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TADA court acquitted Abdul Karim alias Tunda:1993 बम ब्लास्ट मामले में मुख्य आरोपी अब्दुल करीम उर्फ टुंडा को अजमेर टाडा कोर्ट ने सबूतों के अभाव में बरी कर दिया है. हालाकि मामले में नामजद अन्य आरोपियों के खिलाफ कोई फैसला नहीं सुनाया है. अजमेर टाडा कोर्ट ने फैसले में कहा कि टुंडा के खिलाफ कोई डायरेक्ट एवीडेंस नहीं मिला.
अजमेर की टाडा कोर्ट ने सीबीआई के आरोपो को कोर्ट ने नकारते हुए अब्दुल करीम उर्फ टुंडा को बरी करने का फैसला सुनाया. हालांकि कोर्ट ने दो आरोपी इरफान और हमीरुद्दीन को उम्र कैद की सजा सुनाई. केंद्र सरकार से विधि राय लेकर सीबीआई सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगी.
गौरतलब है बाबरी मस्जिद विध्वंस की पहली बरसी पर आतंकी अब्दुल करीम टुंडा पर 6 दिसंबर 1993 को देश के अलग-अलग शहरों में सिलसिलेवार तरीके सेे राजधानी एक्सप्रेस ट्रेन बम धमाका करने का आरोप था. सैकड़ों गवाहों, सबूतों, लंबी तारीखों और बहस के बाद अजमेर टाडा कोर्ट जज महावीर प्रसाद गुप्ता ने यह फैसला सुनाया
सबसे अधिक चौकाने वाली बात थी कि पिछले 30 सालों से चल रहे सीबीआई की चार्ज शीट में अब्दुल करीम टुंडा का नाम भी नहीं था, जिसका फ़ायदा टुंडा को मिला और जज ने उसे बरी कर दिया. जबकि अन्य दो आरोपी इरफान और हमीमुद्दीन को न्यायालय ने दोषी माना है और उन्हें उम्र कैद की सजा सुनाई है.
विशिष्ट लोक अभियोजक बृजेश कुमारे पांडे ने क्या कहा?
वहीं, विशिष्ट लोक अभियोजक बृजेश कुमार पांडे का कहना है कि टा़डा कोर्ट ने तीनों आरोपियों में से अब्दुल करीम टुंडा को बरी किया है जबकि टाटा कोर्ट अधिनियम के तहत रेलवे अधिनियम लोक संपत्ति अधिनियम के अंतर्गत से दो आरोपी क्रमशः हमीरुद्दीन और इरफान को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है.
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