
Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana: प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत फसल कटाई प्रयोगों पर एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी द्वारा लगाए गए आपत्तियों के निस्तारण के लिए बीमा कंपनी के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की गई है. मंगलवार (18 मार्च) को पंत कृषि भवन के सभा कक्ष में शासन सचिव कृषि एवं उद्यानिकी राजन विशाल की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय शिकायत निराकरण समिति की बैठक का आयोजन किया गया. जिसमें बीमा कम्पनी के प्रतिनिधियों एवं राज्य स्तरीय शिकायत निराकरण समिति के सदस्य शामिल हुए.
बताया जा रहा है कि किसानों के 2 हजार करोड़ से भी ज्यादा बीमा की राशि बीमा कंपनियों के पास अटका हुआ है. क्योंकि बीमा कंपनी ने इंश्योरेंस देने पर आपत्ति जताई थी. बता दें, बीमा कंपनियों द्वारा किसानों को इंश्योरेंश नहीं देने का मामला विधानसभा में कांग्रेस विधायक अमित चाचण ने उठाया था.
बीमा कंपनियों से आपत्ति के निस्तारण के दिये गए निर्देश
बैठक में शासन सचिव ने नागौर और डीडवाना-कुचामन जिलों के खरीफ 2023 की फसल कटाई प्रयोगों की आपत्तियों के निस्तारण हेतु इन जिलों के अधिकारियों एवं बीमा कम्पनी प्रतिनिधियों के साथ चर्चा कर योजना प्रावधान के अनुरूप कार्यवाही किये जाने के निर्देश दिये. राजन विशाल ने अधिकारियों को निर्देशित किया कि वे फसल कटाई प्रयोगों को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की गाईडलाइन के अनुसार पूर्ण ईमानदारी से समय पर संपादित करें.
उल्लेखनीय है कि खरीफ 2023 का 1 हजार 603 करोड़ रूपये एवं रबी 2023-24 के 1 हजार 52 करोड़ रूपये के क्लेम पात्र फसल बीमा पॉलिसी धारक कृषकों को वितरित किये जा चुके हैं. शेष फसल बीमा क्लेम की राशि अतिशीघ्र किसानों को वितरित कर दी जायेगी. वर्तमान सरकार द्वारा प्रधानमंत्री फसल बीमा योजनान्तर्गत कृषकों को अब तक लगभग 3 हजार 349 करोड़ रूपये की राशि वितरित की जा चुकी है.
चाचण ने विधानसभा में पूछा था सवाल
राजस्थान विधानसभा में कांग्रेस विधायक अमित चाचण ने किसानों की समस्याओं को लेकर सरकार को कटघरे में खड़ा किया था. उन्होंने कहा था कि फसल बीमा क्लेम में हो रही अनियमितताओं और किसानों को मुआवजा नहीं मिल रहा. चाचण ने कहा, बीमा कंपनियां सेटेलाइट से किसानों के नुकसान का आकलन कर रही. ऐसे में चाचाण ने सरकार और बीमा कंपनियों की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए और जल्द समाधान की मांग की. चाचाण ने सदन में कहा कि किसानों को फसल क्षति का उचित मुआवजा नहीं मिल रहा है. बीमा कंपनियां सेटेलाइट के जरिए नुकसान का गलत आकलन कर रही हैं, जिससे किसानों को उनके हक का क्लेम नहीं मिल रहा. उन्होंने सरकार से मांग की कि क्रॉप कटिंग के पारंपरिक तरीके से मुआवजा दिया जाए, ताकि किसानों को उनका सही हक मिल सके.
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