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Rajasthan Elections: बीसलपुर बांध से 18 नवंबर को छोड़ा जाएगा 1.586 TMC पानी, चुनाव से पहले किसानों को मिलेगी राहत

नवम्बर माह में रबी की फसल की सिंचाई के लिए पानी की जरूरत पड़ती है. ऐसे में किसान भी पानी की मांग लगातार कर रहे हैं. इसके तहत टोंक जिले के माशी और दाखिया बांध से सिंचाई के लिए बुधवार को पानी छोड़ा गया.

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Rajasthan Elections: बीसलपुर बांध से 18 नवंबर को छोड़ा जाएगा 1.586 TMC पानी, चुनाव से पहले किसानों को मिलेगी राहत
बीसलपुर बांध
टोंक:

जिले के बीसलपुर बांध की नहरों से 18 नवम्बर को पानी छोड़ा जाएगा, यह निर्णय टोंक जिला कलेक्ट्रेड में आयोजित बैठक के बाद लिया गया है. 18 नवम्बर को बांध के दाईं और बाईं दोनों नहरों जिनकी लंबाई लगभग 69 किलोमीटर है, उसमें 1.59 टीएमसी पानी छोड़ा जाएगा. इससे किसानों को अपनी फसलों की सिंचाई के लिए पानी मिल सकेगा.

गौरतलब है बीसलपुर बांध की नहरों से पानी को लेकर टोंक के किसानों ने कई बार आंदोलन और धरने प्रदर्शन किए थे, जिसके बाद बांध से नहरों में पानी छोड़ने का निर्णय लिया गया. यह निर्णय किसानों और प्रशासन के बीच कई बार हुई वार्ता में लिया गया था. बीसलपुर बांध से पानी छोड़ने से टोंक जिले की लगभग 81 हजार 800 हेक्टर जमीन की सिचाईं हो सकेगी.

टोंक जिले का बीसलपुर बांध जयपुर की लाइफ लाइन है. साथ ही टोंक के किसानों के लिए भी इस बांध का पानी वरदान है. बीसलपुर बांध से पानी छोड़ने से टोंक जिले की लगभग 81 हजार 800 हेक्टर जमीन की सिचाईं हो सकेगी.

इससे पहले, टोंक के किसानों को बांध से पानी छोड़ने का वादा किया गया था, लेकिन वह वादा समय पर पूरा ना होने के कारण किसानों ने आंदोलन की राह पकड़ ली थी. अब चूंकि चुनावी माहौल है तो ऐसे में किसानों के धरने प्रदर्शन और आंदोलन किए. इसके बाद हुए समझौते के तहत टोंक जिला प्रशासन ने बीसलपुर बांध से 8 टीएमसी की जगह 1.59 टीएमसी पानी बीसलपुर की नहरों से 18 नवम्बर से छोड़ देने का निर्णय लिया गया है.

बीसलपुर बांध

बीसलपुर बांध

हालांकि सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि क्या बांध से छोड़ा गया पानी नहरों के अंतिम छोर तक पंहुच पाएगा, क्योंकि नहरों की अब तक सफाई नही हुई है. वहीं, छोड़े जाने वाले पानी की मात्रा कम होने के कारण किसान पहले से ही सिचाईं के लिए 'करो या मरो' की हालत में पानी लेने की कोशिश करेंगे.

इस साल बीसलपुर बांध की दोनों ओर नहरों की सफाई ही नहीं हुई है. जिनकी कुल लंबाई 69 किलोमीटर है. 

उल्लखनीय है किसानों ने इस बार 'वोट नहीं तो पानी नहीं' का नारा बुलंद किया था. साथ ही, किसानों ने यह निर्णय लिया था कि अगर इस बार उनकी मांगे पूरी नहीं हुई तो वह पैदल मार्च के बाद जब जिला कलेक्टर कार्यालय के सामने रोड पर ही पड़ाव डाल देंगे, लेकिन उससे पहले ही 18 नवम्बर से नहरों में पानी छोड़ने का निर्णय ले लिया गया. फिर भी किसानों को आज भी यही चिंता सता रही है कि क्या अंतिम छोर के किसान को नहरों का पानी मिल सकेगा?  

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