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कौन थे कर्पूरी ठाकुर? जिन्हें लोकसभा चुनाव से ठीक पहले भारत रत्न देने का किया गया ऐलान

कर्पूर ठाकुर बिहार में सबसे बड़े जननायक के रूप में जाने जाते हैं. क्योंकि वह ऐसे पहले नेता थे जो  सामाजिक भेदभाव और असमानता के खिलाफ बड़ा आवाज बने.

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कौन थे कर्पूरी ठाकुर? जिन्हें लोकसभा चुनाव से ठीक पहले भारत रत्न देने का किया गया ऐलान
जननायक कर्पूरी ठाकुर को मरणोपरांत भारत रत्न.

Karpoori Thakur Bharat Ratna: कर्पूरी ठाकुर को जननायक के रूप में जाना जाता है. बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री रह चुके कर्पूरी ठाकुर को मरणोपरांत भारत रत्न देने का ऐलान किया गया है. उन्हें काफी समय से भारत रत्न देने की मांग की जा रही थी. लेकिन अब उन्हें लोकसभा चुनाव से ठीक पहले भारत रत्न (Bharat Ratna) देने का ऐलान किया गया है. बता दें, बिहार की राजनीति में कर्पूरी ठाकुर का कद सबसे ऊपर था. हालांकि, उन्होंने ज्यादा वक्त विपक्ष की राजनीति में ही बिताया था.

कर्पूर ठाकुर बिहार में सबसे बड़े जननायक के रूप में जाने जाते हैं. क्योंकि वह ऐसे पहले नेता थे जो  सामाजिक भेदभाव और असमानता के खिलाफ बड़ा आवाज बने. जीवन भर संघर्ष किया और बिहार की राजनीति में गरीबों और दबे-कुचले वर्ग की आवाज बनकर उभरे थे.

कर्पूरी ठाकुर बिहार में पहले गैर कांग्रेसी सीएम

बिहार में आज राजनीति का परिदृश्य बदल चुका है. लेकिन बिहार में कर्पूरी ठाकुर पहले गैर कांग्रेसी मुख्यमंत्री रहे थे. वह राज्य में दो बार सीएम और एक बार डिप्टी सीएम रहे हैं. 1952 में हुए पहली विधानसभा के चुनाव जीते थे. 1977 में जयप्रकाश नारायण की संपूर्ण क्रांति के बाद बिहार में भी सत्ता बदली और वो जनता पार्टी सरकार के मुख्यमंत्री बनाए गए. हालांकि, सीएम बनने से पहले 1967 में वह डिप्टी सीएम बने थे. तब वह शिक्षा मंत्री के रूप में भी सरकार में थे.

कौन थे कर्पूरी ठाकुर

कर्पूरी ठाकुर का जन्‍म बिहार के समस्तीपुर जिले के पितौझिया गांव में 1924 में हुआ था. कर्पूरी ठाकुर एक गरीब परिवार से संबंध रखते थे और बेहद ईमानदार और सादा जीवन जीने के लिए जाने जाते थे. कर्पूरी ठाकुर स्‍वतंत्रता सेनानी के साथ एक शिक्षक और सफल राजनेता भी थे. 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में भी वो शामिल रहे. मुख्यमंत्री रहते उन्होंने बिहार में शिक्षा व्यवस्था को सुधारने के लिए कई उपाय किए. उन्होंने देशी और मातृभाषा को बढ़ावा देने के लिए तब की शिक्षा नीति में बदलाव किया था. वो भाषा को रोजी-रोटी से जोड़कर देखते थे. 

मुख्यमंत्री के रूप में अपने संक्षिप्त कार्यकाल के दौरान कर्पूरी ठाकुर ने बिहार में शराब पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया था. हालांकि दलितों ने इसका विरोध किया, जिनका रोजगार ताड़ी के व्यापार पर निर्भर था. वह जननायक के रूप में जाने जाते थे. उन्‍होंने अपना पूरा जीवन बिहार में सामाजिक रूप से पिछड़े समुदायों के लिए समर्पित कर दिया. 

दलित और पिछड़ों के लिए कर्पूरी ठाकुर ने जीवन भर काम किया. नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव जैसे नेताओं ने उन्‍हीं की राह पर चलते हुए अपनी राजनीति चमकाई.

कर्पूरी ठाकुर का निधन 64 साल की उम्र में 17 फरवरी, 1988 को दिल का दौरा पड़ने से हुआ था. मृत्यु के 35 साल बाद उन्हें अब भारत रत्न देने की घोषणा की गई है.

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