किसी भी राज्य की वास्तविक प्रगति नागरिकों के मन में बसे विश्वास से मापी जाती है. यह विश्वास तभी पनपता है जब आम व्यक्ति स्वयं को सुरक्षित महसूस करे, कानून को प्रभावी माने और न्याय व्यवस्था पर भरोसा रखे. राजस्थान में बीते कुछ समय के दौरान कानून-व्यवस्था के क्षेत्र में जो परिवर्तन दिखाई दे रहा है, वह इसी विश्वास को मज़बूती देने की दिशा में एक ठोस और सकारात्मक कदम है. मुख्यमंत्री श्री भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में राज्य सरकार ने स्पष्ट रूप से यह दृष्टिकोण अपनाया है कि कानून-व्यवस्था केवल पुलिस की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि सुशासन की आधारशिला है. हमारी प्राथमिकता रही है कि सुरक्षा व्यवस्था प्रतिक्रियात्मक न होकर रणनीतिक, तकनीक-आधारित और परिणामोन्मुख बने. हाल के अपराध आंकड़े इस राजनीतिक संकल्प और प्रशासनिक सक्रियता का प्रमाण हैं.
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, दिसंबर 2023 से नवंबर 2024 के बीच राज्य में भारतीय दंड संहिता/भारतीय न्याय संहिता तथा स्थानीय और विशेष अधिनियमों के अंतर्गत कुल 2,83,648 अपराध दर्ज हुए थे. इसके मुकाबले दिसंबर 2024 से नवंबर 2025 के बीच यह संख्या घटकर 2,57,541 रह गई. मात्र एक वर्ष में 26,107 मामलों की कमी और 9.20 प्रतिशत की गिरावट यह दर्शाती है कि अपराध नियंत्रण अब नीति और क्रियान्वयन के स्तरों पर प्रभावी हुआ है.
दिसंबर 2022 से नवंबर 2023 तक की तुलना करें, तो उस समय राज्य में 3,01,977 प्रकरण दर्ज थे. दिसंबर 2024 से नवंबर 2025 तक इनकी संख्या में 44,436 की कमी अर्थात 14.72 प्रतिशत की गिरावट से स्पष्ट है कि यह सुधार निरंतर और योजनाबद्ध प्रयासों का परिणाम है. यह प्रवृत्ति इस बात की पुष्टि करती है कि पुलिसिंग व्यवस्था अब बेहतर तालमेल, जवाबदेही और निगरानी की दिशा में आगे बढ़ रही है.

प्रतीकात्मक तस्वीर
कुल अपराध के मामलों में कमी
सकल अपराधों के आंकड़े भी इसी दिशा में सकारात्मक संकेत देते हैं. दिसंबर 2023 से नवंबर 2024 के बीच 2,03,196 सकल अपराध दर्ज हुए थे, जो नवंबर 2025 तक घटकर 1,77,826 रह गए. 12.49 प्रतिशत की यह गिरावट प्रशासनिक नियंत्रण, फील्ड स्तर पर सतर्कता और तकनीक के प्रभावी उपयोग का नतीजा है. नवंबर 2023 की तुलना में सकल अपराधों में 18.61 प्रतिशत की कुल कमी यह स्पष्ट करती है कि यह बदलाव गहराई से जड़ पकड़ चुका है.
महिलाओं के खिलाफ अपराध में गिरावट
इस सुधार प्रक्रिया का सबसे संवेदनशील और महत्वपूर्ण पक्ष महिलाओं के विरुद्ध अपराधों में आई कमी है. राज्य सरकार की यह स्पष्ट मान्यता है कि यदि महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं, तो समाज प्रगति नहीं कर सकता. बालिग से दुष्कर्म के मामलों में नवंबर 2024 तक 4,656 प्रकरण दर्ज थे, जो नवंबर 2025 में घटकर 3,724 रह गए. 932 मामलों की कमी और 20.02 प्रतिशत की गिरावट केवल आंकड़ों का परिवर्तन नहीं, बल्कि महिलाओं के भीतर बढ़ते सुरक्षा-बोध का भी संकेत है. नवंबर 2023 में ऐसे मामलों की संख्या 4,690 थी, जिससे यह स्पष्ट है कि लगातार इस गंभीर अपराध में गिरावट दर्ज की जा रही है.
