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Video: जब सुखबीर सिंह बादल पर स्वर्ण मंदिर में हुआ हमला, हमलावर ने कैसे चलाई गोली, कैसे बाल-बाल बचे

Sukhbir Singh Badal attack: पंजाब के पूर्व उपमुख्यमंत्री और शिरोमणि अकाली दल (SAD) के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल पर बुधवार, 4 दिसंबर की सुबह गोली चलाई गई जिसमें वो बाल-बाल बच गए.

Sukhbir Singh Badal attack: पंजाब के पूर्व उपमुख्यमंत्री और शिरोमणि अकाली दल (SAD) के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल पर बुधवार, 4 दिसंबर की सुबह गोली चलाई गई जिसमें वो बाल-बाल बच गए. यह हमला अमृतसर में सिखों के प्रमुख धर्म स्थल स्वर्ण मंदिर गुरुद्वारे में हुआ. सुखबीर सिंह बादल वहां सिख धर्मगुरुओं के अकाल तख्त की ओर से सुनाई गई सज़ा काटने के लिए गए थे. बादल द्वार के बाहर एक व्हीलचेयर पर बैठे थे. तभी एक व्यक्ति ने अपनी जेब से पिस्तौल निकाल ली. उसने उनकी ओर निशाना लगाया लेकिन उनके एक समर्थक ने ऐन मौके पर उसे ऐसा करते देखा और उसे धक्का दिया जिससे वह निशाना चूक गया. बाद में अन्य समर्थक भी आगे आए और हमलावर को दबोच लिया. सुखबीर सिंह बादल पर हमले का ये सारा दृश्य कैमरे में रिकॉर्ड हो गया.

सुखबीर सिंह बादल को सज़ा

सिख धर्मगुरुओं ने सोमवार 2 दिसंबर को सुखबीर सिंह बादल को ‘तनखैया' (धार्मिक कदाचार का दोषी) घोषित कर उन्हें सजा सुनाई थी. इसके एक दिन बाद 3 दिसंबर को बादल ने स्वर्ण मंदिर के बाहर 'सेवादार' के तौर पर काम किया. एक हाथ में भाला थामे, 'सेवादार' की नीली वर्दी पहने बादल अपनी व्हीलचेयर पर स्वर्ण मंदिर के प्रवेश द्वार पर काम करते दिखे. उनका एक पैर टूटा हुआ है. 

अकाली नेता सुखदेव सिंह ढींडसा को भी यही सजा मिली है वह भी अधिक उम्र के कारण व्हीलचेयर पर थे जबकि पंजाब के पूर्व मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया ने बर्तन धोए. बादल और ढींढसा के गले में छोटे-छोटे बोर्ड लटकाए गए थे जिसमें उनके ‘‘गलत कामों'' को स्वीकार किया गया था. दोनों नेताओं ने एक घंटे तक 'सेवादार' के रूप में काम किया.

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पंजाब में 2007 से 2017 तक शिरोमणि अकाली दल सरकार द्वारा की गई ‘गलतियों' के कारण बादल और अन्य नेताओं के लिए 'तनखा' (धार्मिक दंड) की घोषणा करते हुए अकाल तख्त के सिख धर्मगुरु ने सोमवार को वरिष्ठ अकाली नेताओं को 'सेवादार' के रूप में सेवा करने, स्वर्ण मंदिर में बर्तन धोने और जूते साफ करने का निर्देश दिया था. 

आदेश की घोषणा से पहले, सुखबीर बादल ने अपनी गलतियों को स्वीकार किया, जिसमें पंजाब में अकाली दल के शासन के दौरान 2007 के ईशनिंदा मामले में डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह को माफ करना भी शामिल था.

सुखबीर बादल को अकाल तख्त द्वारा लगभग तीन महीने पहले तनखैया घोषित किया गया था और इस सप्ताह सोमवार को उन्हें सजा दी गई.

अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने अकाली नेताओं सुच्चा सिंह लंगाह, हीरा सिंह गाबड़िया, बलविंदर सिंह भूंदड़, दलजीत सिंह चीमा और गुलजार सिंह रणिके को तीन दिसंबर को दोपहर 12 बजे से एक बजे तक स्वर्ण मंदिर में शौचालय साफ करने और फिर स्नान करने के बाद सामुदायिक रसोई में बर्तन साफ ​​करने का निर्देश दिया था. जत्थेदार ने कहा था कि वे एक घंटे तक 'कीर्तन' भी सुनेंगे. उन्हें पास के गुरुद्वारों में बर्तन साफ ​​करने का भी निर्देश दिया गया था.

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