BANSWARA RAIN: लगभग जुलाई माह बीतने को आ रहा है, लेकिन बांसवाड़ा जिले में मानसून की मेहर नहीं होने से यहां के अधिकांश जलाशय खाली हैं. प्रदेश के बड़े बांधों में शुमार माही बांध में पानी नहीं आने से यह बांध अभी बहुत खाली है. वहीं बांसवाड़ा की पहचान राजस्थान के चेरापूंजी के तौर पर रही है. राजस्थान में जितनी औसत बारिश होती है, उससे ज्यादा बारिश बांसवाड़ा में होती है. मगर इस बार बांसवाड़ा में अभी तक मानसूनी बादल बरस नहीं रहे हैं. आसमान में बीते कई दिनों से बादलों ने डेरा डाल रखा है, लेकिन बरसात के नाम पर केवल बूंदाबांदी हो रही है.
माही बांध - बांसवाड़ा की लाइफलाइन
माही बांध को बांसवाड़ा जिले की लाइफ लाइन कहा जाता है. माही बांध में मध्य प्रदेश के धार जिले व प्रतापगढ़ की एराव नदी सहित सीमावर्ती इलाकों में होने वाली बारिश का पानी आता है, लेकिन जलग्रहण क्षेत्रों में खंड-खंड बारिश होने के कारण बांध में जल आवक कम है. इसकी वजह से यहाँ पर्यटक स्थलों पर हल्की रिमझिम बरसात में मस्ती करने वाले लोगों को तो मज़ा आ रहा है, लेकिन एक साल तक सिंचाई और पेयजल की जरूरतों को पूरा करने वाले बांध और तालाब खुद प्यासे बने हुए हैं.
माही बांध अब भी लगभग 13 मीटर तक खाली है. इसकी भराव क्षमता 281.5 मीटर है. अब तक इसका स्तर केवल 268.50 मीटर तक पहुंचा. करीब 40 किलोमीटर क्षेत्रफल में फैले माही के बैक वाटर वाले इलाके को भरने के लिए बांसवाड़ा की अपेक्षा मध्यप्रदेश (एमपी) में धार और रतलाम जिले में बरसात का होना ज्यादा जरूरी है. लेकिन इस बार एमपी के इन इलाकों में भी पर्याप्त बारिश नहीं हुई है. इस कारण बरसाती पानी की आवक कम दर्ज की जा रही है.
बांसवाड़ा से ज्यादा बारिश दूसरे क्षेत्रों में
बांसवाड़ा में 1 जून से 22 जुलाई तक औसत 200.29 एमएम औसत बारिश हुई है. सबसे ज्यादा बारिश सज्जनगढ़ में 441 एमएम, दानपुर क्षेत्र में 362 एमएम, कुशलगढ़ क्षेत्र में 245 एमएम, बांसवाड़ा में 138, केसरपुरा में 158, घाटोल में 159, भंगड़ा में 147, जगपुरा में 87, गढ़ी में 125, लोहारिया में 189, अरथूना में 150, बागीदौरा में 226, शेरगढ़ में 148 और सल्लोपाट में 229 एमएम बारिश दर्ज की गई.