Sandalwood Cultivation: राजस्थान के सरहदी जिले श्रीगंगानगर के कस्बे सादुलशहर के किसान जसवंत ढिल्लों ने मरूभूमि में चंदन की खेती कर एक मिसाल कायम की है. उनकी मेहनत और लगन के कारण अब उनके खेत में चंदन के पौधे 5 से 7 फीट तक हो गए हैं. ढिल्लों ने बताया कि उन्होंने पहली बार 2019 में चंदन की खेती शुरू की थी. उन्होंने शुरुआत में बैंगलोर में 10 दिन की ट्रेनिंग ली और फिर गुजरात के मेहसाणा जिले से 2000 चंदन के पौधे खरीद कर लाए और इन पौधों को अपने खेत में लगाया. शुरुआत में कुछ पौधे मर गए लेकिन धीरे-धीरे बाकी पौधे भी बढ़ने लगे.
विशेष देखभाल की होती है आवश्यकता
चंदन की खेती करने वाले किसान जसवंत ढिल्लों ने बताया कि सर्दी के मौसम में इन पौधों को विशेष देखभाल की आवश्यकता होती है. सर्दी से बचाव के लिए पॉलीथीन के बैग भी लगाने पड़ते हैं और गर्मियों में सामान्य तरह से देखभाल की जा सकती है. शुरू में दो तीन महीने कीटनाशक और पेस्टीसाइड का इस्तेमाल किया, लेकिन बाद में कुछ भी इस्तेमाल नहीं किया. उनके अनुसार कीटनाशक और पेस्टीसाइड का प्रयोग किये बिना भी खेती की जा सकती है और उसके अच्छे परिणाम भी मिलते हैं. उन्होंने कहा कि किसी भी तरह की कल्टीवेशन भी नहीं किया गया है.
राजस्थान में सरकारी अनुमति की नहीं है आवश्यकता
जसवंत ढिल्लों ने बताया की साउथ के चार पांच राज्यों में चंदन की खेती के लिए सरकार से अनुमति लेनी होती है, जबकि राजस्थान में ऐसा नहीं है. साउथ में किसानो को चन्दन की लकड़ी सरकार को भी बेचनी होती है लेकिन राजस्थान में ऐसा कानून नहीं है. इसलिए राजस्थान में किसान आसानी से इसकी खेती कर सकते हैं और मोटा मुनाफ़ा कमा सकते हैं.
साथ-साथ उगाते हैं अन्य पौधा
जसवंत ढिल्लों ने बताया चंदन की खेती तैयार होने में दस से पंद्रह साल लग जाते हैं. ऐसे में छोटे किसान दस साल पेड़ तैयार होने तक बीच बीच में अन्य फसलें भी पैदा कर सकते हैं और एक्स्ट्रा इनकम ले सकते हैं. उन्होंने कहा की खेत में किनारो पर भी चंदन के पेड़ लगाए जा सकते हैं. इस खेती की ख़ास बात यह है की इस पौधे को अकेला नहीं लगाया जा सकता इसके साथ साथ अन्य पौधे भी लगाने होते हैं जिससे यह सूखने नहीं पाता और इसे पोषण मिलता रहता है. ये पौधे चन्दन के पौधों को कीटो से भी बचाते हैं और अन्य जरूरते भी पूरी करते हैं. ढिल्लों ने अरहर, इमली, आंवला, अमरुद सहित कई प्रजातियों के पौधे चन्दन के पौधों के बीच लगा रखे हैं.
10 से 15 साल में पूरी तरह तैयार होता है पेड़
जसवंत ढिल्लों के अनुसार 5 साल बाद चंदन का पेड़ खुशबू देने लगता है और 10 से 15 साल पश्चात पूरी तरह से तैयार हो जाता है. उन्होंने बताया की पेड़ में हार्टवुड (चंदन) के वजन पर उसकी कीमत निर्भर करती है. उन्होंने बताया की हार्टवुड की कीमत लगातार बढ़ रही है और दो से तीन लाख रुपये का एक पेड़ आराम से बिकता है. ढिल्लों ने अनुसार पिछले साल एक पेड़ साठ लाख कीमत का भी बिका है. जितनी ज्यादा हार्टवुड होगी उतनी ज्यादा कीमत पेड़ की होगी. चन्दन की मांग में हर साल भारी इजाफा हो रहा है. विदेशो में भी चन्दन की मांग काफी अधिक है. इसकी खास तरह की खुशबू और इसके औषधीय गुणों के कारण भी इसकी पूरी दुनिया में भारी डिमांड है. इसकी एक किलो लकड़ी भारत में 15000 और विदेशों में 30000 तक बिक रही है. यह कीमत कभी कम नहीं होने वाली क्योंकि इसके उत्पादकों की संख्या लगातार गिर रही है.
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