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This Article is From Jul 10, 2023

'अदब का गुलशन' कहा जाता है टोंक जिला, 'हिंदू-मुस्लिम' सद्भावना है मशहूर

शहर को अपनी अलग-अलग खासियतों के चलते 'राजस्थान का लखनऊ', 'अदब का गुलशन', 'रोमांटिक कवि अख्तर श्रीरानी की नगरी', 'मीठे खरबूजो का चमन' जैसे नामों से भी जाना जाता है. टोंक जयपुर से 100 किमी की दूरी पर स्थित है.

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'अदब का गुलशन' कहा जाता है टोंक जिला, 'हिंदू-मुस्लिम' सद्भावना है मशहूर

राजस्थान के प्रसिद्ध जिलों में से एक टोंक जयपुर से 100 किमी की दूरी पर स्थित है. शहर को अपनी अलग-अलग खासियतों के चलते 'राजस्थान का लखनऊ', 'अदब का गुलशन', 'रोमांटिक कवि अख्तर श्रीरानी की नगरी', 'मीठे खरबूजो का चमन' जैसे नामों से भी जाना जाता है. टोंक राजस्थान का अन्तवर्ती जिला है, जो राज्य के पांच जिलों से अपनी सीमा साझा करता है. इसके उत्तर में जयपुर, दक्षिण में बूंदी और भीलवाड़ा, पूर्व में अजमेर और पश्चिम में सवाई माधोपुर जिला है. 

राजा मानसिंह ने की जिले की स्थापना 

सम्राट अकबर के शासन काल में जयपुर रियासत के राजा मानसिंह ने टोरी और टोकरा परगना को अपने अधिकार में ले लिया था. राजा मानसिंह ने 1643 में भोला नाम के ब्राह्मण को टोकरा के 12 गांव की भूमि दी, जिसने इन गावों के समूह को मिलाकर टोंक की नींव रखी. 1720 में इस जागीर को समाप्त कर दिया गया था. लेकिन  1750 में जयपुर के महाराज माधोसिंह ने टोंक और रामपुरा को मल्हारराव होलकर को सौंप दिया, पर कुछ समय बाद से इन जिलों के स्वामित्व पर होलकर, सिंधिया व जयपुर राजघरानों में विवाद चलता रहा. इसके बीच 1804 में अंग्रेजो ने टोंक व मालपुरा दोनो जिलों पर फतह हासिल इन्हें जयपुर रियासत को सौंप दिया. ब्रिटिश राज में 1817 से 1947 के बीच टोंक अपनी रियासत की राजधानी भी रहा था. 1948 में टोंक का आजाद भारत में विलय हो गया. 

बांध की मदद से उर्वरक हो रही जिले की भूमि 

टोंक की मिट्टी उपजाऊ तो है लेकिन थोड़ी रेतीली और भूमिगत जल सीमित होने के चलते यहां किसानों को चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. लेकिन उनकी इस समस्या को बीसलपुर बांध की मदद से दूर करने की कोशिश की जा रही है. इस बांध की जल संग्रहण क्षमता 315.50 मीटर है. यह बांध जयपुर, अजमेर, नसीराबाद, ब्यावर और किशनगढ़ को पानी उपलब्ध कराने के अलावा देवली, टोंक और उनियारा तहसीलों को सिंचाई की सुविधा प्रदान करता है. इस बांध के कारण देवली, टोंक, मालपुरा और टोडारायसिंह में भूमिगत जल स्तर बढ़ गया है जिसके चलते  मिट्टी की उर्वरता और फसलों की उपज में वृद्धि हुई है.

जिले के मशहूर पर्यटन स्थल 

टोंक जिले में सुनहरी कोठी, अरबी फारसी शोध संस्थान, हाथी भाटा, बीसलदेव मंदिर, हाड़ी रानी कुंड, डिग्गी कल्याण जी मंदिर, जामा मस्जिद, जल देवी मंदिर, घण्टा घर और अरेबियन एवं पर्शियन रिसर्च इंस्टीट्यूट जैसे स्थान हैं जिन्हें देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं. 

टोंक एक नजर में 

  • भौगोलिक स्थिति - देशांतर 75°07 से 76°19  और अक्षांश 25°41 से 26°34  के बीच
  • क्षेत्रफल - 7194 वर्ग किमी
  • जनसंख्या - 1421326 (2011 की जनगणना)
  • पंचायत समितियां - 7 
  • तहसील - 9 (देवली, मालपुरा, निवाई, टोडारायसिंह, टोंक, पीपलू, उनियारा, दूनी और नगरफोर्ट)
  • विधानसभा क्षेत्र - टोंक राजस्थान राज्य का एक विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र है और यह टोंक-सवाई माधोपुर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र का हिस्सा है. फिलहाल, टोंक-सवाई माधोपुर लोकसभा में आठ विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं, जो इस प्रकार हैं - गंगापुर, बामनवास, सवाई माधोपुर, खण्डार, मालपुरा, निवाई, टोंक, देवली-उनियारा
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