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राजस्थान में 'लव जिहाद' पर लगेगा ब्रेक? विधानसभा के मानसून सत्र में पास हो सकता है एंटी-कन्वर्जन बिल

इस सत्र का एजेंडा भले ही छोटा (7 से 10 दिन) हो, लेकिन यह पूरी तरह से राजनीतिक दांव-पेंच और हंगामे से भरा रहेगा. सबकी निगाहें अब एंटी-कन्वर्जन बिल पर टिकी हैं कि क्या सरकार इसे पास करा पाएगी या विपक्ष इसे रोकने में कामयाब होगा.

राजस्थान में 'लव जिहाद' पर लगेगा ब्रेक? विधानसभा के मानसून सत्र में पास हो सकता है एंटी-कन्वर्जन बिल
राजस्थान विधानसभा मानसून सत्र 1 सितंबर से, एजेंडे में हो सकता है एंटी-कन्वर्जन बिल

Rajasthan News: राजस्थान की राजनीति एक बार फिर गरमाने वाली है. विधानसभा का मानसून सत्र 1 सितंबर से शुरू हो रहा है, और इस बार का सबसे बड़ा मुद्दा 'एंटी-कन्वर्जन बिल' हो सकता है. यह वही विधेयक है, जो पिछले बजट सत्र में पेश तो हुआ था, लेकिन उस पर बहस नहीं हो पाई थी. अब सरकार इसे पास कराने के मूड में दिख रही है. अगर यह बिल पास हो जाता है, तो यह राजस्थान के इतिहास में एक बड़ा और निर्णायक कदम होगा.

इस बिल का सीधा मकसद है, जबरन धर्म परिवर्तन को रोकना. 

राज्य में बहस तेज होने की संभावना

सरकार का मानना है कि लालच, धोखाधड़ी या दबाव डालकर धर्म परिवर्तन कराना एक गंभीर अपराध है. बिल में इसके लिए सख्त प्रावधान और जुर्माने का प्रस्ताव है. माना जा रहा है कि यह बिल उन घटनाओं पर रोक लगाएगा, जिन्हें अक्सर 'लव जिहाद' का नाम दिया जाता है. इस विधेयक के आने से राज्य में राजनीतिक और सामाजिक बहस और तेज होने की पूरी संभावना है. एक तरफ जहां सत्ताधारी पार्टी इसे समाज की सुरक्षा के लिए जरूरी बता रही है, वहीं विपक्ष और कुछ संगठन इसे व्यक्तिगत स्वतंत्रता का हनन मान सकते हैं.

हंगामेदार होगा मानसून सत्र

सिर्फ एंटी-कन्वर्जन बिल ही नहीं, इस बार का सत्र कई और वजहों से भी बेहद हंगामेदार रहने वाला है. विधानसभा में कुल चार बिल लंबित हैं, जिनमें से तीन सेलेक्ट कमेटी के पास हैं. इनमें कोचिंग सेंटर विनियमन बिल भी शामिल है, जिस पर हाई कोर्ट ने देरी के लिए सरकार को फटकार लगाई थी. इसके अलावा, भूमि राजस्व (संशोधन) बिल और भूजल प्राधिकरण बिल भी इस सत्र में पास हो सकते हैं.

विपक्ष के निशाने पर होंगे ये मुद्दे!

  • कानून-व्यवस्था: राजस्थान में बढ़ रहे अपराध.
  • आपदा प्रबंधन: हाल में आई प्राकृतिक आपदाओं से निपटने में सरकार की कथित नाकामी.
  • परिवहन व्यवस्था: राज्य में परिवहन की बदहाल स्थिति.
  • स्कूल और अस्पताल: शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी.

झालावाड़ हादसा और शिक्षा मंत्री पर तलवार

विपक्ष के पास सरकार को घेरने के लिए सबसे बड़ा हथियार झालावाड़ का हालिया स्कूल हादसा है. इस हादसे में स्कूल की इमारत गिरने से 7 बच्चों की दर्दनाक मौत हो गई थी. विपक्ष ने इस मामले में शिक्षा मंत्री मदन दिलावर का इस्तीफा मांगा है. यह मुद्दा मानसून सत्र में सबसे ज्यादा गरमाएगा.

स्कूलों की मरम्मत और बजट की कमी

इस हादसे के बाद सरकार पर स्कूलों की मरम्मत को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं. शिक्षा विभाग ने 8,000 स्कूलों की मरम्मत का प्रस्ताव दिया था, लेकिन बजट की कमी के कारण सिर्फ 2,000 स्कूलों को ही मंजूरी मिली थी. पिछले साल 80 करोड़ रुपये मंजूर हुए थे, लेकिन इस साल 175 करोड़ रुपये का प्रस्ताव अभी भी अटका हुआ है. विपक्ष इसी बात को लेकर सरकार पर हमलावर रहेगा.

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