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JNVU लॉ फैकल्टी में एडमिशन के नियमों में बदलाव, अब मेरिट अंकों पर नहीं ऐसे होगा प्रवेश

डीन के अनुसार अलग-अलग विश्वविद्यालय और बोर्ड से पास आउट विद्यार्थी एलएलबी में प्रवेश के लिए आते हैं, जिनका पर्सेंटेज और मार्किंग सिस्टम भी अलग होता है इस खामी को दूर करने के लिए प्रवेश प्रक्रिया में होगा बदलाव.

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JNVU लॉ फैकल्टी में एडमिशन के नियमों में बदलाव, अब मेरिट अंकों पर नहीं ऐसे होगा प्रवेश
विधि संकाय, जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय, जोधपुर.

JNVU Law Admission Process: राजस्थान की न्यायिक राजधानी जोधपुर में देश का प्रतिष्ठित जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय (जेएनवीयू -JNVU) के विधि संकाय का परचम देश और विदेशों में लहरा रहा है. जेएनवीयू की लॉ फैकल्टी से विधि 'LAW' की शिक्षा लेने वाले पूर्व छात्र देश की सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से लेकर प्रदेशों के मुख्य न्यायाधीश तक सेवाएं दे रहे हैं. विधि संकाय के डीन ने बतायता अब इस संकाय में प्रवेश के नियमों में कुछ परिवर्तन होने वाला है.

पूर्व सीएम गहलोत भी रह चुके हैं इस फैकल्टी के छात्र

प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी बतौर छात्र इसी फैकल्टी के छात्र रहे हैं. वहीं अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के न्यायाधीश जस्टिस दलवीर भंडारी भी इसी लॉ फैकल्टी से विधि की शिक्षा ले चुके हैं, इस विश्वविद्यालय के स्थापना के 75 वर्ष बाद अब पहली बार इस लॉ फैकल्टी में प्रवेश प्रक्रिया में बड़ा बदलाव करते हुए इस बार के नए शैक्षणिक सत्र से एंट्रेंस एग्जाम के द्वारा ही प्रवेश प्रक्रिया की शुरुआत कर रहा है

एनडीटीवी से खास बातचीत करते हुए लॉ फैकल्टी के डीन प्रोफेसर सुनील आसोपा ने बताया, 'लॉ फैकल्टी में 3 कोर्स चलते हैं, जिसमें 3 ईयर और 5 ईयर कोर्स के साथ ही पीजी कोर्स भी संचालित है. समय के साथ में परिवर्तन बहुत आवश्यक हो जाता है.'

मेरिट की बजाय होगी प्रवेश परीक्षा

प्रो. आसोपा ने कहा, 'पहले हम मेरिट के आधार पर प्रवेश देते थे. अब वर्तमान में प्रवेश के लिए अलग-अलग विश्वविद्यालय और बोर्ड से पास आउट विद्यार्थी आते हैं, जिनका पर्सेंटेज और मार्किंग सिस्टम भी अलग होता है. ऐसी स्थिति में मात्र पर्सेंटेज के आधार पर एक जैसा करना पॉसिबल नहीं होता. अब जिसका एक ही विकल्प है एंट्रेंस एग्जाम जिसका एक फायदा यह भी होता है कि गंभीर बच्चों को प्रवेश मिलता है.'

30 से अधिक पुरा छात्र रह चुके हैं सर्वोच्च पदों पर

प्रो. सुनील ने बताया कि, 'यहां से विधि की शिक्षा लेने के बाद 30 से अधिक ऐसी संख्या होगी जो न्यायिक क्षेत्र में कहीं उच्च पदों पर पहुंचे हैं. देश की सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रहे जस्टिस आरएम लोढ़ा भी इसी लॉ फैकल्टी से विधि के छात्र रहे हैं. करीब 30 से भी अधिक न्यायाधीशों की ऐसी लंबी सूची है जो इसी लॉ फैकल्टी के छात्र रहे हैं, और वर्तमान में उच्च न्यायालयों और उच्चतम न्यायालयों में न्यायाधीश के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं.'

छात्रों ने बदलाव का किया स्वागत

लॉ फैकल्टी के वर्तमान छात्रों ने भी इस नई प्रवेश प्रक्रिया का समर्थन करते हुए कहा कि इस प्रवेश प्रक्रिया को कई वर्ष पूर्व में ही आरंभ कर देना चाहिए था. जहां जिस प्रकार से सेंट्रल यूनिवर्सिटी ने इसी प्रवेश प्रक्रिया के द्वारा ही छात्रों को प्रवेश देती है. जहां इस प्रक्रिया को इसी शैक्षणिक सत्र से आरंभ किया है तो निश्चित रूप से इसका फायदा लॉ फैकल्टी के साथ ही जुडिशरी के क्षेत्र को भी मिलेगा.

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