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1993 सीरियल बम ब्लास्ट केस: टाडा कोर्ट ने सबूतों के अभाव में अब्दुल करीम उर्फ टुंडा को बरी किया

TADA Court Acquitted Abdul Karim Alias Tunda: पिछले 30 सालों से मामले की सुनवाई कोर्ट में चल रही थी. गुरूवार को आरोपी अब्दुल करीम उर्फ टुंडा और अन्य आरोपियों की सुनवाई पूरी होने के बाद अजमेर टाडा कोर्ट ने उक्त फैसला सुनाया है. जानकारों के मुताबिक कोर्ट ने फैसले में कहा है कि जहां-जहां ब्लास्ट हुए वहां टुंडा की मौजूदगी के सबूत नहीं मिले. 

1993 सीरियल बम ब्लास्ट केस: टाडा कोर्ट ने सबूतों के अभाव में अब्दुल करीम उर्फ टुंडा को बरी किया
अब्दुल करीम उर्फ टुंडा (फाइल फोटो)

TADA court acquitted Abdul Karim alias Tunda:1993 बम ब्लास्ट मामले में मुख्य आरोपी अब्दुल करीम उर्फ टुंडा को अजमेर टाडा कोर्ट ने सबूतों के अभाव में बरी कर दिया है. हालाकि मामले में नामजद अन्य आरोपियों के खिलाफ कोई फैसला नहीं सुनाया है. अजमेर टाडा कोर्ट ने फैसले में कहा कि टुंडा के खिलाफ कोई डायरेक्ट एवीडेंस नहीं मिला. 

पिछले 30 सालों तक कोर्ट में ट्रायल के बाद गुरूवार को टाडा कोर्ट ने आरोपी अब्दुल करीम उर्फ टुंडा और अन्य आरोपियों की सुनवाई पूरी होने के बाद फैसला सुनाया है. कोर्ट ने फैसले में कहा कि जहां-जहां ब्लास्ट हुए वहां टुंडा की मौजूदगी के सबूत नहीं मिले. 

अजमेर की टाडा कोर्ट ने सीबीआई के आरोपो को कोर्ट ने नकारते हुए अब्दुल करीम उर्फ टुंडा को बरी करने का फैसला सुनाया. हालांकि कोर्ट ने दो आरोपी इरफान और हमीरुद्दीन को उम्र कैद की सजा सुनाई. केंद्र सरकार से विधि राय लेकर सीबीआई सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगी.

गौरतलब है बाबरी मस्जिद विध्वंस की पहली बरसी पर आतंकी अब्दुल करीम टुंडा पर 6 दिसंबर 1993 को देश के अलग-अलग शहरों में सिलसिलेवार तरीके सेे राजधानी एक्सप्रेस ट्रेन बम धमाका करने का आरोप था. सैकड़ों गवाहों, सबूतों, लंबी तारीखों और बहस के बाद अजमेर टाडा कोर्ट जज महावीर प्रसाद गुप्ता ने यह फैसला सुनाया

अब्दुल करीम टुंडा के  एडवोकेट अब्दुल रशीद और विनीत ने बताया की सीबीआई कोर्ट के द्वारा लगाए गए आरोप कोर्ट ने नहीं माना. उन्होंने बताया कि सीबीआई ने कोई भी ठोस सबूत टुंडा के खिलाफ पेश नहीं किया. वहीं इस मामले से जुड़े अधिकारी भी आज कोर्ट में पेश नहीं हुए.

सबसे अधिक चौकाने वाली बात थी कि पिछले 30 सालों से चल रहे सीबीआई की चार्ज शीट में अब्दुल करीम टुंडा का नाम भी नहीं था, जिसका फ़ायदा टुंडा को मिला और जज ने उसे बरी कर दिया. जबकि अन्य दो आरोपी इरफान और हमीमुद्दीन को न्यायालय ने दोषी माना है और उन्हें उम्र कैद की सजा सुनाई है.

विशिष्ट लोक अभियोजक बृजेश कुमारे पांडे ने क्या कहा?

वहीं, विशिष्ट लोक अभियोजक बृजेश कुमार पांडे का कहना है कि टा़डा कोर्ट ने तीनों आरोपियों में से अब्दुल करीम टुंडा को बरी किया है जबकि टाटा कोर्ट अधिनियम के तहत रेलवे अधिनियम लोक संपत्ति अधिनियम के अंतर्गत से दो आरोपी क्रमशः हमीरुद्दीन और इरफान को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. 

ये भी पढ़ें-1993 ट्रेन ब्लास्ट का आरोपी अब्दुल करीम टुंडा सबूतों के अभाव में बरी, दो साथियों को हुई उम्रकैद

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