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This Article is From Feb 05, 2024

'कांग्रेस को अब राहुल गांधी और गांधी परिवार से बाहर निकलने के बारे में सोचना चाहिए'

Sharmistha Mukharjee: शर्मिष्ठा मुखर्जी ने साफ किया कि उनके बीजेपी में जाने की बात कोरी अफवाह है. उन्होने राजनीति से संन्यास ले लिया है और उनका किसी भी राजनीतिक दल का हिस्सा बनने का कोई इरादा नहीं है, क्योंकि वो कांग्रेस की हार्डकोर समर्थक हैं. 

'कांग्रेस को अब राहुल गांधी और गांधी परिवार से बाहर निकलने के बारे में सोचना चाहिए'
शर्मिष्ठा मुखर्जी, जयपुर लिट्रेचर फेस्टिबल

Jaipur Literature Festival: जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में पहुंची शर्मिष्ठा मुखर्जी ने अपने पिता पर लिखी किताब प्रणब माय फादर पर बातचीत के दौरान कहा कि कांग्रेस को अब राहुल गांधी और गांधी परिवार से बाहर निकलने के बारे में सोचना चाहिए. शर्मिष्ठा दिवंगत पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी की बेटी है. चर्चा के दौरान उन्होंने प्रणब मुखर्जी के अलग - अलग नेताओं से जुड़े संस्मरण भी साझा किए.

शर्मिष्ठा मुखर्जी ने कहा, मेरे बीजेपी में जाने की बात कोरी अफवाह है. मैंने राजनीति से सन्यास ले लिया है.मेरा किसी भी राजनीतिक दल का हिस्सा बनने का कोई इरादा नहीं है, लेकिन मैं कांग्रेस की हार्डकोर समर्थक हूं. 

शर्मिष्ठा ने कहा, मेरे पिता मानते थे कि वे जो भी कुछ हैं, उसमें इंदिरा गांधी का बड़ा योगदान है. इंदिरा गांधी से उनके काफी अच्छे संबंध थे. वह राजनीति से परे थे. इंदिरा गांधी ने उन्हें एक अंग्रेजी शिक्षक रखने को भी कहा था, क्योंकि वे मानती थीं कि प्रणब मुखर्जी का अंग्रेजी का उच्चारण खराब था. यहां तक कि वे क्या कपड़े पहनेंगे, यह भी इंदिरा गांधी जी से पूछते थे. मेरे पिता इंदिरा गांधी के अंधभक्त थे.

कांग्रेस के मौजूदा हालत से सभी परेशान है. यह सिर्फ उनके ही नहीं बल्कि, हर कांग्रेसी नेता के मन के हालात है. मैं खुद भी हार्डकोर कांग्रेसी हूं, मुझे भी फिलहाल जो हालत है, उससे परेशानी है.  -शर्मिष्ठा मुखर्जी

उन्होंने कहा, मेरे पिता ने जब नागपुर में RSS के कार्यक्रम में जाने का फैसला किया था, तो मैं काफी नाराज हुई थी, लेकिन तब उन्होंने समझाया कि लोकतंत्र में संवाद बहुत जरूरी है. उनके हर दल में संबंध थे. उन्होंने RSS के मंच का इस्तेमाल अपनी विचारधारा को बताने के लिए किया था. वहां उन्होंने नेहरू के विचारों की बात की थी. धर्मनिरपेक्षता की बात की थी. 

शर्मिष्ठा मुखर्जी ने बातचीत के दौरान बताया कि प्रणब प्रधानमंत्री बनना चाहते थे, लेकिन नहीं बन पाए, वे समझते थे कि यह मुश्किल है, इसलिए जब राष्ट्रपति बनने का मौका आया तो वे जरूर बनना चाहते थे.

शर्मिष्ठा ने कहा कि उनके पिता के साथ पूर्व पीएम राजीव गांधी से शुरुआती दिनों में मधुर संबंध नहीं रहे, क्योंकि राजीव गांधी के आसपास गैर राजनीतिक लोगों का जमावड़ा था और प्रणब मुखर्जी ऐसे लोगों से दूर रहना चाहते थे. लेकिन मनमोहन से काफी अच्छे संबंध थे.

शर्मिष्ठा ने बताया कि मनमोहन सिंह ने प्रणब मुखर्जी के साथ हमेशा अच्छा व्यवहार किया. पीएम बनने के बावजूद उन्होंने कई बार उनको सर बोला. फिर उन्होंने उन्हें रोका,दोनों एक दूसरे की बेहद इज्जत करते थे.

गौरतलब है 5 दिन तक चले जयपुर लिट्रेचर फेस्टिबल में कई जानी-पहचानी साहित्यकार, कलाकार और राजनेताओं ने शिरकत किया और देश-दुनिया और साहित्य में चल रहे विषयों पर चर्चा की. इनमें गीतकार गुलजार, इरफान खान की बीवी सुतापा सिकदर और राजनेता क्रमशः शशि थरूर, सचिन पायलट, दीया कुमारी, क्रिकेटर रवींद्र जडेजा ने शामिल थे. 

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