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Navratri 2024: राजस्थान के प्रसिद्ध दुर्गा माता मंदिर, जिनके दर्शन से भक्तों की मनोकामना होती है पूरी

राजस्थान के कुछ प्रसिद्ध मंदिर, जहां पर भक्त अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए मां दुर्गा के दर्शन करने आते हैं. एक मंदिर तो ऐसा है, जिसके चमत्कार के आगे औरंगजेब भी नतमस्तक हो गया था.

Navratri 2024: राजस्थान के प्रसिद्ध दुर्गा माता मंदिर, जिनके दर्शन से भक्तों की मनोकामना होती है पूरी

Navratri 2024: गुरुवार यानी 03 अक्टूबर से नवरात्रि शुरू हो रही है. इस बार नवमी की पूजा और विजयादशमी का पर्व भी एक ही दिन मनाया जायेगा. नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापित करने पर दुर्लभ इंद्र योग का बन रहा है. नवरात्रि पर राजस्थान के अलग-अलग मंदिरों में भक्त माता के दर्शन के लिए पहुंचेंगे. हम आपको राजस्थान के ऐसे प्रसिद्ध मंदिरों के बारे में बताएंगे. जहां पर भक्त अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए मां दुर्गा के दर्शन करने आते हैं.

बीकानेर का करणी माता मंदिर- करणी मां को मां दुर्गा का साक्षात अवतार माना जाता है. इस मंदिर में 25 हजार से ज्यादा चूहे हैं. इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि शाम में मां की आरती के वक्त चूहे बिलों से बाहर आ जाते हैं. मन्दिर में सफेद चूहे का दर्शन मंगलकारी माना जाता है. मन्दिर का निर्माण बीकानेर के महाराजा गंगा सिंह ने राजपूत शैली में लगभग १५-२०वीं सदी में करवाया था.

शाकंभरी माता मंदिर- जयपुर से 100 किमी दूर सांभर कस्बे में ये मंदिर है. ऐसी मान्यता है कि राक्षसों की वजह से पृथ्वी पर अकाल पड़ा था, तब देवताओं और मनुष्यों ने देवी की आराधना की तो आदिशक्ति ने नव रूप धारण करके पृथ्वी पर दृष्टि डाली. शाकंभरी मां के पूरे भारत में 3 शक्तिपीठ है. 

सीकर का जीण माता मंदिर- ऐसी मान्यता है कि मां के चमत्कार के सामने औरंगजेब भी नतमस्तक हो गया था. कहा जाता है कि इस मंदिर में औरंगजेब को भी नतमस्तक होना पड़ा था,मंदिर के चमत्कार से वो इतना प्रभावित हुआ था कि उसने मंदिर में अखंड ज्योति शुरू कर उसका तेल दिल्ली दरबार से भेजना शुरू किया था.

कैला देवी मंदिर- भगवान श्रीकृष्ण की बहन इस मंदिर में विराजित हैं. मान्यता है कि कालीसिल नदी में स्नान कर माता के दर्शन से कई तरह के रोग और कष्ट दूर होते हैं. यह मन्दिर देवी के नौ शक्ति पीठों में से एक माना जाता है और इसकी स्थापना 1100 ईस्वी में की गई थी. कैला देवी मन्दिर में प्रतिवर्ष हिन्दी कैलेण्डर के अनुसार चैत्र माह (मार्च-अप्रैल) में विशाल मेले का आयोजन किया जाता है.

सिकराय का हिंगलाज माता मंदिर- मंदिर में कुछ अनोखी परंपराएं देखने को मिलती हैं. रोजाना हर घर से कनक दंडवत देते हुए श्रद्धालु माताजी के मंदिर पहुंचते हैं और ढोक लगाते हैं. हिन्दू देवी सती को समर्पित 51 शक्तिपीठों में से एक है. यहां देवी को हिंगलाज देवी या हिंगुला देवी भी कहते हैं. 

माउंट आबू- कहा जाता है कि शिव तांडव में आबू में मां के अधर गिरे थे. मां अर्बुदा देवी दुर्गा के नौ रूपों में से कात्यायनी का ही रूप हैं. मंदिर एक प्राकृतिक गुफा में है. क्षेत्र के लोग भी चमत्कारिक मंदिर के रूप में मानते है और बड़ी श्रद्धा से पूजा-अर्चना करते हैं. 

पाली का मां शीतला मंदिर- इस मंदिर में एक चमत्कारी घड़ा है. शीतला माता मंदिर में मौजूद यह घड़ा पिछले 800 सालों से नहीं भरा है. कहा जाता है कि माता शीतला मंदिर में चमत्कारी घड़े को देखने के लिए दूर-दूर से लोग यहां पर आते हैं. घड़े को भक्तों के दर्शन के लिए साल भर में सिर्फ दो बार लाया जाता है.

जैसलमेर की तनोट माता मंदिर- 1965 के भारत-पाक युद्ध में तनोट राय माता मंदिर परिसर में भी जबरदस्त बमबारी की गई थी, लेकिन माता के चमत्कार से कोई भी गोला नहीं फटा. तभी से सुरक्षा बलों के जवान इस मंदिर के प्रति श्रद्धा भाव रखते हैं.

बाड़मेर की देवी का अनूठा मंदिर- पानी को लेकर पुरानी मान्यता है. मां की पूजा कर कुएं की खुदाई की गई थी. जहां पर मीठा पानी मिला था.

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