NEET Controversy 2024: देश की सबसे बड़ी मेडिकल प्रवेश परीक्षा (NEET) में धांधली को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में तीन याचिकाएं दायर हुई हैं, जिन पर गुरुवार को सुनवाई हुई. इस दौरान नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTE) ने बताया कि जिन 6 केंद्रों के 1563 छात्रों को एनईईटी-यूजी के लिए उपस्थित होने के दौरान हुए समय के नुकसान की भरपाई के लिए ग्रेस मार्क्स (Grace Marks) दिए गए हैं, उन्हें रद्द किया जा रहा है. इन सभी छात्रों के पास अब दोबारा परीक्षा देने का विकल्प होगा. लेकिन ये अनिवार्य नहीं है. जो छात्र दोबारा परीक्षा नहीं देना चाहते, उन्हें बिना ग्रेस मार्क्स के उनके ओरिजनल मार्क्स दिए जाएंगे.
इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने एनटीए के बयान को रिकॉर्ड में लिया कि 1563 छात्रों की दोबारा परीक्षा आज ही अधिसूचित की जाएगी और यह संभवतः 23 जून को आयोजित की जाएगी और परिणाम 30 जून से पहले घोषित किए जाएंगे, ताकि जुलाई में शुरू होने वाली काउंसलिंग प्रभावित नहीं हो. आपको बता दें कि याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि ग्रेस मार्क्स देने में अनियमितता हुई है, इसीलिए परीक्षा रद्द कर इसे दोबारा आयोजित करवाया जाए. आज सुनवाई के दौरान अदालत ने याचिताकर्ताओं से कहा कि NTA ने आपकी बात मान ली है और वह ग्रेस मार्क्स को हटा रहे हैं. अब छात्र दोबारा एग्जाम दे सकते हैं या फिर ग्रेस मार्क्स वाली मार्कशीट के साथ NEET UG काउंसलिंग में शामिल हो सकते हैं.
Supreme Court takes into record the statement of NTA that a re-test of 1563 students will be notified today itself and it would likely be held on June 23 and results would be declared prior to June 30 so that counselling which is set to begin in July is not affected.
— ANI (@ANI) June 13, 2024
इससे पहले एनटीए अधिकारियों ने बुधवार को साफ किया था कि मेडिकल प्रवेश परीक्षा का पेपर लीक नहीं हुआ है. मेडिकल प्रवेश परीक्षा की पवित्रता आज भी बरकरार है. NEET-UG में अनुचित साधनों का उपयोग करने वाले छात्रों के 63 मामले सामने आए हैं, जिनमें से 23 को अलग-अलग अवधि के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया है. वहीं अनुचित साधनों का उपयोग करते हुए पाए गए शेष 40 उम्मीदवारों का परिणाम रोक दिया गया है. एनटीए डीजी सुबोध कुमार सिंह ने कहा, 'प्रतिरूपण, धोखाधड़ी और ओएमआर शीट के साथ छेड़छाड़ जैसे विभिन्न प्रकार के मामलों को सामने रखने के लिए परीक्षा और शिक्षा के क्षेत्र में तीन प्रतिष्ठित विशेषज्ञों की एक समिति गठित की गई थी. पैनल की सिफारिशों पर, 12 उम्मीदवारों को तीन साल के लिए परीक्षा देने से रोक दिया गया, 9 उम्मीदवारों को दो साल के लिए और 2 उम्मीदवारों को एक-एक साल के लिए परीक्षा देने से रोक दिया गया. शेष उम्मीदवारों का परिणाम रोक दिया गया है.'