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This Article is From Mar 18, 2024

NDTV बैटलग्राउंड : एक्सपर्ट्स की राय, लोकसभा चुनाव 2024 में PM मोदी नाम कितना करेगा काम

2014 और 2019 के चुनाव में भी पीएम मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ा गया था. ऐसे में 2024 के चुनाव में पीएम मोदी का नाम कितना काम करेगा यह सवाल इस बार भी रहेगा.

NDTV बैटलग्राउंड : एक्सपर्ट्स की राय, लोकसभा चुनाव 2024 में PM मोदी नाम कितना करेगा काम
NDTV बैटलग्राउंड में खास चर्चा.

Lok Sabha Elections 2024: लोकसभा चुनाव 2024 का चुनाव बिगुल फूंक चुका है और पूरे देश में मतदान की तारीखों का ऐलान हो चुका है. ऐसे में जहां BJP की अलायंस एनडीए और कांग्रेस की अलायंस INDIA चुनावी मैदान में उतर चुके हैं. इस बार चुनाव में बीजेपी का लक्ष्य अलायंस में 400 के पार का है जबकि अकेले 370 सीट जीतने का रखा है. ऐसे में बीजेपी की ओर से पूरी ताकत झोंकनी शुरू हो गई है. वहीं दूसरी ओर INDIA गठबंधन की पार्टियां बीजेपी को शिकस्त देने की तैयारी में पूरी ताकत लगा रहे हैं. हालांकि, एनडीए गठबंधन के पास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चेहरा है. 2014 और 2019 के चुनाव में भी पीएम मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ा गया था. ऐसे में 2024 के चुनाव में पीएम मोदी का नाम कितना काम करेगा यह देखने वाली बात होगी.

NDTV के खास शो 'Battleground'में राजनीतिक विशेषज्ञों ने इन्हीं मुद्दों से जुड़े सवालों का जवाब देने की कोशिश की है. जिसमें राजनीतिक विशेषज्ञ अमिताभ तिवारी ने इस पर गहनता से बात कही है. उन्होंने कहा कि इस बार भी पीएम मोदी की लोकप्रियता हावी रहेगी. बीजेपी ने कास्ट पॉलिटिक्स मे विकास की पॉलिटिक्स को जोड़कर चुनाव को और मजेदार कर दिया है. क्योंकि यही वजह है कि उत्तर प्रदेश जैसे जातिवाद राज्य में साल 2022 के विधानसभा चुनाव में केवल 4 प्रतिशत मतदाताओं ने जातिगत आधार पर वोट दिया.

उन्होंने कहा, एक्सिस माय इंडिया के सर्वे के मुताबिक, करीब 33 फीसदी (22 फीसदी केंद्र और 11 फीसदी राज्य) के आधार पर वोटिंग हुई. इसका मतलब है कि वोटिंग काफी मुश्किल हो गई. वोटिंग कोई व्यावहारिक फैसला नहीं बल्कि इमोशनल फैसला होता है. आज का वोटिंग पैटर्न ये है कि वोटर अपने निर्वाचन क्षेत्र के उम्मीदवार का चेहरा और बैकग्राउंड देखकर नहीं, बल्कि पीएम मोदी का चेहरा देखकर वोट देता है.

5 राज्यों पर बदलाव के कुछ संकेत

लोकनीति के राष्ट्रीय संयोजक, शिक्षाविद और इलेक्शन एनालिस्ट संदीप शास्त्री ने कहा, इस बार चुनाव में मेरा पूरा फोकस 5 राज्यों पर है. जिसमें बिहार, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक और पश्चिम बंगाल है. क्योंकि इन राज्यों में बदलाव के कुछ संकेत हो सकते हैं. इन राज्यों में राजनीतिक विकास और चुनाव में वहां के नतीजे यह फैसला करेंगे कि सरकार ने कितना बहुमत हासिल किया.

महंगाई रहेगी इस बार के चुनाव का मुद्दा?

कांग्रेस समेत सभी विपक्षी पार्टियां हमेशा से महंगाई और बेरोजगारी का मुद्दा उठाती रही है. हालांकि, रोजगार के सवाल पर बीजेपी ने रोजगार वृद्धि और तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था का हवाला देते हुए उन पर पलटवार किया है. वहीं, शिक्षाविद और पॉलिटिकल एनालिस्ट डॉ. मनीषा प्रियम कहती हैं, चुनाव में बेशक महंगाई बड़ा मुद्दा है. लेकिन ये आर्थिक क्षेत्र में जीवंत मुद्दा है और राजनीतिक क्षेत्र में कुंद मुद्दा है.

महाराष्ट्र में होगी निर्णायक लड़ाई

महाराष्ट्र में जो राजनीतिक हालात है उससे यह बात सच है कि महाराष्ट्र चुनाव में निर्णायक राज्य की भूमिका में रहेगा. सीनियर जर्नलिस्ट रोहित चंदावरकर ने कहा है कि उत्तर प्रदेश की 80 सीटों के बाद महाराष्ट्र में सबसे अधिक 48 लोकसभा सीटे हैं. ऐसे में चुनाव के नतीजों की भविष्यवाणी करने का पूरा दम रखती है. चुनाव की भविष्यवाणी भले ही की जा सकती है लेकिन महाराष्ट्र में जो अनिश्चितता है उसकी भविष्यवाणी शायद कोई नहीं कर सकता है. ऐसी राजनीति महाराष्ट्र में पहले कभी नहीं देखी गई है. यहां चुनाव में जातिवाद का मुद्दा और विकास का मुद्दा दोनों देखा जा रहा है. 

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