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Mahakumbh Prayagraj 2025: मह‍िला को सन्यासी बनना नहीं होता आसान, कॉर्पोरेट कंपनी में नौकरी पाने से भी कठ‍िन होती है प्रक्रि‍या

Rajasthan: प्रयागराज महाकुंभ में पुरुषों की तरह मह‍िला सन्‍यासी भी पहुंची हैं. जो पूरी तरह से सन्‍यास परंपरा का पालन करती हैं. लेक‍िन, मह‍िला सन्‍यासी बनना इतन भी आसान नहीं होता है. आइए आपको बताते हैं. 

Mahakumbh Prayagraj 2025: मह‍िला को सन्यासी बनना नहीं होता आसान, कॉर्पोरेट कंपनी में नौकरी पाने से भी कठ‍िन होती है प्रक्रि‍या

Rajasthan: प्रयाराज संगम के क‍िनारे आए माता-प‍िता ने अपने 13 साल की बेटी को दान कर द‍िया. वह सन्‍यासी बन गई. आगरा से द‍िनेश ढाकरे और रीमा प्रयागराज पहुंचे. अपनी बड़ी बेटी को जूना अखाड़े को दान कर द‍िया और वह सन्‍यासी बन गईं. लेक‍िन आप ज‍ितना आसान सोच रहे हैं ये उतना भी नहीं है. इसकी अच्‍छी खासी प्रक्र‍िया होती है. मह‍िलाओं को सन्‍यास बनने की प्रक्रिया क‍िसी कॉर्पोरेट कंपनी में नौकरी पाने से भी कठिन है. श्री संन्यासिनी दशनामी जूना अखाड़ा की अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमहंत आराधना गिरि ने बताया कि संन्यास लेने की इच्छा व्यक्त करने वाली महिलाओं की विधिवत काउंसिलिंग होती है.

पंच दीक्षा से होती है शुरुआत 

उन्होंने बताया क‍ि सन्‍यास जीवन के कठ‍िन न‍ियम बताए जाते हैं. इसके बाद उन्हें सोचने का वक्‍त द‍िया जाता है. इसकी शुरुआत पंच दीक्षा से होती है. अखाडों के पदाध‍िकारी पूरी तरह से संतुष्‍ट होते हैं, तो सन्‍यास जीवन की पहली सीढ़ी पंच दीक्षा से होती है. यह दीक्षा पांच गुरु देते हैं. इनमे मह‍िला या पुरुष कोइ भी दीक्षा देते हैं. ह‍िमाचल के मंडी ज‍िले की रहने वाली अखाड़े की श्रीमहंत लल‍िता ग‍िरि‍ ने बताया क‍ि पांच गुरु उन्हें चोटी, गेरुआ वख, रुद्राक्ष, भभूत और जनेऊ देते हैं.

दीक्षांत समारोह में पूर्ण दीक्षा दी जाती है 

उन्होंने बताया क‍ि चोटी देने वाले को चोटी गुरु, वख देने वाले को वख गुरु कहा जाता है. गुरु इन्‍हें ज्ञान और मंत्र के साथ सन्‍यासी जीवन शैली, संस्‍कार, खानपान, रहन-सहन के बारे में बताते हैं. मह‍िला सन्‍यास‍ियों को पांच व‍िकरों काम, क्रोध, लोभ, मोह और अहंकार पर नियंत्रण करना पड़ता है. कुंभ के चौथे स्‍नान पर्व पर दीक्षांत समारोह में पूर्ण दीक्षा दी जाती है.  

मह‍िलाएं भी जनेऊ धारण करती हैं 

सन्‍यासी का जीवन जीने वाली मह‍िलाएं भी पुरुषों की तरह जनेऊ पहनती हैं. मह‍िला सन्‍यासी जनेऊ के रुद्राक्ष के साथ अपने गले में पहनती हैं. इन्हें पुरुषों की तरह ही जनेऊ संस्‍कार निभाने की जरूरत नहीं होती है. सन्‍यास के समय दी जाने वाली पंच दीक्षा में यह जनेऊ उनके पांच गुरुओं से कोई एक देता है. सन्‍यासी बनने के बाद पुरुषों को अपने पर‍िवार और र‍िश्‍तेदारों से दूर रहना होता है. मह‍िला सन्‍यास‍ियों के ल‍िए ऐसी बाध्‍यता नहीं है.

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