किसी भी राज्य की प्रगति का सबसे विश्वसनीय पैमाना उसकी महिलाओं की स्थिति होती है. जब महिलाएँ शिक्षित, स्वस्थ, सुरक्षित और आत्मनिर्भर होती हैं, तभी समाज का संतुलित और टिकाऊ विकास संभव होता है. राजस्थान में मुख्यमंत्री श्री भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में वर्तमान सरकार ने इस मूल सत्य को शासन की प्राथमिकता बनाते हुए महिला सशक्तिकरण को नीतिगत संकल्प, प्रशासनिक प्रतिबद्धता और ठोस क्रियान्वयन के साथ आगे बढ़ाया है. इसके परिणाम आज अद्यतन आंकड़ों और ज़मीनी बदलाव के रूप में स्पष्ट दिखाई दे रहे हैं. मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया है कि महिला सशक्तिकरण किसी एक विभागीय योजना तक सीमित नहीं, बल्कि सरकार के समग्र शासन दर्शन का केंद्रीय स्तंभ है. यही कारण है कि शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण, आजीविका, सामाजिक सुरक्षा और महिला सुरक्षा सहित हर क्षेत्र में महिला-केंद्रित योजनाओं को ठोस गति मिली है.
असहाय महिलाओं और बालिकाओं की मदद
महिला सशक्तिकरण की दिशा में सामाजिक सुरक्षा सबसे मजबूत आधार है. हाल ही में राज्य सरकार द्वारा 91 लाख पेंशनधारकों के खातों में ₹1,100 करोड़ की राशि प्रत्यक्ष लाभ अंतरण के माध्यम से हस्तांतरित की गई. पालनहार योजना के अंतर्गत 5.95 लाख लाभार्थियों को ₹103 करोड़ की सहायता प्रदान की गई, जिससे अनाथ, परित्यक्त और असहाय बच्चों की परवरिश करने वाली महिलाओं को आर्थिक संबल मिला.

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उच्च शिक्षा में बालिकाओं की निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए मुख्यमंत्री उच्च शिक्षा छात्रवृत्ति योजना के अंतर्गत 5,000 छात्राओं को ₹2.5 करोड़ की सहायता प्रदान की गई. इसके अतिरिक्त, अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग की 1.55 लाख छात्राओं को ₹15 करोड़ की पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति दी गई, जिससे सामाजिक समानता और शिक्षा में भागीदारी को मजबूती मिली.
लाडो प्रोत्साहन योजना को अब लक्षित और प्रभावी स्वरूप दिया गया है. वर्तमान में इस योजना के अंतर्गत 4.6 लाख बालिकाओं को ₹1.5 लाख तक की आर्थिक सहायता किश्तों में प्रदान की जा रही है. यह योजना बेटियों की शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक सुरक्षा को जन्म से लेकर उच्च शिक्षा तक संरक्षित करने का सशक्त माध्यम बन रही है.महिला स्वास्थ्य को मानवीय दृष्टिकोण से सुदृढ़ करते हुए सरकार ने 1.22 करोड़ महिलाओं एवं किशोरियों को निःशुल्क मासिक सैनिटरी नैपकिन उपलब्ध कराए हैं. मातृत्व सहायता राशि को बढ़ाकर ₹6,500 किया गया है, जिससे अब तक लगभग 10 लाख गर्भवती महिलाएँ लाभान्वित हुई हैं.

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आयुष्मान आरोग्य योजना और लखपति दीदी
मुख्यमंत्री आयुष्मान आरोग्य योजना के अंतर्गत राजस्थान ने एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए आउटबाउंड पोर्टेबिलिटी की शुरुआत की है. इससे राजस्थान देश का पहला राज्य बन गया है, जहाँ लाभार्थी अब अन्य राज्यों में भी कैशलेस इलाज की सुविधा प्राप्त कर सकेंगे. वर्तमान में राज्य में 1,800 अस्पताल इस योजना से जुड़े हैं तथा देशभर के 31,000 से अधिक अस्पतालों को इससे जोड़ने की प्रक्रिया जारी है.
प्रधानमंत्री की परिकल्पना से प्रेरित होकर राजस्थान सरकार ने 19.45 लाख महिलाओं को प्रशिक्षण प्रदान किया है, जिनमें से 12 लाख से अधिक महिलाएँ ‘लखपति दीदी' के रूप में आत्मनिर्भर बन चुकी हैं. महिला उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए 5,000 लखपति दीदियों को ₹100 करोड़ की ऋण सहायता दी गई है. साथ ही लखपति दीदी, कृषि सखी और पशु सखी को टैबलेट वितरण कर उन्हें डिजिटल रूप से सशक्त बनाया गया है.
महिला सुरक्षा
महिला सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए राज्य में 22,000 सीसीटीवी कैमरे, 500 कालिका पेट्रोलिंग यूनिट और 65 एंटी-रोमियो स्क्वॉड सक्रिय किए गए हैं. इन ठोस प्रयासों का परिणाम यह रहा है कि पिछली सरकार के अंतिम दो वर्षों की तुलना में महिला अपराधों में 12 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है.
कुल मिलाकर, आज राजस्थान महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में एक राष्ट्रीय स्तर पर अनुकरणीय और प्रेरणादायी मॉडल के रूप में उभर रहा है, जो ‘विकसित राजस्थान 2047' की परिकल्पना को सशक्त आधार प्रदान करता है.
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परिचय: डॉ. मंजू बाघमार राजस्थान सरकार में महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री मंत्री हैं.
डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं.