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This Article is From Jul 07, 2023

ऐतिहासिक विरासतों का शहर है राजस्‍थान का 'मिनी खजुराहो' बारां

उत्तर-पश्चिम में यह कोटा जिले और दक्षिण-पश्चिम में झालावाड़ जिले को छूता है। जिला उत्तर से दक्षिण तक 103 किमी में फैला हुआ है और पूर्व से पश्चिम इसकी चौड़ाई 104 किमी है.

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ऐतिहासिक विरासतों का शहर है राजस्‍थान का 'मिनी खजुराहो' बारां
बारां में शेरगढ़ किला काफी मशहूर है...

मध्‍य प्रदेश की सीमा से लगा राजस्‍थान का बारां जिला किलों और किंवदंतियों का शहर है. अनेक ऐतिहासिक इमारतों और गाथाओं वाला बारां जिला राजस्‍थान के दक्षिण-पूर्वी कोने में मध्य प्रदेश के शिवपुरी, श्योपुर और गुना जिलों से सटा हुआ है. उत्तर-पश्चिम में यह कोटा जिले और दक्षिण-पश्चिम में झालावाड़ जिले को छूता है। जिला उत्तर से दक्षिण तक 103 किमी में फैला हुआ है और पूर्व से पश्चिम इसकी चौड़ाई 104 किमी है. 

मिनी पंजाब व मिनी खजुराहो के रूप में पहचान

चंबल, पार्वती व परवन नदी सहित पांच छोटी-बड़ी नदियों के कारण बारां राजस्‍थान के प्रमुख अन्‍न उत्‍पादक जिलों में गिना जाता है इसी कारण इसे 'मिनी पंजाब' और अनाज का कटोरा भी कहा जाता है. इसके अलावा खजुराहो शैली में बने भण्डदेवरा मंदिर के कारण इसे 'मिनी खजुराहो' के नाम से भी जाना जाता है. बारां जिले में प्राचीन काल से हाड़ौती बोली बोली जाती है, जिसका सर्वप्रथम उल्‍लेख केलॉग लिखित हाड़ौती व्‍याकरण में मिलता है. यह मसूरिया कपड़े की बुनाई के लिए भी प्रसिद्ध है. 

नाम के पीछे हैं कई कहानियां

जिले का इतिहास 14 वीं शताब्दी का माना जाता है, जब सोलंकी राजपूतों ने यहां शासन किया था. कहा जाता है कि उस समय इसके अंतर्गत बारह गांव आते थे, इसीलिए यह बारां कहलाया. हालांकि मान्‍यता यह भी है कि भगवान विष्णु के वराह अवतार की स्‍थली के कारण प्राचीन काल में इसे वाराह नगरी कहा जाता था, जो बाद में बारां हो गया. कुछ इतिहासकारों का मानना है कि 12 तालाबों को पाटकर बसाये जाने के कारण इसे बारां नाम मिला. बहरहाल, 1949 में राजस्थान के पुनर्गठन के समय बारां कोटा का मुख्य आंचलिक कार्यक्षेत्र बना और 1991 में इसे अलग जिला बना दिया गया. 

ऐतिहासिक पर्यटन स्‍थल 

बारां एक धार्मिक भावनाओं से ओतप्रोत नगर है, जो अपनी प्रसिद्ध डोल यात्रा या डोल मेले, फूल डोल, सताबाड़ी मेला व बीज रमण मेले सहित करीब आधा दर्जन मेलों के लिए प्रसिद्ध है. कल्याणराय जी के श्रीजी मंदिर से शुरू होने वाली शोभायात्रा डोल यात्रा का इतिहास 600-700 साल पुराना बताया जाता है. बारां की प्राकृतिक सुंदरता, मंजबूत किले, सुंदर मंदिर समूह इसे एक ऐतिहासिक पर्यटन स्‍थल भी बनाते हैं. यहां के प्रमुख ऐतिहासिक स्‍थलों में शाहबाद किला, शाही जामा मस्जिद, शेरगढ़ किला, शेरगढ़ अभ्यारण्य, नाहरगढ़ किला, कन्या दह विलासगढ़,  ब्रह्माणी माता का मंदिर, रामगढ़ भंडदेवरा मंदिर, सीताबाड़ी मंदिर, गड़गच्च देवालय,काकूनी मंदिर समूह, सोरसन माता मंदिर, तपस्वियों की बगीची, बाबाजी बाग (मांगरोल), सूरज कुंड व कपिलधारा काफी प्रसिद्ध हैं. 


मन्दिर से सटी है मस्जिद धार्मिक सद्भाव की मिसाल

श्रीजी मंदिर के बगल में जामा मस्जिद भी है. यहां लगने वाले मंदिर-मस्जिद डोल मेले को धार्मिक सद्भाव की मिसाल माना जाता है. हालांकि कहा यह भी जाता है कि इस मस्जिद को मंदिर के वर्षों बाद बूंदी की रानी ने मुग़ल सम्राट औरंगजेब के भय से बनवाया था. रानी को अंदेशा था कि औरंगजेब मंदिर को नुकसान पहुंचाएगा. अत: इसे बचाने के लिए उन्‍होंने मंदिर के बगल में मस्जिद का निर्माण कराया. औरंगजेब से ही जुड़ी एक और कहानी प्रचलित है कि यहां के शासक राजा खींची की राजकुमारी के रूप को देखकर औरंगजेब आसक्त हो गया था, पर राजकुमारी ने उसकी रानी बनने के बजाय अपना जीवन समाप्त कर लिया.

बारां एक नज़र में

  • 24°25' - 25°25' उत्तर अक्षांस व 76°12' - 77°26' पूर्व देशांतर पर स्थित
  • समुद्र तल से ऊंचाई 262 मीटर 
  • क्षेत्रफल : 6992 वर्ग किलोमीटर
  • नगरीय क्षेत्र: 82.78 वर्ग किलोमीटर
  • ग्रामीण क्षेत्र : 6909.22 वर्ग किलोमीटर
  • वन्य क्षेत्रफल : 2202.89  किलोमीटर
  • जनसंख्या (2011) - 12,23,922
  • लिंगानुपात : 929
  • साक्षरता दर : 66.7%
  • ग्राम पंचायतों की संख्या : 215 
  • उपखण्ड कार्यालय : 06 
  • पंचायत समितियों की संख्या : 07 
  • तहसीलों की संख्या : 08 
  • विधानसभा क्षेत्र (4) - बारां, अंता, किशनगंज, छबरां
  • संसदीय क्षेत्र - झालावाड़-बारां लोकसभा सीट (पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का गृह क्षेत्र) 
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