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This Article is From Jul 10, 2023

आकर्षक महलों के साथ ग्रामीण संस्कृति की भी झलक मिलती है दौसा में

दौसा का नाम संस्कृत शब्द "धौ-सा" अर्थात "स्वर्ग जैसा सुंदर" पर रखा गया है. इस बेहद ही प्राचीन शहर को "देव नगरी" के नाम से भी जाना जाता है। दौसा राजधानी जयपुर से लगभग 55 किमी दूर नेशनल हाईवे-21 पर स्थित है.

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आकर्षक महलों के साथ ग्रामीण संस्कृति की भी झलक मिलती है दौसा में

राजस्थान की राजधानी जयपुर से अलग होकर बना दौसा प्रदेश का एक छोटा-सा जिला है. कहते हैं इसका नाम संस्कृत शब्द "धौ-सा" अर्थात "स्वर्ग जैसा सुंदर" पर रखा गया है. इस बेहद ही प्राचीन शहर को "देव नगरी" के नाम से भी जाना जाता है। दौसा राजधानी जयपुर से लगभग 55 किमी दूर नेशनल हाईवे-21 पर स्थित है. यह शहर पूर्व कछवाहा राजवंश का पहला मुख्यालय था. इस शहर से बहुत सारा इतिहास और पुरातात्विक महत्व जुड़ा हुआ है. कई पुराने और महलों की खूबसूरती समेटे दौसा पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केन्द्र है . 

राजधानी से अलग होकर बना नया जिला

दौसा जिला लगभग 32 वर्ष पहले 10 अप्रैल 1991 को अस्तित्व में आया था.  इसे जयपुर जिले की चार तहसीलों - बसवा, लालसोट, दौसा और सिकराय को स्थानांतरित करके एक जिले के रूप में गठित किया गया था. जिसके करीब डेढ़ साल बाद 14 अगस्त 1992 को सवाई माधोपुर जिले की महवा तहसील को भी इस जिले में शामिल कर लिया गया. यह जिला राज्य के पूर्वी भाग में जयपुर-आगरा नेशनल हाईवे पर स्थित है.

दौसा से निकले कई क्रांतिकारी वीर

दौसा राज्य के डुंढर क्षेत्र के अंतर्गत आता है. 10वी शताब्दी में चौहानों और बड़ गुर्जरों के शासन काल में दौसा तत्कालीन डुंढर क्षेत्र की पहली राजधानी बना था. साथ ही यह डुंढर क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण राजनीतिक स्थान भी था. चौहान राजा सूध देव ने 996 ई. से 1006 ई. के दौरान डुंढर क्षेत्र पर शासन किया था. जिसके बाद करीब तीस वर्षों तक यानि 1006 ई. से 1036 ई. तक राजा दुले राय ने भी इस क्षेत्र पर शासन किया.

दौसा ना सिर्फ अपने राजाओं बल्कि स्वतंत्रता सेनानी के लिए भी जाना जाता है. स्वर्गीय टीकाराम पालीवाल और स्वर्गीय राम करण जोशी उन स्वतंत्रता सेनानियों में शामिल हैं, जिन्होंने आजादी की लड़ाई से लेकर राजस्थान राज्य के गठन के लिए रियासतों के एकीकरण में अपना बहुमूल्य योगदान दिया था. स्वतंत्रता के बाद साल 1952 में स्वर्गीय टीकाराम पालीवाल राजस्थान के पहले निर्वाचित मुख्यमंत्री और स्वर्गीय राम करण जोशी प्रदेश के पहले पंचायती राज मंत्री थे.

प्राचीन दार्शनिक स्थलों के कारण आकर्षण का केंद्र

दौसा भले ही एक छोटा शहर है, लेकिन यह अपने आप में देश का इतिहास और संस्कृति समेटे है. इस शहर में आभानेरी के गुप्तोत्तर स्मारक, खवारावजी किला या खवारावजी हेरिटेज होटल, भंडारेज, झाझीरामपुरा का प्राकृतिक तालाब, लोटवाड़ा का किला प्राचीन विरासतों झलक प्रदान करते हैं. इसके अलावा यह हिंदू धर्म के हर्षत माता मंदिर और झाझीरामपुरा के रुद्र (शिव), बालाजी (हनुमान) और अन्य देवी-देवताओं के मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है. जबकि प्रोटेस्टेंट ईसाइयों के लिए रोमन शैली का चर्च बांदुकुई भी एक प्रमुख आकर्षण का केंद्र है.

दौसा एक नजर में

  • भौगोलिक स्थिति - 25॰33' से 27॰33'उत्तरी अक्षांश 76॰50' से 78॰55'पूर्वी देशान्तर
  • क्षेत्रफल - 3,432 वर्ग किलोमीटर
  • जनसंख्या - 1,634,409 (2011 की जनगणना)
  • जनसंख्या घनत्व : 476
  • लिंगानुपात : 905
  • साक्षरता दर : 68.16 प्रतिशत
  • पंचायत समितियां - 16
  • संभाग - दौसा
  • तहसील - 5 (बसवा, दौसा, लालसोट, महवा, सीकरी)
  • विधानसभा क्षेत्र - 8 (दौसा, लालसोट, बांदीकुई, महुवा, सिकराय, बस्सी,चाकसू, थानागाजी)
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