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This Article is From Jul 08, 2023

"ग्रेनाइट सिटी" के नाम से मशहूर जालोर का है अद्‌भुत इतिहास

दुनियाभर में बेहतरीन ग्रेनाइट की सप्लाई की वजह से मशहूर जालोर को 'ग्रेनाइट सिटी' भी कहा जाता है. यहां बड़ी तादात में मारवाड़ी घोड़े भी पाए जाते हैं और इसीलिए इसे मारवाड़ी घोड़ों का पालना भी कहा जाता है.

"ग्रेनाइट सिटी" के नाम से मशहूर जालोर का है अद्‌भुत इतिहास

भारत के गौरवशाली इतिहास में हमेशा से ही राजस्थान और वहां की रियासतों ने अहम भूमिका निभाई है. अब भले ही रियासतें खत्म हो गई हैं, लेकिन उन शहरों से जुड़ा इतिहास कभी खत्म नहीं होता. ऐसा ही एक ऐतिहासिक शहर है जालोर. दुनियाभर में बेहतरीन ग्रेनाइट की सप्लाई की वजह से मशहूर जालोर को 'ग्रेनाइट सिटी' भी कहा जाता है. जोधपुर से लगभग 140 किमी दक्षिण में और राजस्थान की राजधानी जयपुर से करीब 489 किमी की दूरी में स्थित यह शहर राजस्थान की सबसे प्रमुख रियासतों में से एक माना जाता था. यहां बड़ी तादात में मारवाड़ी घोड़े भी पाए जाते हैं और इसीलिए इसे मारवाड़ी घोड़ों का पालना भी कहा जाता है.

लड़ाइयों से भरपूर है जालोर का इतिहास

कहते हैं कि जालोर शहर का नाम एक हिंदू संत जबाली के ऊपर रखा गया था जो कि राजा दशरथ के दरबारी भी थे. इसी कारण इसे शुरू में जाबालीपुर के नाम से भी जाना जाता था. 8वीं और 9वीं शताब्दी में जालोर काफी समृद्ध शहर था. इसके बाद 10वीं शताब्दी में परमार राज के दौरान दिल्ली के उस समय के अफगान शासक अलाउद्दीन खिलजी ने जालोर पर आक्रमण कर दिया. इस ऐतिहासिक लड़ाई में राजा कान्हड़देव और उनके पुत्र विरमदेव जालोर की रक्षा करते हुए मारे गए. इसके बाद वहां की स्त्रियों ने अपने सम्मान को सुरक्षित रखने के लिए आत्मदाह कर लिया. भारतीय इतिहास के सबसे बड़े योद्धाओं में से एक महाराणा प्रताप की मां भी जालोर से ही थी.

जालोर का औद्योगिक विकास और संस्कृति

औघोगिक विकास के नाम पर जालोर में सिर्फ माइनिंग इंडस्ट्री ही हैं. जिनमें यहां की एक बड़ी जनसंख्या काम करती हैं. जालोर में असाक्षरता और औघोगिक विकास का ना होना यहां गरीबी की एक बड़ी वजह हैं. जालोर की लगभग 70 प्रतिशत आबादी खेती पर निर्भर हैं और बाकी बचे हुए लोग अन्य व्यवसाय करते हैं. यहां से सरकारी नौकरी करने वाले लोगों की संख्या बेहद कम हैं. इसके अलावा यहां की संस्कृति हमेशा से ही कला और साहित्य पर केंद्रित रही है. प्राचीन इंडस सभ्यता के अवशेष भी जालोर के अलाना गांव में पाए गए थे. इसके अलावा जालोर जैन समुदाय के लोगों के लिए खास महत्व रखता है. यहां जैन मंदिरों और तीर्थों की संख्या काफी है.

शहर के मुख्य आकर्षण एवं पर्यटन स्थल

जालोर में कई पर्यटन स्थल हैं जो पर्यटकों को आकर्षित करते हैं. सबसे पहले तो जालोर का किला है जिसका निर्माण 10वीं शताब्दी में परमारों द्वारा कराया गया था. यह किला एक खड़ी पहाड़ी पर स्थित हैं. इसके अलावा यहां का जैन मंदिर भी जैन समुदाय के लोगों के लिए महत्व रखता है और इसे देखने देशभर से पर्यटक जालोर आते हैं. सुवर्णगिरि तीर्थ, उमेदपुर तीर्थ और तीर्थन्द्रनगर जैसे धार्मिक स्थल भी जालोर के मुख्य आकर्षणों में से एक हैं जिसके लिए पर्यटक देश-विदेश से यहां खिंचे चले आते हैं.

जालोर एक नजर में

  •  जालोर जिला राजस्थान राज्य के दक्षिण पश्चिम भाग में 24.48'' 5' उत्तरी अक्षांश से 25.48'' 37' उत्तरी अक्षांश और 71.7' पूर्वी देशांतर से 75.5'' 53' पूर्वी देशांतर के बीच स्थित है.
  • जिला मुख्यालय -  जालोर
  • क्षेत्रफल - 10,640 किमी sq
  • जनसंख्या - 1,676,975
  • जनसंख्या घनत्व - 172/वर्ग किमी
  • लिंगानुपात - 951/1000
  • साक्षरता - 8.30%
  • तहसील -7
  • पंचायत समिति - 10
  • संभाग -जोधपुर
  • विधानसभा क्षेत्र - 5 (आहोर, भीनमाल, जालोर(एससी), रानीवाड़ा, सांचोर)

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