राजस्थान के दक्षिण में स्थित 'उदयपुर' अरावली की हरी-भरी पहाड़ियों के बीच बसा एक खूबसूरत शहर है. यहां मौजूद झीलें इसकी खूबसूरती में चार चांद लगा देती है. इसी के चलते उदयपुर को 'झीलों का शहर' नाम से भी जाना जाता है. राज्य की राजधानी जयपुर के बाद उदयपुर पर्यटन के मामले में दूसरे स्थान पर है. यहां के मनमोहक दृश्य पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित करते हैं. उदयपुर लंबे समय तक मेवाड़ की राजधानी रहा था. खास बात ये है कि ये शहर जितना अपनी खूबसूरती के लिए जाना जाता है, उतना ही अपने वीरतापूर्ण इतिहास के लिए भी मशहूर है.
महाराणा उदयसिंह ने की थी शहर की स्थापना
मेवाड़ की राजधानी उदयपुर की स्थापना 1559 में महाराणा उदयसिंह ने की थी. लेकिन तारीख को लेकर इतिहासकारों के अलग-अलग मत हैं. कुछ इतिहासकार हिन्दू कैलेंडर के अनुसार उदयपुर की स्थापना आखातीज के दिन मानते हैं तो कुछ का कहना है कि उदयपुर की स्थापना 15 अप्रैल 1553 को हुई थी. महाराणा उदय सिंह द्वितीय वीरों के वीर महाराणा प्रताप के पिता थे, जो उस समय चित्तौड़गढ़ दुर्ग से मेवाड़ का संचालन कर रहे थे.
इसके बाद नवंबर 1567 में मुगल सम्राट अकबर ने मेवाड़ पर हमला किया और इसका ज्यादातर हिस्सा अपने कब्जे में ले लिया. लेकिन सिसौदिया राणा और महाराणा अपनी स्वतंत्रता के लिए लड़ते रहे और चित्तौड़ को छोड़कर अधिकांश मेवाड़ पर फिर से कब्जा कर लिया. उदयपुर राज्य की राजधानी बनी रही, जो 1818 में ब्रिटिश भारत की एक रियासत बन गई. पहाड़ी क्षेत्र होने और भारी बख्तरबंद मुगल घोड़ों के लिए अनुपयुक्त होने के कारण, उदयपुर बहुत प्रयासों के बावजूद मुगल प्रभाव से सुरक्षित रहा. भारत के स्वतंत्र होने के बाद 1949 में यह भारत में विलीन कर लिया गया. हालांकि, उदयपुर का राजवंश दुनिया के सबसे पुराने राजवंशों में से एक है. महाराणा महेंद्र सिंह मेवाड़ (उदयपुर का शाही परिवार) 1989 के आम चुनाव में भाजपा से चित्तौड़गढ़ से 190,000 से अधिक मतों के रिकॉर्ड अंतर (उस समय) से लोकसभा के लिए चुने गए थे.
पर्यटन के अलावा देश में सबसे बड़े बांस उत्पादकों में से एक है जिला
उदयपुर की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से पर्यटन पर निर्भर है लेकिन इसे जिले को बांस के सबसे बड़े उत्पादकों के रूप में भी जाना जाता है. बांस से हर साल वन विभाग को अच्छी खासी कमाई होती है. बांस की डेंड्रोकैलेमस स्ट्रिक्टस प्रजाति सिर्फ उदयपुर जिले में पाई जाती है, जिसकी खूबी उसकी लंबाई है. इसकी लंबाई 35 से 40 फीट के बीच होती है. इसका उपयोग बल्लियां, हट, सीढ़ियां, फर्नीचर बनाने में किया जाता है. इससे आदिवासी अंचल के लोगों को रोजगार भी मिलता है. विभाग हर साल ग्रामीण वन समितियों की मदद से बांस की कटाई करवाता है.
शहर के पर्यटन स्थल
उदयपुर भारत का एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है. यहां की झीलें, महल और समृद्ध संस्कृति देश के साथ-साथ विदेशी सैलानियों को भी आकर्षित करती है. उदयपुर की तीन खूबसूरत झीलों में फतेह सागर झील, पिछोला झील और छोटी स्वरूप सागर झील शामिल हैं. इसके अलावा शहर में लेक पैलेस, जग मंदिर, दूध तलाई, सहेलियों की बाड़ी, मानसून पैलेस, आहड़ संग्रहालय, सुखाड़िया सर्कल और गुलाब बाग मशहूर दर्शनीय स्थल हैं.
उदयपुर, एक नज़र में
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This Article is From Jul 11, 2023
उदयपुर : प्राकृतिक सौंदर्य, आलीशान महलों के साथ-साथ गौरवशाली इतिहास भी समेटे है यह शहर
उदयपुर भारत का एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है. यहां की झीलें, महल और समृद्ध संस्कृति देश के साथ-साथ विदेशी सैलानियों को भी आकर्षित करती है. उदयपुर को 'झीलों का शहर' नाम से भी जाना जाता है.
- Edited by Vivek Rastogi
- जानो अपना प्रदेश
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13 July, 2023 9:59 PM
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Published On 11 July, 2023 10:59 AM
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Last Updated On 13 July, 2023 9:59 PM
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उदयपुर को झीलों का शहर भी कहा जाता है...