सामूहिक दुष्कर्म जैसे जघन्य अपराधों में आई कमी भी हमारी ‘जीरो टॉलरेंस' नीति को रेखांकित करती है. बालिग के साथ सामूहिक दुष्कर्म के मामले नवंबर 2024 में 823 थे, जो नवंबर 2025 में घटकर 630 रह गए अर्थात 23.45 प्रतिशत की गिरावट. नाबालिगों के साथ सामूहिक दुष्कर्म के मामलों में भी 463 से घटकर 401 रह जाना यह दर्शाता है कि संवेदनशील अपराधों पर सख्त निगरानी और त्वरित कार्रवाई का असर साफ दिखाई दे रहा है.

लूट और SC/ST के खिलाफ अपराध में कमी
लूट जैसे अपराध, जो आम नागरिकों में तुरंत भय पैदा करते हैं, उनमें आई उल्लेखनीय कमी विशेष रूप से ध्यान देने योग्य है. दिसंबर 2023 से नवंबर 2024 के दौरान जहां 1,722 लूट के मामले दर्ज हुए थे, वहीं दिसंबर 2024 से नवंबर 2025 के बीच यह संख्या घटकर 930 रह गई अर्थात लगभग 46 प्रतिशत की गिरावट हुई. 2023 की तुलना में 2025 में लूट के मामलों में 50 प्रतिशत से अधिक की कमी यह दर्शाती है कि अपराधियों के मनोबल को तोड़ा गया है. इसमें हाईवे पेट्रोलिंग, सीसीटीवी नेटवर्क का विस्तार, मोबाइल पुलिस यूनिट और डिजिटल ट्रैकिंग जैसी व्यवस्थाओं की महत्वपूर्ण भूमिका रही है.
अनुसूचित जाति और जनजाति के विरुद्ध अत्याचारों में आई कमी सामाजिक न्याय की दिशा में एक सशक्त संकेत है. दिसंबर 2023 से नवंबर 2024 के बीच 8,899 ऐसे मामले दर्ज हुए थे, जो नवंबर 2025 तक घटकर 7,373 रह गए. 17.15 प्रतिशत की गिरावट और 2023 की तुलना में 28.38 प्रतिशत की कुल कमी यह दर्शाती है कि कमजोर और वंचित वर्गों की सुरक्षा अब प्रशासनिक प्राथमिकताओं में शीर्ष पर है. त्वरित एफआईआर, संवेदनशील जांच और कठोर कार्रवाई ने इन वर्गों के भीतर न्याय व्यवस्था के प्रति विश्वास को मजबूत किया है.
जांच प्रक्रिया में आई तेजी और नए आपराधिक कानूनों के प्रभावी क्रियान्वयन से पुलिस व्यवस्था और अधिक परिणामोन्मुख बनी है. अनुसंधान समय में कटौती, तकनीकी संसाधनों का बेहतर उपयोग और समयबद्ध निस्तारण ने न्याय प्रक्रिया को अधिक प्रभावी बनाया है. आज पुलिस का फोकस केवल अपराध दर्ज करने तक सीमित नहीं, बल्कि अपराध विश्लेषण और रोकथाम आधारित रणनीतियों पर भी केंद्रित है.
साइबर क्राइम और अन्य चुनौतियाँ
यह स्वीकार करना आवश्यक है कि साइबर अपराध, नशा-तस्करी, संगठित अपराध और घरेलू हिंसा जैसी चुनौतियाँ अभी भी सतर्कता की मांग करती हैं. लेकिन राज्य सरकार और पुलिस प्रशासन इन चुनौतियों से निपटने के लिए निरंतर अपनी क्षमताओं को मजबूत कर रहे हैं. किसी भी प्रगतिशील राज्य की पहचान वहीं बनती है, जहां अपराधियों में कानून का भय हो और नागरिकों में व्यवस्था के प्रति भरोसा. राजस्थान इस दिशा में न केवल आगे बढ़ रहा है, बल्कि एक सकारात्मक उदाहरण भी प्रस्तुत कर रहा है.
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परिचय: जवाहर सिंह बेढम राजस्थान सरकार में गृह राज्य मंत्री हैं.
डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं.