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This Article is From Dec 24, 2023

11 की उम्र बाल विवाह, NEET परीक्षा से पहले बना पिता, अब डॉक्टर बनेगा रामलाल, जोश से भर देगी आपको यह कहानी  

रामलाल की सफलता मजबूत दृढ़ इच्छाशक्ति की मिसाल है. बाल विवाह, परिवार का विरोध, आर्थिक तंगी, इतना सब होने के बावजूद लक्ष्य के प्रति अडिग रहते हुए आगे बढ़ते रहना काफी कठिन होता है.

11 की उम्र बाल विवाह, NEET परीक्षा से पहले बना पिता, अब डॉक्टर बनेगा रामलाल, जोश से भर देगी आपको यह कहानी  
नीट में सफलता के बाद रामलाल को सम्मानित करते शिक्षक

Real Life Hero: बाल विवाह समाज के लिए चुनौती है. जो बच्चों के सपने तोड़ देती है. लेकिन यहां राजस्थान के चित्तौडगढ़ जिले के घोसुंदा निवासी एलन स्टूडेंट रामलाल भोई ने इरादों की मजबूती की अलग ही मिसाल पेश की है. रामलाल ने डॉक्टर बनने की जिद ऐसे पकड़ी कि उसे न तो कोई परिस्थिति झुका सकी और न ही कोई बाधा रोक सकी.

रामलाल भोई ने कोटा में पढ़कर मेडिकल की परीक्षा नीट पास की है. और अब वह परिवार का पहला डॉक्टर बनने जा रहा है. चुनौतियों की बात करें तो रामलाल के बचपन से ही इसकी हो जाती है. मात्रा 11 वर्ष की अबोध उम्र में ही रामलाल का बाल विवाह हो गया था. तब वह कक्षा 6 में ही था. मगर बाल विवाह के बाद भी उसने पढ़ना नहीं छोड़ा.

समाज की पिछड़ी सोच के चलते रामलाल का पढ़ाई करना इतना भी आसान नहीं था. उसके पिता नहीं चाहते थे कि 10वीं के बाद वह पढ़ाई करे. लेकिन बेटे की जिद थी कि आगे पढ़ाई करनी है. लोगों के बहकावे में आकर एक बार तो पिता ने रामलाल को पीटा और पढ़ाई नहीं करने की बात कही. लेकिन रामलाल के संकल्प और समर्पण का स्तर अलग ही था. उसने पढ़ाई जारी रखी.

अपनी माँ, पत्नी और बच्चे के साथ रामलाल

अपनी माँ, पत्नी और बच्चे के साथ रामलाल

जब दोस्तों के पिता ने घर आकर समझाया तो रामलाल के पिता ने आगे की पढ़ाई में सहयोग करने लगे. पिता ने फिर आगे की पढ़ाई के लिए कर्ज भी लिया. जुनूनी बेटे ने खूब मेहनत की और आखिरकार पांचवें प्रयास में नीट क्रेक कर दिखाया. अब रामलाल राजनीति में जाकर देश और समाज की जनसेवा करना चाहता है.

रामलाल ने नीट परीक्षा में 632 अंक हासिल किए हैं. उसकी ऑल इंडिया रैंक 12,901 है. वहीं कैटेगिरी रैंक 5137 है.

पत्नी ने मेरे लिए खुद की पढ़ाई छोड़ी

रामलाल ने बताया कि मेरी शादी आज की उम्र में होती तो मैं उसका विरोध भी करता लेकिन तब मुझे क्या पता था कि मेरे साथ क्या हो रहा है? मुझे तो मजा आ रहा था. लोग नाच रहे थे. मेहमान आ-जा रहे थे. इस तरह मेरी शादी हो गई. विवाह के समय मेरी उम्र 11 साल थी और कक्षा 6 में पढ़ता था. मेरी पत्नी भी हम उम्र है.

छठें प्रयास में पास की नीट, छह माह पूर्व ही पिता भी बना 

करीब छह साल पहले पत्नी ने ससुराल में आकर रहना शुरू कर दिया था. वो खुद 10वीं तक पढ़ी हुई है. हमारे समाज में शिक्षा को इतना महत्व नहीं दिया जाता है. और ऐसे में कोई लड़की 10वीं तक पढ़ ले तो बहुत बड़ी बात मानी जाती है. वो भी 10वीं के बाद पढ़ना चाहती थी लेकिन मेरी पढ़ाई के लिए उसने खुद का त्याग किया और ससुराल की जिम्मेदारियां संभाली. मैं लगातार नीट की तैयारी में लगा हुआ था और सलेक्शन हो नहीं रहा था. इस वजह से हमारे बीच काफी झगड़े होते थे. लेकिन मेरा जुनून देखकर उसने मेरा साथ दिया. नीट यूजी 2023 परीक्षा से छह माह पूर्व ही उसने बेटी को जन्म दिया है. 

नीट के बारे में पता नहीं था 

रामलाल ने आगे बताया कि हमारे परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर थी. गांव के ही सरकारी स्कूल से मैंने 10वीं कक्षा 74 प्रतिशत अंकों से पास की. इसके बाद 11वीं में मेरा दोस्त एग्रीकल्चर सब्जेक्ट ले रहा था तो मैं भी उसके साथ एग्रीकल्चर विषय में एडमिशन लेने के लिए उदयपुर चला गया. लेकिन वहां जाने के बाद शिक्षकों ने बॉयोलॉजी विषय और नीट परीक्षा के बारे में जानकारी दी. मुझे तब तक नहीं पता था कि नीट जैसा कोई एग्जाम देने के बाद डॉक्टर बनते हैं. फिर मैंने बॉयोलॉजी विषय के साथ 11वीं और 12वीं कक्षा पास की. इस दौरान मैं समाज कल्याण विभाग की ओर से संचालित अम्बेडकर छात्रावास में रहता था. जो कि निशुल्क था.

जब मैं नीट की तैयारी के लिए कोटा आने लगा तो लोगों ने कहा कि ‘क्या करेगा पढ़कर? मेरे दोनों माता-पिता दोनों निरक्षर हैं. लेकिन मैंने ठान लिया था कि डॉक्टर तो बनकर ही रहना है.

पढ़ाई करने के लिए घर से भागा

जब मैं नीट की तैयारी के लिए कोटा आने लगा तो लोगों ने कहा कि ‘क्या करेगा पढ़कर ? माता-पिता दोनों निरक्षर हैं. 10वीं कक्षा के बाद पिता पढ़ाना नहीं चाहते थे. इसके लिए उन्होनें मुझे मारा तक लेकिन मैं घर से भागकर उदयपुर गया और वहां एडमिशन लिया. बाद में दोस्त के पिता ने उन्हें समझाया तो वे मान गए. मैंने वर्ष 2019 में 12वीं कक्षा 81 प्रतिशत अंको से पास की.

आर्थिक स्थिति काफी कमजोर 

राजस्थान के चित्तौड़गढ जिले के घोसुन्दा में भेड़च नदी किनारे हमारा कच्चा घर बना हुआ है. छत पर केलुवे डले हुए हैं. बिजली कनेक्शन है लेकिन आधे समय बिजली गुल रहती है. गांव के सरकारी नल से पानी भरकर लाते हैं. पिता गणेश भोई दूसरों के खेत जोतते हैं, तो मां कमला देवी खेत से मिलने वाले चारे को रोजाना चित्तौड़गढ़ ले जाकर बेचती है. मम्मी-पापा दोनों का मजदूर कार्ड भी बना हुआ है. कभी-कभार काम आ जाता है. तो मजदूरी करने चले जाते हैं. माता-पिता के अलावा हम पांच भाई-बहिन हैं. जिनमें दो बहिनों की शादी हो चुकी है.

निजी कोचिंग की शिक्षा और सहयोग 

मैंने नीट का पहला अटैम्प्ट 12वीं कक्षा के साथ ही वर्ष 2019 में दिया था. सेल्फ स्टडी से मैंने 350 मार्क्स हासिल किए. दूसरा अटैम्प्ट नीट 2020 में 320 मार्क्स आए. दूसरी बार मार्क्स पहली बार से भी कम आए लेकिन जुनून था कि बनना तो डॉक्टर ही है. फिर नीट 2021 का अटैम्प्ट दिया जिसमें 362 मार्क्स आए.

स्कूल के शिक्षकों ने कोटा में एक कोचिंग में एडमिशन लेने की सलाह दी. क्योंकि उन्हें विश्वास था कि मैं नीट क्रेक कर सकता हूं. पापा की स्थिति नहीं थी कि मुझे कोटा भेज सकें. मगर उन्होंने कर्ज लेकर मुझे कोटा भेजा ताकि मैं वह अपनी पढ़ाई जारी रख सकूं. कोटा आने के बाद मेरी परफॅार्मेन्स में इम्प्रूवमेंट आया. और नीट 2022 में 490 मार्क्स आए. मैंने एक बार आखिरी मौका खुद को दिया और नीट 2023 की तैयारी में जुट गया.

बेटे ने आंखें खोली 

पिता गणेश भोई ने बताया कि हमारे समाज में पढ़ाई को इतना महत्व नहीं देते हैं. और बेटियों को पढ़ाने के लिए तो समाज सख्त खिलाफ है. बेटे ने हमें पढ़ाई का महत्व बताया और आज वो डॉक्टर बन रहा है. तो हमारी खुशी की सीमा नहीं है. अब समाज और गांव वाले कहते हैं कि रामलाल की जिद पूरी हो गई वो डॉक्टर बन रहा है. हमारे पांच बच्चे हैं. अभी छोटी बेटियां पढ़ रही हैं. दो बेटियों की शादी हो चुकी है. अब हम आगे भी बच्चों की पढ़ाई का ध्यान रखेंगे.

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