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Rajasthan: रेगिस्तान के जहाज़ ऊंट के अस्तित्व को क्यों है ख़तरा? गृह मंत्री अमित शाह को देना पड़ा भरोसा

ऊंटों के संरक्षण के लिए सरकारी स्तर पर कई प्रयास किए जा रहे हैं. राजस्थान सरकार ने ऊंट पालकों की आमदनी बढ़ाने के लिए कई योजनाएं भी चलाई है.

Rajasthan: रेगिस्तान के जहाज़ ऊंट के अस्तित्व को क्यों है ख़तरा? गृह मंत्री अमित शाह को देना पड़ा भरोसा
ऊंट को रेगिस्तान का जहाज़ कहा जाता है

Jaisalmer: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह गुरुवार, 17 जुलाई को राजस्थान के दौरे पर आए. उन्होंने जयपुर के दादिया में सहकार एवं रोजगार उत्सव को संबोधित करते हुए कई मुद्दों पर बात की. अमित शाह सहकारिता विभाग के भी मंत्री हैं. दादिया में अपने संबोधन में अमित शाह ने राजस्थान के राज्य पशु ऊंट का भी ज़िक्र किया जिसे रेगिस्तान का जहाज़ भी कहा जाता है. अमित शाह ने कहा,"राजस्थान को पूरा देश ऊंटों की भूमि के रूप में जानता है. हमने कोऑपरेटिव का उपयोग कर, ऊंटों का नस्ल संरक्षण और ऊंटनी के दूध पर रिसर्च शुरू किया है जिससे आने वाले दिनों में ऊंटों के अस्तित्व पर कोई ख़तरा नहीं आएगा."

ऊंटों की संख्या में आती कमी

केंद्रीय मंत्री ने यह भरोसा इसलिए दिया है क्योंकि राजस्थान में पिछले कुछ समय से ऊंटों के अस्तित्व को लेकर चिंता जताई जा रही है. राजस्थान में 1992 में ऊंटों की संख्या 7 लाख 46 हज़ार थी. इसमें तेज़ी से गिरावट आती जा रही है. ऐसा अनुमान है कि 1992 से ऊंटों की संख्या में 75 प्रतिशत की कमी आई है, और अभी प्रदेश में दो से ढाई लाख के बीच ऊंट बचे होंगे.

ऊंटों की संख्या में कमी की वजह

जानकारों का कहना है कि राजस्थान में ऊंटों की घटती संख्या की सबसे बड़ी वजह आधुनिकता है जिससे ऊंटों की उपयोगिता कम हो गई है. सड़कों के बिछते जाल से अब रेगिस्तान में आवागमन के दूसरे साधन सुलभ हो गए हैं. इसके साथ ही रेगिस्तान का क्षेत्र घटने और चारागाहों की कमी की वजह से भी ऊंटों की जनसंख्या में काफी गिरावट आई है.

जैसलमेर निवासी और इस वर्ष के लिए मिस्टर डेज़र्ट का खिताब पानेवाले धीरज पुरोहित कहते हैं, "अब लोगों के पास संसाधन हैं और समय काफी तेज़ी से आगे बढ़ गया है. पहले ऊंट हमारी रोज़मर्रा की ज़िंदगी का हिस्सा था. हम उसे शादियों में ले जाते थे, बारात इसी पर जाते थे, ऊंट खेल का भी हिस्सा थे और ऊंटों पर पोलो खेले जाते थे. लेकिन अब आधुनिकता की वजह से वो सब कम हो गया है."

"पहले ऊंट हमारी रोज़मर्रा की ज़िंदगी का हिस्सा था. हम उसे शादियों में ले जाते थे, बारात इसी पर जाते थे, ऊंट खेल का भी हिस्सा थे और ऊंटों पर पोलो खेले जाते थे. लेकिन अब आधुनिकता की वजह से वो सब कम हो गया है." - धीरज पुरोहित, मिस्टर डेज़र्ट, जैसलमेर

संरक्षण के प्रयास

ऊंटों के संरक्षण के लिए सरकारी स्तर पर कई प्रयास किए जा रहे हैं. राजस्थान सरकार ने ऊंट पालकों की आमदनी बढ़ाने के लिए कई योजनाएं भी चलाई है. ऊंट संरक्षण और विकास मिशन के तहत ऊंटपालकों को सरकारी योजनाओं से जोड़ने के साथ साथ ऊंट संरक्षण के लिए प्रयास किए जा रहे हैं.

धीरज कहते हैं, "सरकार इसे लेकर चिंतित है और कई प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन यदि ऊंटों के संरक्षण में जन भागीदारी होगी तो हम उन्हें और बेहतर तरीके से बचा सकते हैं. जैसे ऊंटों के दूध के प्रोडक्ट, ऊंटों से पर्यटन और ऊंटों से सफारी जैसी चीजें की जा सकती हैं. इससे ऊंट ही नहीं बचेंगे, बल्कि ऊंटों पर निर्भर रहने वाले परिवारों की भी मदद होगी."

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