Jodhpur News: जोधपुर में स्थित शुष्क वन अनुसंधान संस्थान 'आफरी' में देश के 13 राज्यों के 26 आईएफएस (IFS) अधिकारियों ने दौरा किया. पुनश्चर्या प्रशिक्षण पाठ्यक्रम के तहत "इंटिग्रेटेड एप्रोच फ़ॉर सस्टेनेएबल डवलपमेंट ऑफ फ्रजाइल डेजर्ट इकोसिस्टम" विषयक पर पर्यावरण, वन एंव जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार की ओर से 5 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है.
जिसमें भारतीय वन सेवा के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ ही कृषि वैज्ञानिक नए अधिकारियों को प्रशिक्षित कर रहे हैं. इस 5 दिवसीय कार्यशाला में देश के अलग-अलग कोने से आने वाले आईएफएस अधिकारियों को राजस्थान के मरुस्थलीय क्षेत्र में होने वाले जलवायु परिवर्तन व रेतीले धोरों के बीच शुष्क क्षेत्र के वृक्षों के अध्ययन के साथ ही अन्य चीजों से रूबरू होने का अवसर मिलेगा.
आफरी के निदेशक ड़ॉ. एम.आर बालोच ने कार्यशाला में मरुस्थलीय स्थिरीकरण, जैव तकनीक, जैव विविधता संरक्षण, जैव कीटनाशक, लूनी नदी के पुनरुद्वार, पचपदरा रिफाइनरी, शीशम क्लोन की उन्नत किस्में व पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में हुए कार्यो से भी IFS अधिकारियों को अवगत करवाया.
एनडीटीवी से बात करते हुए आफरी डायरेक्टर डॉ. एमआर बालोच ने बताया कि आफरी जोधपुर में 5 दिवसीय IFS ऑफिसर्स का प्रशिक्षण रखा गया है. जिसमें 13 राज्यों के 26 IFS अधिकारी आये हुए हैं. इन सभी अधिकारियों को हम आफरी किस प्रकार से कार्य करता है वह दिखाएंगे. साथ ही फील्ड के कार्यो से भी अवगत करवाएंगे और इन अधिकारियों का अपने-अपने राज्यों के अनुभव का आदान-प्रदान करेंगे.
एनडीटीवी से बात करते हुए IFS अधिकारियों के ट्रेनिंग कोर्स डायरेक्टर व भारत सरकार के अधिकारी डॉ. तरुण कांत ने बताया कि आफरी में आयोजित होने वाली यह ट्रेनिंग मुख्यतः थार (डेजर्ट) से सम्बंधित है. जहां की परिस्थितियां बहुत ही अलग और कठिन प्रकृति की होती हैं. इन परिस्थितियों से रूबरू करवाने के लिए देश के अलग-अलग राज्यों से प्रतिभागी आते हैं.
पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय भारत सरकार की अधिकारी सुविना ठाकुर ने बताया कि फ्रजाइल डेजर्ट इकोसिस्टम पर यह पांच दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. जिसमें देश भर के विभिन्न राज्यों के भारतीय वन सेवा के अधिकारी इसमें हिस्सा ले रहे हैं और यह ट्रेनिंग पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की ओर से आफरी में आयोजित की जा रही है.
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