. शिक्षा और सेवा का यह संतुलन उन्हें समाज में एक प्रेरणा स्रोत बनाता है.

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