विज्ञापन

Sariska: "ऐसे तो जंगल का सत्यानाश हो जाएगा", सरिस्का टाइगर रिजर्व में बड़े बदलाव की तैयारी, जानिए क्यों हो रहा है इसका विरोध?

Rajasthan: सरिस्का के कोर एरिया के टहला क्षेत्र में टाइगर मूवमेंट नहीं मानते हुए बफर जोन को कोर में बढ़ाने और टहला क्षेत्र को सरिस्का से हटाने का नया प्रस्ताव बनाया गया है.

Sariska: "ऐसे तो जंगल का सत्यानाश हो जाएगा", सरिस्का टाइगर रिजर्व में बड़े बदलाव की तैयारी, जानिए क्यों हो रहा है इसका विरोध?

Sariska Tiger Reserve: सरिस्का एक बार फिर से पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया है. करीब 1 हजार 166 वर्ग किलोमीटर में फैले सरिस्का के पुनर्सीमांकन पर सवाल खड़े हो गए हैं. क्रिटिकल टाइगर हैबिटेट (CTH) के दायरे में पूरी तरह से व्यवसायीकरण और मानव दखल पर रोक है. लेकिन अब सरिस्का का कोर एरिया निर्धारित करने के लिए पुनर्सीमांकन के लिए सर्वे किया जा रहा है, जहां लगातार टाइगर का मूवमेंट है. सरिस्का के कोर एरिया के टहला क्षेत्र में टाइगर मूवमेंट नहीं मानते हुए बफर जोन को कोर में बढ़ाने और टहला क्षेत्र को सरिस्का से हटाने का नया प्रस्ताव बनाया गया है. इसे लेकर अब आरोप-प्रत्यारोप चल रहे हैं. दरअसल, साल 2023 का मामला कोर्ट में जाने के बाद कोर एरिया का 1 किलोमीटर और बफर के 10 किलोमीटर में व्यावसायिक ओर खनन गतिविधि पर पूर्ण रोक लगा दी थी. इसके चलते सरिस्का टहला क्षेत्र की 57 खान बंद कर दी गई थी.

लेकिन अब टाइगर रिजर्व का एरिया अब 1873 वर्ग किलोमीटर का हो जाएगा. इसमें अलवर, जयपुर वन मंडल का जंगल शामिल किया जा रहा है. सरिस्का प्रशासन ने यह प्रस्ताव सरकार को भेजा है. जुलाई तक इस प्रस्ताव पर मुहर लगने की संभावना है. वर्तमान में सरिस्का का जंगल 1213 वर्ग किलोमीटर में फैला है. इसमें 886 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र जंगल का कोर एरिया है. जबकि अन्य क्षेत्र बफर जोन में शामिल है.

सरिस्का पर एक नजर 

  • जंगल में 48 बाघ- बाघिन और उनके शावक हैं. इसमें करीब 26 शावक शामिल है.
  • 1997 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सरिस्का का सीमांकन निर्धारित किया गया था. 1997 में गजट नोटिफिकेशन के दौरान कई खाने बंद कर दी गई थी.
  • 2011 में फिर सेंट्रल एंपावरमेंट कमेटी CEC ने निर्देश दिए थे कि मूमेंट के आधार पर क्षेत्रफल निर्धारित किया जाए.
  • 2023 में सरकार ने कोर क्षेत्र के 1 किलोमीटर में व्यावसायिक गतिविधि बंद करने के आदेश दिए.

सीटीएच का दायरा बदलने से क्या होगा?

हाल ही में 26 जून को राष्ट्रीय वन्य जीव बोर्ड की बैठक हुई. बैठक में केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने अनुमोदित किया है कि वन क्षेत्र को बढ़ाया जाए. सीटीएच के परिवर्तन का विरोध करने के सवाल पर कहा था कि जो इसका विरोध कर रहे हैं, उन्हें अभी ज्ञान का अभाव है. यह लोकतंत्र है इसकी यही खूबी है. सीटीएच का दायरा बदलने से टहला क्षेत्र की बंद करीब 50 से अधिक मार्बल की खाने शुरू हो जाएंगी. साथ ही होटल्स पर गिरी गाज भी खत्म हो सकती है. इसे जहां एक और वन्य जीव प्रेमी इस परिवर्तन को सरिस्का के लिए खतरा बता रहे हैं. 

Latest and Breaking News on NDTV

वहीं, नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली सरकार के मंत्रियों पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा रहे हैं. उनका कहना है, "राजस्थान सरकार के वन एवं पर्यावरण मंत्री संजय शर्मा ने सी टी एच का मतलब टाइगर का संरक्षण जंगल का संरक्षण और उसे सुरक्षित रखना माना है. उनमें अभी ज्ञान का अभाव है. बहुत सी बातें हैं, जो कहीं नहीं जा सकती है. लेकिन जब इसके परिणाम सामने आएंगे, तभी उन्हें विश्वास होगा." वन एवं पर्यावरण मंत्री संजय शर्मा ने कहा कि जैसे-जैसे टाइगर का कुनबा बढ़ता जा रहा है. वैसे-वैसे वन क्षेत्र भी बढ़ रहा है. क्रिटिकल टाइगर हैबिटेट का मतलब उसमें टाइगर को सुरक्षित रखना है. साथ ही बफर जोन और टाइगर  को सुरक्षित रखना है. टाइगर के लिए कहीं कमी नहीं होनी चाहिए. 

एक्सपर्ट्स की राय भी जानिए

Latest and Breaking News on NDTV

इस संबंध में पर्यावरणविद और वन्य जीव प्रेमी राजेश कृष्ण सिद्ध का कहना है कि सीटीएच में परिवर्तन का मतलब है सरिस्का जंगल का सत्यानाश करना और वन्य जीवों को खतरे में डालना. खान माफिया और होटल माफियाओं के आगे सरकार झुक गई है. इस वक्त 48 टाइगर हैं, उनका जीवन खतरे में है. टाइगर के उस एरिया को चेंज करने की कोशिश की जा रही है. एक्सपर्ट का कहना है कि उस क्षेत्र को बढ़ाना चाहिए, लेकिन जिस क्षेत्र में टाइगर का पहले से ही आवास है. जहां लगातार साइटिंग हो रही है, उसको कम नहीं करना चाहिए. उन्होंने सवाल भी पूछा कि आखिर में किस दबाव में यह परिवर्तन किया जा रहा है. 

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने भी उठाया मुद्दा

सरिस्का बाघ अभ्यारण में क्रिटिकल टाइगर हैबिटाट में परिवर्तन करने का विरोध लगातार सामने आ रहा है. देशभर में मुद्दा गरमाने के बाद कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर आपत्ति जाहिर की है. उनका कहना है कि कुछ कारोबारी को फायदा पहुंचाने के चक्कर में सरिस्का जंगल से छेड़छाड़ की जा रही है. आगामी दिनों में इसके दुष्परिणाम देखने को मिलेंगे. जंगल बर्बाद होगा तो जंगली जीवों का जीवन खतरे में पड़ेगा.

यह भी पढ़ेंः सरिस्का में बाघों की वापसी की पूरी कहानी

Rajasthan.NDTV.in पर राजस्थान की ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें. देश और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं. इसके अलावा, मनोरंजन की दुनिया हो, या क्रिकेट का खुमार, लाइफ़स्टाइल टिप्स हों, या अनोखी-अनूठी ऑफ़बीट ख़बरें, सब मिलेगा यहां-ढेरों फोटो स्टोरी और वीडियो के साथ.

फॉलो करे:
Close