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Makar Sankranti 2024: मकर सक्रांति पर इस गांव में खेला जाता है 800 साल पुराना खेल, 50 Kg की गेंद से होता है फैसला

दड़ा एक भारी गेंद होती है. ये एक वजनी फुटबॉल होती है जिसे टाट से सूत और रस्सी से बनाया जाता है. इस बार भी करीब 50 किलो वजनी दड़ा तैयार किया गया था. जिसको मुख्य बाजार स्थल पर चुनौती बनाकर रखा जाता है. खेल में दो दल होते थे. जो दल दड़े को अपनी तरफ ले जाता है, वही जीतता है.

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Makar Sankranti 2024: मकर सक्रांति पर इस गांव में खेला जाता है 800 साल पुराना खेल, 50 Kg की गेंद से होता है फैसला
बूंदी में दड़ा खेलते गांव के लोग

Bundi Dara Sport: पूरे देश में मकर सक्रांति के अवसर पर पतंग बाजी दौर चल रहा है, वहीं बूंदी जिले के बरूंधन गांव में एक अनोखी परम्परा है. यहां लोग दूसरे गांव को दड़ा खेलने के लिए चैलेंज करते हैं और सुबह से शुरू हुआ दड़ा (फुटबॉल) शाम तक खेला जाता है. इस बार भी मकर सक्रांति के दिन 50 किलो का दड़ा खेला गया. शहर से 15 किमी दूर बरूंधन गांव में प्राचीन समय से दो गांवों में मकर सक्रांति के मौके पर दड़ा खेलने का खुला चैलेंज होता है. इस चैलेंज के लिए दोनों गांव के लोग एक दूसरे पर दड़ा खेलने के लिए मजबूर हो जाते हैं और यह मजमा सुबह से शाम तक चलता रहता है. 

दड़ा एक भारी गेंद होती है. ये एक वजनी फुटबॉल होती है जिसे टाट से सूत और रस्सी से बनाया जाता है. इस बार भी करीब 50 किलो वजनी दड़ा तैयार किया गया था. जिसको मुख्य बाजार स्थल पर चुनौती बनाकर रखा जाता है. खेल में दो दल होते थे. जो दल दड़े को अपनी तरफ ले जाता है, वही जीतता है.

800 सालों से चली आ रही है परंपरा

बरूंधन क़स्बे में राजा- महाराजाओं के जमाने से चले आ रहे करीब 800 साल से भी पुराने हाड़ा वंशजो के 'दड़ा महोत्सव' में ग्रामीणों का सैलाब उमड़ पड़ता है. हर साल मकर सक्रांति पर आयोजित होने वाले जोरआजमाइश के साथ सामाजिक सौहार्द के प्रतीक इस अद्भुत खेल में ऊंच-नीच , जात-पात, गरीब-अमीर और छोटे-बड़े का भेदभाव न मानते हुए आसपास के एक दर्जन से भी ज्यादा गांव के विभिन्न समाज के लोगों ने उत्साह से भाग लेते हैं.

दड़ा खेल में लोह उत्साह से भाग लेते हैं

दड़ा खेल में लोह उत्साह से भाग लेते हैं

पूजा-अर्चना से हुई खेल की शुरुआत 

इस बार भी मकर सक्रांति पर क़स्बे के एकमात्र हाड़ा परिवार ने सवेरे खेल से पहले सुराप्रेमी खिलाड़ियों में उत्साह बढ़ाने के लिए गाजे-बाजे के साथ सुरापान करवाया. उसके बाद राजपूत मोहल्ले से दड़े को मुख्य बाजार स्थित लक्ष्मीनाथ मंदिर के सामने खेल स्थल पर लाया गया. जहां पर हाड़ा परिवार ने दड़े की विधिवत पूजा-अर्चना करके खेल की शुरुआत की. 

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