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कन्नौज पहुंचा NDTV इलेक्शन कार्निवल, क्या सपा अपने गढ़ में कर पाएगी वापसी? या बीजेपी मारेगी बाजी!

NDTV Election Carnival: समाजवादी पार्टी का गढ़ कहे जाने वाले कन्नौज में यहां के प्रमुख मुद्दों के साथ मतदाताओं के मूड को जानने के लिए NDTV इलेक्शन कार्निवल यहां पहुंचा. यह देश की हॉट सीटों में से एक है क्योंकि यहां से पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव इस बार चुनावी मैदान में हैं.

कन्नौज पहुंचा NDTV इलेक्शन कार्निवल, क्या सपा अपने गढ़ में कर पाएगी वापसी? या बीजेपी मारेगी बाजी!
(प्रतीकात्मक तस्वीर)

Lok Sabha Elections 2024: देश के कई हिस्सों से मतदाताओं प्रमुख मद्दों को जानने और जनता का मूड को भापने के बाद NDTV Election Carnival अब इत्र के शहर कन्नौज पहुंच चुका है. यूपी की कन्नौज और मैनपुरी लोकसभा सीट हमेशा से समाजवादी पार्टी का गढ़ रही हैं. मैनपुरी में तीसरे फेज में वोटिंग हो चुकी है. जबकि कन्नौज में 13 मई को चौथे फेज में वोट डाले जाएंगे. यूपी के पूर्व सीएम और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव कन्नौज से मैदान में हैं. 

1998 से समाजवादी पार्टी यहां से जीतती आ रही है. लेकिन 2019 के चुनाव में बीजेपी ने सपा मात दी थी. इस बार भी इस सीट पर काटे की टक्कर देखने को मिलेगी. सपा से अखिलेश यादव मैदान में हैं. बीजेपी ने उनका मुकाबला करने के लिए मौजूदा सांसद सुब्रत पाठक पर दांव लगाया है. वहीं बहुजन समाज पार्टी ने इमरान जफर को कैंडिडेट बनाया है.

2019 में सुब्रत पाठक ने डिंपल को हराया

1998 में पहली बार समाजवादी पार्टी के प्रदीप यादव ने ये सीट जीती थी. इसके बाद यादव परिवार का 1999 से 2018 तक कन्नौज सीट पर कब्जा रहा. अखिलेश यादव ने 2000 साल में कन्नौज से चुनावी शुरुआत की. अखिलेश इस सीट से 2000 का उपचुनाव, 2004 और 2009 का आम चुनाव जीत चुके हैं. 2014 के चुनाव में अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव कन्नौज से चुनाव जीतकर संसद पहुंचीं. 2019 के चुनाव में उन्हें बीजेपी के सुब्रत पाठक ने हरा दिया.

कन्नौज सीट का समीकरण

जिले की 3 विधानसभा सीट में कन्नौज सदर सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है. यहां सबसे ज्यादा करीब 30 फीसदी वोटर इसी वर्ग से हैं. उसमें भी जाटव बिरादरी की संख्या सबसे ज्यादा है. इसके बाद मुस्लिम वोटर करीब 22 फीसदी हैं. इस सीट पर ब्राह्मण वोटर की संख्या भी 20 करीब 20 फीसदी है. कन्नौज में यादवों की संख्या 25 फीसदी है. क्षत्रिय, कुर्मी भी निर्णायक पोजिशन में हैं. सपा को अपने बेस वोट यादवों के साथ ही नॉन-यादवों के वोट मिलने का भरोसा है. दूसरी ओर, बीजेपी सभी जातियों के बीच अपनी पहुंच बनाने में जुटी है. जबकि बीएसपी ने दलित और मुस्लिम वोट को टारगेट किया है.

चारों तरफ विकास का राज: BJP

बीजेपी नेता देवेंद्र देव कहते हैं, "निश्चित रूप से उत्तर प्रदेश को अपराध मुक्त उत्तम प्रदेश बनाने के लिए फिर से सुब्रत पाठक को सांसद बनाना है. बीजेपी ने विकास के काम किए हैं. यूपी में अब तक 7 एक्सप्रेस वे बने हैं. अभी चारों तरफ विकास का राज है. पूरा उत्तर प्रदेश ही नहीं, बल्कि देश को विकसित बनाने के लिए बीजेपी को लाना है. क्योंकि नरेंद्र मोदी पीएम बनेंगे."

संविधान को बचाने की लड़ाई: SP

समाजवादी पार्टी के नेता अनिल पाल एक नार लगाते हैं- कन्नौज और कन्नौज में विकास के काम कराने वाले भईया. हमारे भईया, तुम्हारे भईया. मेडिकल कॉलेज, स्कूल बनाने वाले भईया... अखिलेश भईया अखिलेश भईया." अनिल पाल आगे कहते हैं, "मेरे नेता अखिलेश यादव को भारत के संविधान को बचाने की लड़ाई लड़नी है. इसलिए वो चुनाव में उतरे हैं. मेरे नेता को पहली आवाज कन्नौज ने दी है. कन्नौज ने मेरे नेता को बोलना सिखाया है. मेरे नेता को चलना सिखाया है. इसी कन्नौज ने मेरे नेता को लड़ना सिखाया है. कन्नौज ने मेरे नेता को सीएम बनाया है." 

गांव चलिए तब चलेगा विकास का पता: BSP

बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार इमरान जफर कहते हैं, "ये कन्नौज के मतदाता हैं. बेशक ये किसी पार्टी के होंगे, लेकिन पहले वो मतदाता हैं. सपा ने जिस विकास की बात की है, वो शहरी विकास की तस्वीर है. आप मेरे साथ चलिए मैं ग्रामीणों के बीच विकास को लेकर जा रहा हूं."

जनता का मिजाज?

दर्शकों के बीच मौजूद एक मतदाताओं में किसी ने कहा कि कन्नौज में विकास तो बीजेपी ने किया. दूसरी ओर एक और मतदाता ने कहा कि कन्नौज में सपा ने सालों से विकास के काम किए हैं. उनका वोट अखिलेश यादव को जाएगा. फिलहाल इस सीट पर कांटे की टक्कर देखने को मिल सकती है.

ये भी पढ़ें- NDTV Election Carnival: क्या हैदराबाद में टूटेगा 40 साल का रिकॉर्ड? बीजेपी के रेस में शामिल होने से कड़ा हुआ मुकाबला 

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