Gyanvapi Verdict: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के स्वामित्व को लेकर वाराणसी की एक अदालत में लंबित मूल वाद की पोषणीयता और ज्ञानवापी परिसर का समग्र सर्वेक्षण कराने के निर्देश को चुनौती देने वाली सभी पांच याचिकाएं मंगलवार को खारिज कर दी. जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल ने सुनवाई के दौरान कहा कि वर्ष 1991 में वाराणसी की अदालत में दायर मूल वाद पोषणीय (सुनवाई योग्य) है और यह पूजा स्थल अधिनियम, 1991 से निषिद्ध नहीं है.
वजूखाने का भी होगा सर्वे
ये याचिकाएं ज्ञानवापी मस्जिद का प्रबंधन करने वाली अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी और उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड द्वारा दायर की गई थीं. इन याचिकाओं में वाराणसी की अदालत के आठ अप्रैल 2021 को दी गई उस व्यवस्था को भी चुनौती दी गई थी, जिसमें ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वेक्षण कराने का निर्देश दिया गया था. आज आए कोर्ट के फैसले के बारे में बताते हुए वकील विजय शंकर रस्तोगी ने बताया, 'मुस्लिम पक्ष की तरफ से जो याचिकाएं दाखिल की गई थी उन्हें खारिज कर दिया गया. उच्च न्यायालय ने निचली अदालत को 6 महीने के अंदर मामले में अंतिम फैसला सुनाने को कहा है. वजूखाने का सर्वे भी होगा.
हमारी सभी बातें सच साबित हुईं
इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसला पर हिन्दू पक्ष के वकील विष्णु जैन ने खुशी जताते हुए कहा, 'यह हमारी बड़ी जीत है. 32 साल से हम जो कह रहे हैं, आज वही बात साबित हुई और अदालत ने फैसला दिया. इलाहाबाद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक कुमार सिंह ने भी इस फैसले पर खुशी जताते हुए कहा, 'यह फैसला ऐतिहासिक फैसला है क्योंकि सभी पक्षों को यह कहा गया है कि मामले को 6 महीने में निस्तारित किया जाए और याचिकाओं को खारिज किया है. अगर एक पक्ष पीड़ित है तो उसके लिए ऊपर की अदालत खुली है.'
सुप्रीम कोर्ट जाएगा मुस्लिम पक्ष
एक तरफ जहां हिंदू पक्ष हाई कोर्ट के फैसले से खुश नजर आ रहा है, वहीं दूसरी ओर मुस्लिम पक्ष के चेहरे पर नाराज नजर आ रही है. इसी के चलते अब यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की बात कही है. जानकारी के मुताबिक मस्जिद की इंतजामियां कमेटी भी सुप्रीम कोर्ट जाएगी.
(इनपुट: भाषा से भी)