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This Article is From Jul 10, 2023

करौली के पत्थरों से ही बना है पुराना संसद भवन, ऐतिहासिक मंदिरों की है भरमार

अपने ऐतिहासिक स्‍थलों और मंदिरों के लिए मशहूर करौली इतिहास प्रेमियों के लिए खासतौर पर एक लोकप्रिय पर्यटन स्‍थल है. कार्ल मार्क्स और कर्नल टॉड जैसे विद्वानों ने इसका उल्‍लेख अपनी अपनी पुस्‍तकों में भी किया है.

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करौली के पत्थरों से ही बना है पुराना संसद भवन, ऐतिहासिक मंदिरों की है भरमार

करौली जिला राजस्थान के पूर्वी भाग में है. इसे 19 जुलाई 1997 को राजस्थान का 32वां जिला बनाया गया. भौगोलिक दृष्टि से इसे डांग क्षेत्र, पहाड़ी एवं समतल भू-भाग के रूप में तीन भागों में बांटा जा सकता है. अपने ऐतिहासिक स्‍थलों और मंदिरों के लिए मशहूर करौली इतिहास प्रेमियों के लिए खासतौर पर एक लोकप्रिय पर्यटन स्‍थल है. कार्ल मार्क्स और कर्नल टॉड जैसे विद्वानों ने इसका उल्‍लेख अपनी अपनी पुस्‍तकों में भी किया है. भाषा व सांस्कृतिक दृष्टि से देखें तो करौली की भूमि ब्रज क्षेत्र में आती है. भारत के संसद भवन (पुराने) के निर्माण में में करौली के लाल पत्थर का प्रयोग किया गया है. करौली का लांगुरिया लोकगीत व जोगनिया नृत्य दुनिया भर में मशहूर है, जिसे  गुर्जर व मीणा जाति के लोग कैला देवी मेले में करते हैं.

भगवान कृष्‍ण के वंशजों से जुड़ा है इतिहास 

करौली का क्षेत्र पुराने करौली राज्य तथा जयपुर राज्य की गंगापुर एवं हिण्डौन निजामतों में आता था और कल्‍याणी नदी के किनारे स्थित होने के कारण पहले इसे कल्याणपुरी नाम से जाना जाता था. इसे वर्तमान स्वरूप प्रदान करने का श्रेय यदुवंशी राजाओं को जाता है. माना जाता है कि करौली की स्‍थापना 955 ई. के आसपास राजा विजय पाल ने की थी जिनके बारे में माना जाता है कि वह भगवान कृष्ण के वंशज थे. 1040 ईस्वी में करौली के यदुवंश के शासन की स्थापना विजयपाल ने की थी. 1650 ईस्वी में यहां के शासक धर्मपाल द्वितीय ने करौली को अपनी राजधानी बनाया. करौली 1818 में राजपूताना राज्‍य का हिस्सा बना. 1947 में भारत की आजादी के समय यहां के शासक महाराज गणेश पाल देव ने इसे भारत का हिस्सा बनाने का निश्चय किया. इस तरह 7 अप्रैल 1949 को करौली भारत में शामिल हुआ और राजस्‍थान राज्‍य का हिस्सा बना. हिन्दू ग्रंथों में दानवीरता के लिए प्रसिद्ध राजा मोरध्वज की नगरी गढमोरा करौली जिले में है, जिसके पुराने अवशेष आज भी मौजूद हैं.

सिटी पैलेस व किले समेत कई दर्शनीय स्‍थल

करौली का सिटी पैलेस राजस्थान के प्रमुख पर्यटन स्‍थलों में से एक है, जिसका निर्माण 14वीं शताब्दी में अर्जुन पाल द्वारा करवाया गया था, जबकि 18वीं शताब्दी में राजा गोपाल सिंह द्वारा महल का पुनर्निर्माण किया गया था. इसके अलावा भंवर विलास पैलेस करौली के पास स्थित एक बहुत ही सुंदर महल है जिसको 1938 में करौली के शासक महाराजा गणेश पाल देव बहादुर की देखरेख में बनाया गया था. तिमनगढ़ का रहस्यमयी किला भी इतिहास प्रेमियों के लिए एक दर्शनीय स्‍थल है, जिसका निर्माण 12वीं शताब्दी में कराया गया था. इसके अलावा रामथरा का किला, राजा गोपाल सिंह की छतरी, कैला देवी वन्यजीव अभयारण्य करौली के प्रमुख पर्यटन स्‍थल हैं. 

यहां के मंदिरों की है दुनिया भर में मान्‍यता

करौली के धार्मिक स्‍थलों की बात करें तो सबसे पहला नाम आता है मेहंदीपुर बालाजी मंदिर का, जहां देश-विदेश से हनुमान जी के भक्त दर्शन को आते हैं. इसके साथ ही दुर्गा माता के 9 शक्तिपीठों में से एक कैला देवी मंदिर भी करौली से 23 किमी की दूरी पर स्थित है. मदन मोहन जी का मंदिर भी देश-विदेश में बसे श्रीकृष्ण के भक्‍तों के बीच बहुत लोकप्रिय है. श्री महावीरजी जैन मंदिर भगवान महावीर को समर्पित है, जो अपनी शानदार वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है. इसके अलावा नक्काश की देवी गोमती धाम और गुफा मंदिर भी काफी प्रसिद्ध हैं. 

करौली एक नजर में 

  • भौगोलिक स्थिति - 26 डिग्री 3 मिनट से 26 डिग्री 49 मिनट उत्तरी अक्षांश तक और 76 डिग्री 35 मिनट से 77 डिग्री 26 मिनट पूर्वी देशांतर तक 
  • क्षेत्रफल - 5524 वर्ग किलोमीटर, 
  • जनसंख्या - 11,58,459 (2011 की जनगणना)
  • जनसंख्या घनत्व -     264 प्रति वर्ग कि.मी.
  • लिंग अनुपात -     861
  • साक्षरता दर -  66.22%
  • संभाग - भरतपुर
  • पंचायत समितियां - 8 
  • तहसीलें - 9 ( करौली, हिंडौन, सूरोठ, टोडाभीम, मासलपुर, मंडरायल, नादौती, सपोटरा, श्री महावीरजी) 
  • विधानसभा क्षेत्र - 4 (करौली, टोडाभीम, हिंडौन, सपोटरा)
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