PM Modi Blog on Ratan Tata: प्रसिद्ध उद्योगपति रतन टाटा के निधन के 1 महीने बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उन्हें समर्पित करते हुए लेख लिखा है. टाटा ने 9 अक्टूबर को मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में 86 साल की उम्र अंतिम सांस ली थी. पीएम मोदी (PM Modi) ने लिखा कि रतन टाटा जी को अंतिम विदाई दिए हुए करीब एक महीना बीत चुका है. भारतीय उद्योग जगत में उनके योगदान को सदैव याद किया जाएगा और यह सभी देशवासियों को प्रेरित करता रहेगा. पिछले महीने आज ही के दिन जब मुझे उनके गुजरने की खबर मिली, तो मैं उस समय आसियान समिट के लिए निकलने की तैयारी में था. उनके हमसे दूर चले जाने की वेदना अब भी मन में है. इस पीड़ा को भुला पाना आसान नहीं है. उन्होंने लिखा, "रतन टाटा जी (Ratan Tata) के तौर पर भारत ने अपने एक महान सपूत को खो दिया है. एक अमूल्य रत्न को खो दिया है."
विकसित भारत-2047 मिशन के लिए टाटा के विजन को बताया अहम
पीएम मोदी ने लिखा कि "रतन टाटा जी ने हमेशा बेहतरीन क्वालिटी के प्रॉडक्ट...बेहतरीन क्वालिटी की सर्विस पर जोर दिया और भारतीय उद्यमों को ग्लोबल बेंचमार्क स्थापित करने का रास्ता दिखाया. आज जब भारत 2047 तक विकसित होने के लक्ष्य की ओर बढ़ रहा है, तो हम ग्लोबल बेंचमार्क स्थापित करते हुए ही दुनिया में अपना परचम लहरा सकते हैं. मुझे आशा है कि उनका ये विजन हमारे देश की भावी पीढ़ियों को प्रेरित करेगा और भारत वर्ल्ड क्लास क्वालिटी के लिए अपनी पहचान मजबूत करेगा."
'नेशन फर्स्ट की भावना को रखा सर्वोपरि'
मुंबई में हुए 26/11 के आतंकी हमलों का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने लिखा कि रतन टाटा ने हमेशा, नेशन फर्स्ट की भावना को सर्वोपरि रखा. 26/11 के आतंकवादी हमलों के बाद उनके द्वारा मुंबई के प्रतिष्ठित ताज होटल को पूरी तत्परता के साथ फिर से खोलना, इस राष्ट्र के एकजुट होकर उठ खड़े होने का प्रतीक था. उनके इस कदम ने बड़ा संदेश दिया कि- भारत रुकेगा नहीं...भारत निडर है और आतंकवाद के सामने झुकने से इनकार करता है.
कैंसर के खिलाफ लड़ाई में रतन टाटा के योगदान को भी किया याद
साथ ही उन्होंने कहा कि कैंसर के खिलाफ लड़ाई एक और ऐसा लक्ष्य था, जो उनके दिल के करीब था. मुझे दो साल पहले असम का वो कार्यक्रम याद आता है, जहां हमने संयुक्त रूप से राज्य में विभिन्न कैंसर अस्पतालों का उद्घाटन किया था. उस अवसर पर अपने संबोधन में, उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा था कि वो अपने जीवन के आखिरी वर्षों को हेल्थ सेक्टर को समर्पित करना चाहते हैं. स्वास्थ्य सेवा और कैंसर संबंधी देखभाल को सुलभ और किफायती बनाने के उनके प्रयास इस बात के प्रमाण हैं कि वो बीमारियों से जूझ रहे लोगों के प्रति कितनी गहरी संवेदना रखते थे.
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