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This Article is From Dec 19, 2023

पर्यावरण पर खतरा देख पेंटेड स्टार्क पक्षी बदल रहे हैं अपना ठिकाना, एक्सपर्ट बोले- होना चाहिए रिसर्च

पूर्वी राजस्थान में स्थित कोटा के हाड़ौती में जांघिलो (Painted stork) की बस्ती से तालाब, पोखर गुलजार हैं. सर्दी के मौसम में 500 से ज्यादा पेंटेड स्टार्क वहां पहुंचते हैं और अपना घोसला बनाते हैं और अपनी पूरी बस्ती बसाते हैं.

पर्यावरण पर खतरा देख पेंटेड स्टार्क पक्षी बदल रहे हैं अपना ठिकाना, एक्सपर्ट बोले- होना चाहिए रिसर्च
पेंटेड स्टोर्क पक्षी

Painted Stork Bird: पूर्वी राजस्थान में स्थित कोटा के हाड़ौती में जांघिलो (Painted stork) की बस्ती से तालाब, पोखर गुलजार हैं. सर्दी के मौसम में 500 से ज्यादा पेंटेड स्टार्क वहां पहुंचते हैं और अपना घोसला बनाते हैं और अपनी पूरी बस्ती बसाते हैं. बर्डवॉचर यानि पक्षी प्रेमियों के लिए भी यह आकर्षण का केंद्र होता है. जांघिलो का रिश्ता यहां से करीब 28 साल पुराना हो चुका है, लेकिन अब चिंता इस बात की होने लगी है, जांघिल अब अपनी जगह बदल रहे हैं.

समय के चक्र के साथ-साथ पक्षियों के प्रवासन पर शोध की बात उठने लगी है कि आखिर कोटा संभाग के तालाबों पर उनके दरख्त पर घोंसले बनाकर रहने वाले जांघिल क्यों एक-दो साल में अपनी जगह बदल रहे हैं. पक्षियों के जानकार इस पर गहनता से शोध की बात कर रहे हैं.

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28 साल पहले कोटा में डाला था डेरा

बर्ड वाचर, हाड़ौती टूरिज्म प्रमोटर एएच जैदी से जब पेंटेड स्टार्क की कॉलोनी के संबंध में पूछा गया तो उन्होंने बताया कि साल 1995 में कोटा जिले के उदपुरिया में जांघिल पक्षियों ने डेरा डाला था. यहां पर घोंसले बनाए थे और जुलाई से नवंबर तक उनके प्रजनन काल रहा, और साल दर साल इनकी संख्या बढ़ती गई.

हाड़ोती के बर्ड वाचर, वन्यजीव प्रेमी, पक्षी प्रेमी का भरतपुर घना पक्षी विहार जाना थम गया, क्योंकि हाड़ौती में ही भरतपुर घना पक्षी विहार के बराबर यहां पर पेंटेड स्टार्क की कॉलोनी देखने को मिलने लगी. बर्ड वाचर यहां पहुंचने लगे और फोटोग्राफी करने लगे, साथ ही पेंटेड स्टार्क को भी उदपुरिया तालाब में अच्छा वातावरण मिलने लगा.

पेंटेड स्टोर्क पक्षियों ने कई बार बदली जगह

करीब 20 साल तक पेंटेड स्टार्क की कॉलोनी कोटा जिले के उदपुरिया तालाब पर निरंतर बनती रही, लेकिन यहां के तालाब में मौजूद बबूल के पेड़ एक के बाद एक गिरते चले गए और पेंटेड स्टार्क की कॉलोनी यहां से खत्म हो गई. वक्त के बदलाव के साथ पेंटेड स्टार्क पक्षी ने अपना आशियाना बारां जिले के सोरसन वन क्षेत्र में स्थित अमलसरा तालाब में बनाया. 

वहां के पेड़ों पर साल 2016 में बर्ड वाचर को बड़ी संख्या में पेंटेड स्टार्क पक्षी नजर आने लगे, लेकिन यह जगह एक साल बाद पेंटेड स्टार्क ने बदल दी. यहां के बाद साल 2017 में पेंटेड स्टार्क कोटा जिले के राजपुरा तालाब पर पहुंच गए और तब से राजपुरा का तालाब वहां का वेटलैंड पेंटेड स्टार्क को काफी रास आ रहा है. साथ ही इसी तालाब के नजदीक में गोदलिया हेडी तालाब पर भी पेंटेड स्टार्क का बसेरा हुआ है. 

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बार-बार जगह बदलने पर होना चाहिए शोध

जैदी का कहना है कि करीब 800 से 1000 की संख्या में पेंटेड स्टार्क का बसेरा राजपुरा, गोदलिया तालाब पर है. कुछ संख्या में पेंटेड स्टार्क सोरसन वनक्षेत्र के अमलसरा तालाब पर भी दिखाई पड़ रहे हैं. लगातार पेंटेड स्टार्क की मॉनिटरिंग कर रहे जैदी का कहना है कि अब समय के बदलाव के साथ जिस तरह से पेंडेंट स्टार्क अपनी नेस्टिंग की जगह चेंज कर रहा है, तो इस विषय पर विशेषज्ञों को शोध करने की बहुत जरूरत है. क्योंकि अगर पेंटेड स्टार्क पक्षी इस तरह से जगह चेंज करता रहा और उसने हाडोती को छोड़ दी, तो समझिए कि यहां के बाद बर्ड वाचर को फिर से भरतपुर घना पक्षी विहार जाना होगा.

पर्यटकों को आकर्षित करती है पेंटेड स्टोर्क पक्षी की बनावट

पेंटेड स्टोर्क पक्षी सर्दी के दिनों में पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बने रहते हैं. हल्के सफेद रंग और गुलाबी नारंगी रंग उसे और भी ज्यादा आकर्षक बना देता है. ऐसा लगता है कि मानो किसी पेंटर ने अपने ब्रश से बड़े करीने से रंग भर दिया हो. लंबी और पतली टांग नुकीली लंबी चोंच और उसे दूसरे पक्षियों से अलग करती है. ये पक्षी मानव से भी ज्यादा समझदार होते हैं क्योंकि यह अपने सुरक्षा के लिए अपने आसपास की हरियाली बचा कर रखते हैं. 

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स्टोर्क पक्षी आसपास रखते हैं हरियाली

पेंटेड स्टार्क अपने घोंसलों को बनाने के लिए बाहर के तिनकों का इस्तेमाल करते हैं. ये जिस भी पेड़ की शाखा पर बैठते हैं उसके तिनकों का इस्तेमाल घोंसला बनाने के लिए नहीं करते बल्कि अन्य शाखाओं से एक-एक तिनका बटोर कर अपना घोंसला बनाते हैं. प्रवासी पक्षी राजपुरा की के तालाब किनारे पेड़ों पर 500 से ज्यादा पेड़ की आबादी बसी है. इन पक्षीओं को देखने के लिए दूर-दूर से लोग आ रहे हैं.

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