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This Article is From Mar 16, 2024

Kharmas 2024: खरमास की हुई शुरुआत, जानिए इन दिनों में किन शुभ कार्यों को करना माना गया है वर्जित

शास्त्रों के अनुसार धार्मिक मान्यता है कि खरमास में किसी भी तरह का शुभ कार्य करना वर्जित माना गया है. एक साल में दो बार खरमास लगता है. एक खरमास मार्च मध्य से बीच अप्रेल तक और दूसरा खरमास बीच दिसम्बर से जनवरी मध्य तक होता है.

Kharmas 2024: खरमास की हुई शुरुआत, जानिए इन दिनों में किन शुभ कार्यों को करना माना गया है वर्जित

Kharmas 2024 March Time:  गुरुवार 14 मार्च को सूर्य के कुम्भ राशि से निकल कर मीन राशि मे प्रवेश करते ही खरमास की शुरूआत हो गई. इसके साथ ही 13 अप्रेल तक सारे शुभ कार्यक्रम भी रुक गए हैं. अब 14 अप्रेल से शुभ कार्यों के लिए मुहूर्त शुरू होंगे. प्रसिद्ध ज्योतिर्विद पन्डित हरि नारायण व्यास मन्नासा के अनुसार इन दिनों सूर्य के सम्पर्क में आने से देवगुरु बृहस्पति का प्रभाव कम हो जाता है. इसलिए सूर्य के धनु और मीन राशि में गोचर करने के दौरान खरमास लगता है.

शुभ कार्य करने की है मनाही 

ऐसे में शास्त्रों के अनुसार धार्मिक मान्यता है कि खरमास में किसी भी तरह का शुभ कार्य करना वर्जित माना गया है. एक साल में दो बार खरमास लगता है. एक खरमास मार्च मध्य से बीच अप्रेल तक और दूसरा खरमास बीच दिसम्बर से जनवरी मध्य तक होता है. 14 मार्च को सूर्य देव दोपहर 12 बज कर 36 मिनट पर कुम्भ राशि से निकल कर मीन राशि में प्रवेश कर गए. इस दौरान सूर्य देव 17 मार्च को उत्तरा भाद्रपद में रात्रि 8 बज कर 55 मिनट और 31 मार्च को रेवती नक्षत्र में सुबह 7 बज कर 50 मिनट पर प्रवेश करेंगे. इसके बाद 13 अप्रेल को रात 9 बज कर 4 मिनट पर सूर्य देव मीन राशि से निकल कर मेष राशि में जाएंगे और इसके साथ ही खरमास ख़त्म हो जाएगा. 

'मंत्र, जप, दान, नदी स्नान और तीर्थ दर्शन करने की परम्परा'

खरमास में विवाह, गृह प्रवेश और मुंडन आदि मांगलिक कार्यों के लिए मुहूर्त नहीं रहते. इन दिनों में मंत्र, जप, दान, नदी स्नान और तीर्थ दर्शन करने की परम्परा है. इन परम्परा के कारण खरमास के दिनों में तमाम पवित्र नदियों में स्नान के लिए बड़ी तादाद में लोग पहुँचते हैं. साथ ही पौराणिक महत्व वाले मन्दिरों में दर्शनार्थियों की संख्या भी बेतहाशा बढ़ जाती है. खरमास पूजा-पाठ के नज़रिए से पुण्य देने वाला होता है. इस माह में शास्त्रों का पाठ करने की भी परम्परा है.

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